Forex Reserves: 7 हफ्तों से घटता जा रहा देश का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए क्यों आ रही इसमें गिरावट
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में 5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया, जो इसका पिछले 2 सालों का सबसे निचला स्तर है
देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में लगातार सातवें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया। यह पिछले 2 सालों (2 अक्टूबर 2020 के बाद) का इसका सबसे निचला स्तर है। RBI ने शुक्रवार 23 सितंबर को यह जानकारी दी।
इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रहा था।
16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के पीछे सबसे मुख्य वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में 4.7 अरब डॉलर की गिरावट रही, जो अब घटकर 484.90 अरब डॉलर पर आ गया। फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA), दरअसल कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा होता है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट, जानिये क्यों घटा देश का रिजर्व
रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 11 मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 9.646 अरब डॉलर घटकर 622.275 अरब डॉलर पर आ गया.
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 11 मार्च को खत्म हुए हफ्ते के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserve) करीब 10 अरब डॉलर घट गया है. बीते 2 साल में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में दर्ज हुई ये सबसे बड़ी गिरावट है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट डॉलर के मुकाबले रुपये (Dollar vs Rupee) में तेज गिरावट को रोकने के लिये रिजर्व बैंक के द्वारा उठाये गये कदमों की वजह से देखने को मिली है. इसी सप्ताह के दौरान रूपये में तेज गिरावट देखने को मिली थी, जिसे थामने को लिये रिजर्व बैंक को सिस्टम में डॉलर का प्रवाह बढ़ाना पड़ा जिससे फॉरेन करंसी एसेट्स में 11 अरब डॉलर की कमी देखने को मिली और पूरा विदेशी मुद्रा भंडार पर इसका असर दिखा.
क्यों आई विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट
भंडार में ये गिरावट बीते 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट रही है. इससे पहले 20 मार्च 2020 को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11.9 अरब डॉलर घट गया था. 11 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में ही डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट देखने को मिली थी. 7 मार्च को डॉलर के मुकाबले रुपया 77 के स्तर को पार कर गया था, बाजार के जानकारों के हवाले ईटी में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये में और गिरावट को रोकने के लिये रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया था और बाजार में डॉलर की बिक्री की. अनुमान के मुताबिक रिजर्व बैंक ने हफ्ते के दौरान करीब 1 अरब डॉलर प्रति दिन के हिसाब से बाजार में डॉलर उतारे थे. इससे रूपये को ज्यादा गिरने से रोका जा सका था. हालांकि इस प्रक्रिया में फॉरेन करंसी एसेट्स में कमी आई. फिलहाल विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट देश का विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर से ज्यादा दूर नहीं है इसी वजह से इस गिरावट का भी खास असर नहीं पड़ेगा. भारत का मौजूदा भंडार एक साल से ज्यादा के आयात बिल के लिये पर्याप्त है.
कहां पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार
रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 11 मार्च को समाप्त सप्ताह में 9.646 अरब डॉलर घटकर 622.275 अरब डॉलर पर आ गया. इससे पूर्व चार मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट विदेशी मुद्रा भंडार 39.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 631.92 अरब डॉलर हो गया था. इससे पूर्व तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा था.आरबीआई के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के घटने की वजह से आई जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. आंकड़ों के अनुसार 11 फरवरी को समाप्त सप्ताह में एफसीए 11.108 अरब डॉलर घटकर 554.359 अरब डॉलर रह गया था. हालांकि गोल्ड रिजर्व में बढ़त से एफसीए में गिरावट का असर कुछ कम हुआ. सप्ताह के दौरान स्वर्ण भंडार 1.522 अरब डॉलर बढ़कर 43.842 अरब डॉलर हो गया.
जानिए क्यों है ये चिंता का कारण? भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा
भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।
बीते हफ्ते में एफसीए 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.09 अरब डॉलर रह गया है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है। वहीं इस दौरान सोने का भंडार 1.236 अरब डॉलर गिरकर 39.186 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं बीते हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 122 मिलियन डॉलर घटकर 18.012 बिलियन डॉलर रह गया है।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक आठ जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान देश की आईएमएफ की रिजर्व पोजिशन 49 मिलियन डॉलर घटकर 4.966 बिलियन डॉलर रह गई है। एक जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान यह भंडार 5.008 अरब डॉलर कम होकर 588.314 अरब डॉलर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट ऐसे समय में दर्ज की गई है जब भारतीय रुपया कमजोर होकर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रुपया फिलहाल फिसलते हुए डॉलर के मुकाबले लगभग 80 रुपये प्रति डॉलर के पास पहुंच गया है।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की खबरों के बाद यह जान लेना अहम हो जाता है कि आखिर यह विदेशी मुद्रा भंडार है क्या? अगर विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हो रही तो इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ने वाला है? दरअसल, भारत की बात करें तो हमारे देश का विदेशी मुद्रा भंडार केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास रखी गई धनराशि और परिसंपत्तियां हैं। इनमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिजर्व ट्रेंच शामिल होती हैं। अगर देश को जरूरत होती है तो वह विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर अपने विदेशी ऋण का भुगतान कर सकता है।
देश में विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने का असर सबसे पहला असर रुपये की मजबूती पर पड़ता है, जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगता है रुपये की कीमत कम होती जाती है। हमने हाल के दिनों में देखा है कि रुपये की कीमत लगातार गिरती जा रही है। शुक्रवार को भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले गिरकर 79.72 रुपये प्रति डॉलर रह गई है।
आपको बता दें कि देश में जैसे-जैसे रुपये की कीमत कम होती जाती है देश का आयात मूल्य बढ़ने लगता है और निर्यात मूल्य घटने लगता है। ऐसी स्थिति में देश का व्यापार घाटा बढ़ने लगता है। हमारा देश बीते कुछ महीनों से इस स्थिति का सामना कर रहा है। बीते जून महीने में व्यापार घाटा बढ़कर अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर 25.6 अरब डॉलर हो गया है।
व्यापार घाटा को कम करने की कवायद के तहत ही रिजर्व बैंक ने बीते सोमवार (11 जुलाई) को विदेश व्यापार रुपये में करने की भी सुविधा दे दी है। इसका इस्तेमाल कर वर्तमान परिस्थितियों में रूस और श्रीलंका जैसे देशों के साथ व्यापार किया जा सकता है, जिससे रुपये को थोड़ी राहत मिल सकती है। आपको बता दें कि भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है और रूस तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। अगर दोनों देशों के बीच रुपये में कारोबार शुरू होता है तो इससे रुपये को मजबूत बनाने में काफी मदद मिलेगी।
देश में जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ता है रुपया मजबूत होता जाता है। इससे देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता जाता और रुपये की कीमत में स्थिरता बनी रहती है। विदेशी रुपया भंडार बढ़ने से रुपये में आई मजबूती का फायदा विदेशों में निवेश करने वाले कारोबारियों पर भी पड़ता है। ऐसा होने से उन्हें अपनी मुद्रा का कम से कम निवेश करना पड़ता है।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट, जानिये क्यों घटा देश का रिजर्व
रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 11 मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 9.646 अरब डॉलर घटकर 622.275 अरब डॉलर पर आ गया.
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 11 मार्च को खत्म हुए हफ्ते के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserve) करीब 10 अरब डॉलर घट गया है. बीते 2 साल में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में दर्ज हुई ये सबसे बड़ी गिरावट है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार में ये गिरावट डॉलर के मुकाबले रुपये (Dollar vs Rupee) में तेज गिरावट को रोकने के लिये रिजर्व बैंक के द्वारा उठाये गये कदमों की वजह से देखने को मिली है. इसी सप्ताह के दौरान रूपये में तेज गिरावट देखने को मिली थी, जिसे थामने को लिये रिजर्व बैंक को सिस्टम में डॉलर का प्रवाह बढ़ाना पड़ा जिससे फॉरेन करंसी एसेट्स में 11 अरब डॉलर की कमी देखने को मिली और पूरा विदेशी मुद्रा भंडार पर इसका असर दिखा.
क्यों आई विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गिरावट
भंडार में ये गिरावट बीते 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट रही है. इससे पहले 20 मार्च 2020 को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11.9 अरब डॉलर घट गया था. 11 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में ही डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट देखने को मिली थी. 7 मार्च को डॉलर के मुकाबले रुपया 77 के स्तर को पार कर गया था, बाजार के जानकारों के हवाले ईटी में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये में और गिरावट को रोकने के लिये रिजर्व बैंक ने हस्तक्षेप किया था और बाजार में डॉलर की बिक्री की. अनुमान के मुताबिक रिजर्व बैंक ने हफ्ते के दौरान करीब 1 अरब डॉलर प्रति दिन के हिसाब से बाजार में डॉलर उतारे थे. इससे रूपये को ज्यादा गिरने से रोका जा सका था. हालांकि इस प्रक्रिया में फॉरेन करंसी एसेट्स में कमी आई. फिलहाल देश का विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर से ज्यादा दूर नहीं है इसी वजह से इस गिरावट का भी खास असर नहीं पड़ेगा. भारत का मौजूदा भंडार एक साल से ज्यादा के आयात बिल के लिये पर्याप्त है.
कहां पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार
रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 11 मार्च को समाप्त सप्ताह में 9.646 अरब डॉलर घटकर 622.275 अरब डॉलर पर आ गया. इससे पूर्व चार मार्च को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 39.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 631.92 अरब डॉलर हो गया था. इससे पूर्व तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 642.453 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचा था.आरबीआई के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के घटने की वजह से आई जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. आंकड़ों के अनुसार 11 फरवरी को समाप्त सप्ताह में एफसीए 11.108 अरब डॉलर घटकर 554.359 अरब डॉलर रह गया था. हालांकि गोल्ड रिजर्व में बढ़त से एफसीए में गिरावट का असर कुछ कम हुआ. सप्ताह के दौरान स्वर्ण भंडार 1.522 अरब डॉलर बढ़कर 43.842 अरब डॉलर हो गया.
जानिए क्यों है ये चिंता का कारण? भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा
भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।
बीते हफ्ते में एफसीए 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.09 अरब डॉलर रह गया है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है। वहीं इस दौरान सोने का भंडार 1.236 अरब डॉलर गिरकर 39.186 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं बीते हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 122 मिलियन डॉलर घटकर 18.012 बिलियन डॉलर रह गया है।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक आठ जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान देश की आईएमएफ की रिजर्व पोजिशन 49 मिलियन डॉलर घटकर 4.966 बिलियन डॉलर रह गई है। एक जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान यह भंडार 5.008 अरब डॉलर कम होकर 588.314 अरब डॉलर हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट ऐसे समय में दर्ज की गई है जब भारतीय रुपया कमजोर होकर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रुपया फिलहाल फिसलते हुए डॉलर के मुकाबले लगभग 80 रुपये प्रति डॉलर के पास पहुंच गया है।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की खबरों के बाद यह जान लेना अहम हो जाता है कि आखिर यह विदेशी मुद्रा भंडार है क्या? अगर विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हो रही तो इसका देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ने वाला है? दरअसल, भारत की बात करें तो हमारे देश का विदेशी मुद्रा भंडार केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास रखी गई धनराशि और परिसंपत्तियां हैं। इनमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिजर्व ट्रेंच शामिल होती हैं। अगर देश को जरूरत होती है तो वह विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कर अपने विदेशी ऋण का भुगतान कर सकता है।
देश में विदेशी मुद्रा भंडार के कम होने का असर सबसे पहला असर रुपये की मजबूती पर पड़ता है, जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा भंडार घटने लगता है रुपये की कीमत कम होती जाती है। हमने हाल के दिनों में देखा है कि रुपये की कीमत लगातार गिरती जा रही है। शुक्रवार को भारतीय रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले गिरकर 79.72 रुपये प्रति डॉलर रह गई है।
आपको बता दें कि देश में जैसे-जैसे रुपये की कीमत कम होती जाती है देश का आयात मूल्य बढ़ने लगता है और निर्यात मूल्य घटने लगता है। ऐसी स्थिति में देश का व्यापार घाटा बढ़ने लगता है। हमारा देश बीते कुछ महीनों से इस स्थिति का सामना कर रहा है। बीते जून महीने में व्यापार घाटा बढ़कर अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचकर 25.6 अरब डॉलर हो गया है।
व्यापार घाटा को कम करने की कवायद के तहत ही रिजर्व बैंक ने बीते सोमवार (11 जुलाई) को विदेश व्यापार रुपये में करने की भी सुविधा दे दी है। इसका इस्तेमाल कर वर्तमान परिस्थितियों में रूस और श्रीलंका जैसे देशों के साथ व्यापार किया जा सकता है, जिससे रुपये को थोड़ी राहत मिल सकती है। आपको बता दें कि भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है और रूस तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। अगर दोनों देशों के बीच रुपये में कारोबार शुरू होता है तो इससे रुपये को मजबूत बनाने में काफी मदद मिलेगी।
देश में जैसे-जैसे विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ता है रुपया मजबूत होता जाता है। इससे देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता जाता और रुपये की कीमत में स्थिरता बनी रहती है। विदेशी रुपया भंडार बढ़ने से रुपये में आई मजबूती का फायदा विदेशों में निवेश करने वाले कारोबारियों पर भी पड़ता है। ऐसा होने से उन्हें अपनी मुद्रा का कम से कम निवेश करना पड़ता है।
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