कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट, सोने की चमक भी पड़ी फीकी, जानिए क्या है वजह
Crude oil- मांग में दबाव से कीमतों में गिरावट आई है। वहीं चीन में कोरोना के मामले बढ़ने से भी कच्चे तेल की मांग में दबाव देखने को मिल रहा है
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल करीब 1% गिरा है। ब्रेंट का भाव $92 के नीचे फिसला है जबकि 16 नवंबर को ब्रेंट $94.79 तक पहुंचा था।
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल करीब 1% गिरा है। ब्रेंट का भाव $92 के नीचे फिसला है जबकि 16 नवंबर को ब्रेंट $94.79 तक पहुंचा था। ब्रेंट में लगातार चौथे दिन गिरावट देखने को मिल रही है। इस बीच WTI में $85 के नीचे कारोबार कर रहा है । 1 हफ्ते में ब्रेंट करीब 4.5% तक गिरा है वहीं WTI 5 फीसदी टूटा है। MCX क्रूड का भाव 7000 के नीचे कायम है।
क्रूड पर दबाव के कारण
कच्चे तेल की कीमतों में आए दबाव की वजहों पर नजर डालें तो मांग में दबाव से कीमतों में गिरावट आई है। वहीं चीन में कोरोना के मामले बढ़ने से भी कच्चे तेल की मांग में दबाव देखने को मिल रहा है। Druzhba पाइपलाइन सप्लाई फिर से शुरू हुई है। वहीं जेपी मॉर्गन ने हाल ही में अपने रिपोर्ट में कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ US में दरें बढ़ने का इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ेगा। जेपी मॉर्गन का कहना है कि यूएस अगले साल हल्की मंदी में जा सकता है।
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ब्रेंट की चाल
ब्रेंट की चाल पर नजर डालें तो 1 हफ्ते में इसमें 2 फीसदी की गिरावट आई है जबकि 1 महीने में यह 4 फीसदी भागा है। वहीं 1 साल में इसमें 13 फीसदी की बढ़त देखने को मिला है। जबकि WTI की चाल नजर डालें तो 1 हफ्ते में इसमें 2.5 फीसदी की गिरावट आई है जबकि 1 महीने में यह 2.5 फीसदी भागा है। वहीं 1 साल में इसमें 9 फीसदी की बढ़त देखने को मिला है।
वहीं MCX पर क्रूड की चाल नजर डालें तो 1 हफ्ते में इसमें 3 फीसदी की गिरावट आई है जबकि 1 महीने में यह 3 फीसदी चढ़ा है। वहीं 1 साल में इसमें 21 फीसदी की बढ़त देखने को मिला है।
सोने की चमक घटी
इंटरनेशनल मार्केट में सोने का भाव गिरा है। COMEX पर सोना $1780 से $1765 पर आया है। COMEX पर लगातार तीसरे दिन सोना गिरा। MCX पर सोने में आज करीब 0.50% गिरावट देखने को मिली है। MCX पर सोने का कारोबार 52900 के नीचे नजर आ रहा है। COMEX पर चांदी करीब 2% तक गिरी है। COMEX पर चांदी का $22 के नीचे कारोबार हो रहा है। MCX पर चांदी 4 हफ्तों के निचले स्तर पर पहुंचा है। MCX पर चांदी का कारोबार 61500 के नीचे आया है।
सोने पर दबाव की वजह पर नजर डालें तो अमेरिका में महंगाई कम होने से कीमतें गिरी है। US में अक्टूबर महंगाई घटकर 7.7% रही है। US फेड ब्याद बढ़ोतरी में नरम रवैय्या रख सकता है । दिसंबर में अमेरिका में 0.50% दरें बढ़ने का अनुमान है। चीन में कोरोना के मामले बढ़ने से भी मांग में गिरावट आई है।
क्या सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल? कच्चे तेल की कीमतों में जोरदार गिरावट, जानिए क्या रही वजह
इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 6 फीसदी नीचे आ गई है, जिससे प्रति बैरल क्रूड का भाव 83 डॉलर के भी नीचे आ गया है. इसके अलावा WTI क्रूड 75 डॉलर के पास ट्रेड कर रहा है. गिरावट की वजह चीन में लगे कोरोना लॉकडाउन है. क्योंकि इससे क्रूड की डिमांड आउटलुक कमजोर हुआ है.
Crude Price: संभव है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी देखने को मिले. क्योंकि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों गिरावट जारी है. क्रूड की कीमतें सोमवार को 2 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह दुनिया के सबसे क्रूड ऑयल खरीदार देश चीन में लगा कोरोना लॉकडाउन है. साथ ही अमेरिकी डॉलर की मजबूती से भी कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बना है.
ब्रेंट कीमतें करीब 6 फीसदी नीचे
इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 6 फीसदी नीचे आ गई है, जिससे प्रति बैरल क्रूड का भाव 83 डॉलर के भी नीचे आ गया है. इसके अलावा WTI क्रूड 75 डॉलर के पास ट्रेड कर रहा है. गिरावट की वजह चीन में लगे कोरोना लॉकडाउन है. क्योंकि इससे क्रूड की डिमांड आउटलुक कमजोर हुआ है.
चीन में कोरोना लॉकडाउन से संकट
चीन में कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में लगातार इजाफा हो रहा है. नतीजतन, देश के प्रमुख शहरों में लॉकडाउन लगा दिया गया है. इसके अलावा US डॉलर इंडेक्स में उछाल से भी कच्चे तेल की कीमतों में कमजोर दर्ज की जा रही है. डॉलर इंडेक्स सोमवार को 11 नवंबर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है.
कमजोर डिमांड के चलते GS ने अनुमान घटाया
इनवेस्टमेंट बैंक Goldman Sachs ने कमजोर डिमांड के चलते क्रूड प्राइस पर अपने अनुमान में कटौती की है. रिपोर्ट के मुताबिक ऑयल प्राइस में 10 डॉलर की कटौती की है. इसकी वजह चीन में लगे लॉकडाउन से बना संकट है. साथ ही रूस से होने वाले ऑयल एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी का अनुमान दिया है.
Petrol-Diesel Price: पेट्रोल-डीजल 33 रुपये तक होना चाहिए सस्ता, कच्चा तेल साल के सबसे निचले स्तर 76 डॉलर पर
कच्चे तेल को लीटर और रुपये के हिसाब से अनुमान लगाएं तो कीमत 9 महीने में 33 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा घटनी चाहिए। इसके बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को नहीं मिली है।
कच्चे तेल की कीमतें जुलाई, 2008 के बाद इस साल मार्च में 140 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थीं। उसके बाद से 46 फीसदी गिरावट के साथ यह इस साल सबसे निचले स्तर 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है।
कच्चे तेल को लीटर और रुपये के हिसाब से अनुमान लगाएं तो कीमत 9 महीने में 33 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा घटनी चाहिए। इसके बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को नहीं मिली है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट इसलिए आ रही है, क्योंकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जो आपूर्ति की अनिश्चितता थी, वह अब फीकी पड़ गई है।
क्रूड महंगा होने कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ पर क्या हुआ असर
मार्च में जब क्रूड 140 बैरल डॉलर था (एक बैरल में 159 लीटर) तब अप्रैल में खुदरा महंगाई 8 साल के रिकॉर्ड स्तर 7.79% पर थी। महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई ने मई से रेपो दरों कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ में कटौती शुरू की। उम्मीद है कि नवंबर की महंगाई के आंकड़े जब इस हफ्ते आएंगे तो वह 6% रह सकते हैं। तेल महंगा होने का ज्यादा असर माल ढुलाई पर होता है। पेट्रोल और डीजल की घरेलू दरें इन ईंधनों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करती हैं। लेकिन अप्रैल के बाद से, घरेलू दरें स्थिर हो गई हैं, क्योंकि कंपनियों ने बाजार से कम कीमतों पर ईंधन बेचा और भारी नुकसान हुआ। ग्राहकों को वैश्विक मूल्य में गिरावट के लाभों को देने से पहले घरेलू कंपनियां पहले अपने नुकसान की भरपाई करेंगीं।
रुपये में ऐसे समझें गणित
ब्रेंट क्रूड का मौजूदा दाम 76.10 डॉलर प्रति बैरल यानी 6,272.20 रुपये प्रति बैरल है। इसे प्रति लीटर के हिसाब से देखें तो 6,272 रुपये में 159 लीटर होता है। यानी कीमत 39.45 रुपये लीटर हुई। मार्च के महीने में 140 लीटर प्रति बैरल यानी 11,538 रुपये प्रति बैरल को प्रति लीटर में करें तो यह 72.57 रुपये प्रति लीटर था। ब्रेंट 9 माह में 33.12 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो चुका है।
विस्तार
कच्चे तेल की कीमतें जुलाई, 2008 के बाद इस साल मार्च में 140 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थीं। उसके बाद से 46 फीसदी गिरावट के साथ यह इस साल सबसे निचले स्तर 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है।
कच्चे तेल को लीटर और रुपये के हिसाब से अनुमान लगाएं तो कीमत 9 महीने में 33 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा घटनी चाहिए। इसके बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट देखने को नहीं मिली है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट इसलिए आ रही है, क्योंकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जो आपूर्ति की अनिश्चितता थी, वह अब फीकी पड़ गई है।
क्रूड महंगा होने पर क्या हुआ असर
मार्च में जब क्रूड 140 बैरल डॉलर था (एक बैरल में 159 लीटर) तब अप्रैल में खुदरा महंगाई 8 साल के रिकॉर्ड स्तर 7.79% पर थी। महंगाई को कम करने के लिए आरबीआई ने मई से रेपो दरों में कटौती शुरू की। उम्मीद है कि नवंबर की महंगाई के आंकड़े जब इस हफ्ते आएंगे तो वह 6% रह सकते हैं। तेल महंगा होने का ज्यादा असर माल ढुलाई पर होता है। पेट्रोल और डीजल की घरेलू दरें इन ईंधनों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करती हैं। लेकिन अप्रैल के बाद से, घरेलू दरें स्थिर हो गई हैं, क्योंकि कंपनियों ने बाजार से कम कीमतों पर ईंधन बेचा और भारी नुकसान हुआ। ग्राहकों को वैश्विक मूल्य में गिरावट के लाभों को देने से पहले घरेलू कंपनियां पहले अपने नुकसान की भरपाई करेंगीं।
रुपये में ऐसे समझें गणित
ब्रेंट क्रूड का मौजूदा दाम 76.10 डॉलर प्रति बैरल यानी 6,272.20 रुपये प्रति बैरल है। इसे प्रति लीटर के हिसाब से देखें तो 6,272 रुपये में 159 लीटर होता है। यानी कीमत 39.45 रुपये लीटर हुई। मार्च के महीने में 140 लीटर प्रति बैरल यानी 11,538 रुपये प्रति बैरल को प्रति लीटर में करें तो यह 72.57 रुपये प्रति लीटर था। ब्रेंट 9 माह में 33.12 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो चुका है।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट बढ़ी, क्या पेट्रोल और डीजल में मिलेगा फायदा?
ब्रेंट क्रूड बुधवार को सुबह के कारोबार में एक प्रतिशत से ज्यादा लुढ़ककर 92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे पहुंच गया है. वहीं डब्लूटीआई फिलहाल 85 डॉलर के स्तर के आसपास बना हुआ कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ है
ओपेक देशों के द्वारा उत्पादन में कटौती के ऐलान के बाद भी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. दरअसल चीन सहित दुनिया भर के देशों में मंदी की आशंका की वजह से मांग घटने के संकेत हैं इसी वजह से कारोबारी क्रूड को लेकर सतर्क रुख अपना रहे हैं. जिससे कीमतों में गिरावट दर्ज हुई है. बुधवार को ब्रेंट क्रूड गिरावट के साथ 92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे आ गया था. मंगलवार को ही कीमतों में 3 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली थी. फिलहाल निवेशकों की नजरें ओपेक देशों के साथ साथ फेडरल रिजर्व और चीन में कोविड के मामलों पर हैं.
कहां पहुंचा कच्चा तेल
ब्रेंट क्रूड बुधवार को सुबह के कारोबार में एक प्रतिशत से ज्यादा लुढ़ककर 92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे पहुंच गया है. वहीं डब्लूटीआई फिलहाल 85 डॉलर के स्तर के आसपास बना हुआ है. कच्चे तेल में अगस्त के अंत से ही गिरावट का रुख है. 29 अगस्त को ब्रेंट क्रूड 105 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पर था. फिलहाल कच्चा तेल 92 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे है. यानि 10 दिन के अंदर ब्रेंट क्रूड 13 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा सस्ता हो चुका है. हफ्ते की शुरुआत में ही क्रूड में तब हल्की तेजी देखने को मिली थी जब ओपेक देशों ने उत्पादन में कटौती का ऐलान किया था. हालांकि मांग घटने की आशंका के बाद कीमतों में एक बार फिर गिरावट दर्ज हुई. चीन में कोविड को लेकर सख्त नियमों की वजह से मांग में लगातार दबाव बना हुआ है. वहीं यूरोपियन देशों में भी सुस्ती की आशंका से कच्चे तेल को लेकर सेंटीमेंट्स बिगड़े हैं. जिसका असर कीमतों पर है.
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क्या मिलेगा तेल कीमतों में फायदा
क्रूड की ये कीमतें दिसंबर कॉन्ट्रैक्ट की हैं. वहीं फिलहाल तेल कंपनियों को पेट्रोल की स्थिर कीमतों पर नुकसान बना हुआ है. कंपनियों की नजर ओपेक प्लस देशों पर है. दरअसल ओपेक देशों ने कहा है कि वो कीमतों में गिरावट को देखते हुए उत्पादन की समीक्षा समय से पहले कर सकते हैं. ओपेक देशों की अगली बैठक 5 अक्टूबर को होनी है. ऐसे में अगर ओपेक देश उत्पादन में बड़ी कटौती करते हैं तो तेल की की कीमतों में बढ़त देखने को मिल सकती है. वहीं दूसरी तरफ अगर कच्चे तेल की कीमतें इसी स्तरों पर बनी रहती हैं या कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के साथ इससे भी नीचे जाती हैं तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में फेस्टिव सीजन के दौरान कटौती का फायदा मिल सकता है.
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