हमने अनुपालन कारणों से संबद्ध कार्यक्रम को बंद कर दिया है। इसलिए, सभी संबद्ध कार्यक्रम प्रतिभागी एक्सचेंजों के संबद्ध लिंक हटा दिए गए थे।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Market Capitalization is one way to rank the relative size of a cryptocurrency. It's calculated by multiplying the Price by the Circulating Supply.
मार्केट कैप = मूल्य X परिचालित आपूर्ति
" परिचालित आपूर्ति" , " कुल आपूर्ति " , और " अधिकतम आपूर्ति " , के बीच क्या अंतर है?
" परिचालित आपूर्ति" मार्केट और सार्वजनिक आपूर्ति का अनुमान है
कुल क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है आपूर्ति अभी अस्तित्व में कॉइन की संख्या है
अधिकतम आपूर्ति उस मुद्रा के पूरे जीवनकाल में अधिकतम अस्तित्व में आ सकने वाले कॉइनो की संख्या है
We've found that Circulating Supply is a much better metric for determining the market capitalization. Coins that are locked, reserved, or not able to be sold on the public market are coins that can't affect the price and thus should not be allowed to affect the market capitalization as well. The method of using the Circulating Supply is analogous to the method of using public float for determining the market capitalization of companies in traditional investing.
कॉइन और टोकन मे क्या अंतर है।
कॉइन एक क्रिप्टोकरेंसी है जो स्वतंत्र रूप से काम कर सकती है ।
A Token is a cryptocurrency that depends on another cryptocurrency as a platform to operate. Check out the crypto tokens listings to view a list of tokens and their respective platforms.
CoinMarketCap पर सूचीबद्ध होने के लिए क्रिप्टोक्यूरेंसी या एक्सचेंज के लिए मापदंड क्या है?
कृपया क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिए कार्यप्रणाली के लिस्टिंग मानदंड का संदर्भ लें।
जब एक्सचेंज पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाता है, तो यह संभव है कि व्यापारी (या बॉट) स्वयं व्यापार करके क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है और दंड के बिना कई "नकली " मात्रा उत्पन्न करे सके। यह निर्धारित करना असंभव है कि मात्रा कितना नकली है, इसलिए हम पूरी तरह से गणना से अलग नहीं करते हैं।
Crypto News: प्राइवेट और पब्लिक क्रिप्टो करेंसी में क्या अंतर है?
पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी
ऐसी सभी क्रिप्टो करेंसी जिनके ट्रांजैक्शन एक-दूसरे से लिंक हो उन्हें पब्लिक क्रिप्टो करेंसी कहते हैं। पब्लिक क्रिप्टो करेंसी में यह पता किया जा सकता है कि यह करेंसी किस किस व्यक्ति के पास से गुजरी है। बिटकॉइन, इथर या टेलर से लेकर तमाम बड़ी क्रिप्टो करेंसी पब्लिक क्रिप्टो करेंसी हैं।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी
कई क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं जिनके लेनदेन की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है, इन्हें प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं। Monero, Dash और दूसरे Crypto token भी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी में आते हैं। इन प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी में यूजर की प्राइवेसी बनी रहती है, उनका डेटा सुरक्षित रहता है। इसे प्राइवेट टोकन भी कहते हैं।
प्राइवेट कॉइन की खासियत
प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी यूजर के वॉलेट का बैलेंस और उसका पता जाहिर नहीं होने देते। इसी विशेषता के चलते इनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में हो सकता है। भारत में सरकार क्रिप्टो करेंसी पर जो कानून ला रही है उसके तहत प्राइवेट किसको करेंसी को बैन किया जा सकता है।
Stock Exchange
हमारा ध्यान बदलाव के अवसरों पर है, और हमारा लक्ष्य वित्त की दुनिया को प्रेरित करने और एक पर्यावरण बनने के लिए सशक्त बनाना है जहां निवेशक हित पहले आते हैं,
बाजार अपने सबसे अच्छे रूप में कार्य करते हैं, और अर्थव्यवस्थाएं बढ़ती हैं।
स्टॉक मार्केट समझने के लिए एक कठिन विषय नहीं है जैसा कि आप सोच सकते हैं और कोई भी सीख सकता है कि स्टॉक कैसे व्यापार करें।
ऐसे कई विकल्प उपलब्ध हैं जिनके माध्यम से आप स्टॉक मार्केट की मूल बातें जान सकते हैं। ईमानदारी और लगातार प्रयासों के साथ, आप स्टॉक मार्केट एक्सचेंज सीख सकते हैं।
आपके मन में एक सवाल उठ सकता है। मुझे स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग क्यों सीखना चाहिए? आप एक छात्र या एक युवा पेशेवर या सेवानिवृत्त हो सकते हैं।
आपकी स्थिति या उम्र जो भी हो, आपके कुछ सपने हो सकते हैं जिन्हें पूरा करना होगा।
और इसके लिए आपको उचित समय पर उचित धनराशि की आवश्यकता है जिसका अर्थ है कि आपको निवेश शुरू करना होगा।
बाइनेंस को खरीदा
निश्चल शेट्टी का वजीर एक्स एक क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जिसमें यूजर को बिटकॉइन, इथेरियम, लाइटकॉइन और रिपल्स जैसी लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी खरीदने, बेचने या ट्रेड करने का मौका मिलता है। शेट्टी ने वजीरएक्स की शुरुआत क्रिप्टो क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है करेंसी में खुदरा निवेशकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए की थी। लॉन्च होने के 2 साल से भी कम समय में वजीरएक्स ने बाइनेंस (Binance) का अधिग्रहण कर लिया। बाइनेंस (Binance) उस समय दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज थी।
सोशल मीडिया मैनेजमेंट
इसके बाद अप्रैल में निश्चल शेट्टी के वजीरएक्स की वैल्यू बिलियन डॉलर के करीब पहुंच गई। इसके बाद भी वजीरएक्स के संस्थापकों का कारोबार सोशल मीडिया बिजनेस के जरिए ही चलता रहा। शेट्टी ने कहा, "मेरे कारोबार की शुरुआत सोशल मीडिया मैनेजमेंट से हुई। अगर आपके पास टि्वटर, इंस्टाग्राम अकाउंट है तो आप इसे एक जगह से मैनेज कर सकते हैं।" साल 2010 में शेट्टी ने अपना पहला बिजनेस शुरू किया था। इसी साल उनकी कंप्यूटर साइंस की डिग्री पूरी हुई थी।
ब्लॉकचेन तकनीक पर काम
निश्चल शेट्टी ने पहले क्राउडफायर नाम से एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने की कोशिश की। दुनिया में काम कर रही सोशल मीडिया कंपनियां एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) के जरिए थर्ड पार्टी डेवलपर को अपने जैसा कारोबार बनाने से रोकती हैं। इस वजह से शेट्टी और साथियों को लगा कि इस योजना में बदलाव करने की जरूरत है। शेट्टी ने कहा कि इस वजह से उन्हें कई फीचर को हटाना पड़ा जो उनके लिए कमाई के साधन थे। उसके बाद शेट्टी ने ब्लॉकचेन पर काम करना शुरू किया। यह एक बंटा हुआ डेटाबेस होता है जिसमें किसी सिंगल पार्टी या कंपनी का कंट्रोल नहीं होता।
बिटकॉइन बना वरदान
जिस समय शेट्टी और उनके दोस्तों ने ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करना शुरू किया, उसी समय क्रिप्टो करेंसी उनके लिए वरदान बन कर सामने आई। खासतौर पर बिटकॉइन में दुनिया भर में लोगों की दिलचस्पी बढ़ने की वजह से उन्हें इस कारोबार में हाथ आजमाने का बड़ा मौका मिला। साल 2017 के अंत में शेट्टी और उनके दोस्तों ने सोचा कि वह अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर ब्लॉकचेन आधारित प्लेटफार्म बनाएं जिससे क्रिप्टो ट्रेडिंग (Crypto Trade) की जा सके।
सम्बंधित ख़बरें
उदाहरण के तौर पर नेपाल ने भारत के साथ फिक्सड पेग एक्सचेंज रेट अपनाया है. इसलिए एक भारतीय रुपये की कीमत नेपाल में 1.6 नेपाली रुपये होती है. नेपाल के अलावा मिडिल ईस्ट के कई देशों ने क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है भी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट अपनाया है.
डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा कारोबार डॉलर में ही होता है. हम जो सामान विदेश से मंगवाते हैं उसके बदले हमें डॉलर देना पड़ता है और जब हम बेचते हैं तो हमें डॉलर मिलता है. अभी जो हालात हैं उसमें हम इम्पोर्ट ज्यादा कर रहे हैं और एक्सपोर्ट कम कर रहे हैं. जिसकी वजह से हम ज्यादा डॉलर दूसरे देशों को दे रहे हैं और हमें कम डॉलर मिल रहा है. आसान भाषा में कहें तो दुनिया को हम सामान कम बेच रहे हैं और खरीद ज्यादा रहे हैं.
फॉरेन एक्सचेंज मार्केट क्या होता है?
आसान भाषा में कहें तो फॉरेन एक्सचेंज एक अंतरराष्ट्रीय क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है बाजार है जहां दुनियाभर की मुद्राएं खरीदी और बेची जाती हैं. यह बाजार डिसेंट्रलाइज्ड होता है. यहां एक निश्चित रेट पर एक करेंसी के बदले दूसरी करेंसी खरीदी या बेची जाती है. दोनों करेंसी जिस भाव पर खरीदी-बेची जाती है उसे ही एक्सचेंज रेट कहते हैं. यह एक्सचेंज रेट मांग और आपूर्ति के सिंद्धांत के हिसाब से घटता-बढ़ता रहा है.
करेंसी का डिप्रीशीएशन तब होता है क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है जब फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट पर करेंसी की कीमत घटती है. करेंसी का डिवैल्यूऐशन तब होता है जब कोई देश जान बूझकर अपने देश की करेंसी की कीमत को घटाता है. जिसे मुद्रा का अवमूल्यन भी कहा जाता है. उदाहरण के तौर पर चीन ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया. साल 2015 में People’s Bank of China (PBOC) ने अपनी मुद्रा चीनी युआन रेनमिंबी (CNY) की कीमत घटाई.<
मुद्रा का अवमूल्यन क्यों किया जाता है?
करेंसी की कीमत घटाने से आप विदेश में ज्यादा सामान बेच पाते हैं. यानी आपका एक्सपोर्ट बढ़ता है. जब एक्सपोर्ट बढ़ेगा तो विदेशी मुद्रा ज्यादा आएगी. आसान भाषा में समझ सकते हैं कि एक किलो चीनी का दाम अगर 40 रुपये हैं तो पहले एक डॉलर में 75 रुपये थे तो अब 80 रुपये हैं. यानी अब आप एक डॉलर में पूरे दो किलो चीनी खरीद सकते हैं. यानी रुपये की कीमत गिरने से विदेशियों को भारत में बना सामान सस्ता पड़ेगा जिससे एक्सपोर्ट बढ़ेगा और देश में विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा.
डॉलर की कीमत सिर्फ रुपये के मुकाबले ही नहीं बढ़ रही है. डॉलर की कीमत दुनियाभर की सभी करेंसी के मुकाबले बढ़ी है. अगर आप दुनिया के टॉप अर्थव्यवस्था वाले देशों से तुलना क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है करेंगे तो देखेंगे कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत उतनी नहीं गिरी है जितनी बाकी देशों क्रिप्टो एक्सचेंज और स्टॉक एक्सचेंज के बीच क्या अंतर है की गिरी है.
यूरो डॉलर के मुकाबले पिछले 20 साल के न्यूनतम स्तर पर है. कुछ दिनों पहले एक यूरो की कीमत लगभग एक डॉलर हो गई थी. जो कि 2009 के आसपास 1.5 डॉलर थी. साल 2022 के पहले 6 महीने में ही यूरो की कीमत डॉलर के मुकाबले 11 फीसदी, येन की कीमत 19 फीसदी और पाउंड की कीमत 13 फीसदी गिरी है. इसी समय के भारतीय रुपये में करीब 6 फीसदी की गिरावट आई है. यानी भारतीय रुपया यूरो, पाउंड और येन के मुकाबले कम गिरा है.
डॉलर क्यों मजबूत हो रहा है?
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में अस्थिरता आई. डिमांड-सप्लाई की चेन बिगड़ी. निवेशकों ने डर की वजह से दुनियाभर के बाज़ारों से पैसा निकाला और सुरक्षित जगहों पर निवेश किया. अमेरिकी निवेशकों ने भी भारत, यूरोप और दुनिया के बाकी हिस्सों से पैसा निकाला.
अमेरिका महंगाई नियंत्रित करने के लिए ऐतिहासिक रूप से ब्याज दरें बढ़ा रहा है. फेडरल रिजर्व ने कहा था कि वो तीन तीमाही में ब्याज दरें 1.5 फीसदी से 1.75 फीसदी तक बढ़ाएगा. ब्याज़ दर बढ़ने की वजह से भी निवेशक पैसा वापस अमेरिका में निवेश कर रहे हैं.
2020 के आर्थिक मंदी के समय अमेरिका ने लोगों के खाते में सीधे कैश ट्रांसफर किया था, ये पैसा अमेरिकी लोगों ने दुनिया के बाकी देशों में निवेश भी किया था, अब ये पैसा भी वापस अमेरिका लौट रहा है.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 393