फिक्स्ड डिपॉजिट और रियल एस्टेट प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट, सबसे लोकप्रिय इन्वेस्टमेंट विकल्प रहे हैं. हालांकि, ये दोनों एक दूसरे से बेहद अलग हैं और इन्वेस्टर की अलग-अलग आवश्यकताओं को पूरा करते हैं.
अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें
जब कोई निवेश की पहल करता है तो वह इससे जुड़े जोखिम का भी विश्लेषण करता है। लेकिन जोखिम के मुकाबले प्रतिफल की तुलना करना लोग अक्सर भूल जाते हैं। अगर कोई निवेशक तुलना करता है तो भविष्य में प्रतिफल और निवेश से संबंधित फैसले कर पाने में सफल होता है। जोखिम-प्रतिफल की संकल्पना सभी प्रकार के निवेश के लिए समान होती है। लेकिन कई ऐसे निवेशक हैं जो यह नहीं समझ पाते कि अपने पोर्टफोलियो में जोखिम-प्रतिफल की संकल्पना को किस तरह लागू करें।
अगर आप भी उन निवेशकों की श्रेणी में शामिल हैं तो निम्रलिखित बातों पर ध्यान दें। निवेश पर आपको अपेक्षित प्रतिफल नहीं मिलने की भी आशंका होती है। निवेश करने पर आप जो जोखिम उठाते हैं उससे प्रतिफल की भी उम्मीद जरूर करते हैं। आम तौर पर आप जितना अधिक जोखिम लेते हैं उसी हिसाब से आपको प्रतिफल भी मिलना चाहिए। इसी तरह, अगर जोखिम कम है तो प्रतिफल भी उसी हिसाब से कम रहना चाहिए।
25 से 35 वर्ष की महिलाएं
इस उम्र में महिलाओं में आगे बढ़ने का उत्साह होता है साथ ही अपनी लाइफस्टाइल को अच्छे से मैनटेन करने के चक्कर में बेफिक्र होकर खर्च करती हैं। ऐसा करने में कोई हर्ज नहीं। यह उम्र ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाने की ही होती है। इस उम्र में लोगों का वेतन बेशक कम होता है मगर छोटी-छोटी बचत करके उसे सही जगह इनवेस्ट करने की भी यही सही उम्र होती हैं। फाइनेंस एक्सपर्ट अर्विंद सेन कहते हैं, ‘इस उम्र में छोटी-छोटी बचत से लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट करना बहुत अच्छा होता है। क्योंकि इस उम्र में कोई बहुत बड़ी जिम्मेदारी नहीं होती और आने वाले 15 साल तक आप आराम से नौकरी भी कर सकती हैं।’ उदाहरण के लिए यदि कोई युवती 25 साल की है और वह हर महीने अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें रु2,000 इनवेस्ट करती है और यह क्रम लगातार चलता रहता है, तो जब वह 60 वर्ष की होगी तो उसके अच्छी खासी धनराशी जमा हो जाएगी। इस उम्र में इस तरह एक छोटी राशि का निवेश किया जाना बहुत मायने रखता है। इस उम्र के लिए हर किसी का अलग-अलग प्लैन हो सकता है। क्योंकि कोई 15 हज़ार कमाता है, तो कोई एक लाख। अपनी क्षमता अनुसार निवेश करें। इस वक़्त आप थोड़ा ज़्यादा जोखिम लेकर अपने निवेश का बड़ा हिस्सा ग्रोइंग कंपनियों में भी लगा सकते हैं।
35 से 50 वर्ष की महिलाएं
35 वर्ष की उम्र तक महिलाएं लगभग सेटल हो चुके होती हैं। अगर आप भी सेटल हो चुकी हैं तो आपको अब अपने भविष्य को संवारने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए। अगर आपके बच्चे हो चुके हैं तो आपको उनके भविष्य और उनकी पढ़ाई के लिए पैसों को ऐसी जगह इनवेस्ट करना चाहिए, जो सही वक्त पर आपको बड़ी धनराशि के रूप में मिल सकें। इस उम्र में आप गोल्ड, लॉन्ग टर्म बेनिफिट्स देने वाले बॉन्ड्स, शेयर्स आदि में निवेश कर सकती हैं। आप बैंक में लॉन्ग टर्म के लिए अपना फिक्स डिपॉजिट भी करवा सकती हैं। फिक्स डिपॉजिट सबसे सेफ इनवेस्टमेंट होती है। मगर इस में मिलने वाला ब्याज बहुत अच्छा नहीं होता। आप अगर एसआईपी या मिचुअल फंड्स में इनवेस्ट करना चाहें तो यह भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आपको यह तय करना चाहिए कि आपको आने वाले दिनों में कितने पैसे की ज़रूरत है। फिर फायनेंशियल एड्वाइज़र के साथ मिलकर अपने पैसे निवेश करें। किसी भी क़ीमत पर एक ही स्थान पर निवेश न करें। इस उम्र में भी हमारी जोखिम उठाने की क्षमता ठीक होती है। इसलिए आप अपने निवेश का 50 प्रतिशत इक्विटी में लगा सकते हैं।” अपनी निवेश राशि का 30 प्रतिशत बैलेंस फ़ंड में डाल सकती हैं। बाक़ी बचे पैसों को अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार निवेश करें।
वर्किंग महिलाएं कहां करें निवेश
अगर आप एक वर्किंग वुमन हैं और आप चाहती हैं कि कहीं अच्छी जगह इन्वेस्ट किया जाए तो अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें आप यह बिल्कुल सही सोच रही हैं। हम आपको बताएंगे कि कैसे आप बचत करने के लिए अलग-अलग जगह पर निवेश कर सकती हैं:
सोना
महिलाओं को गोल्ड से बहुत लगाव होता है। वह इसे पहनना बहुत पसंद करती हैं। मगर आप श्रृंगार के साथ ही सोने को इनवेस्टमेंट के तौर पर भी देख सकती हैं। गोल्ड में इनवेस्टमेंट के लिए आपको किसी ब्रांडेड ज्वेलर्स शॉप में अपना गोल्ड अकाउंट खोलना चाहिए। इसमें आप साल भर या उससे ज्यादा एक निश्चित धनराशि जमा करती जाती हैं और कुछ धनराशि वह ज्वेलर्स शॉप द्वारा दी जाती है। जब आपकी स्कीम पूरी हो जाती है तो आपको उतनी धनराशि का कोई गोल्ड उत्पाद दिया जाता है। बेहतर हो कि गोल्ड इनवेस्टमेंट के लिए आप गोल्ड के सिक्के या ब्लॉक खरीदें।
अतिरिक्त इन्वेस्टमेंट लागत
अपार्टमेंट या प्रॉपर्टी के भुगतान के अलावा, जब आप रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करते हैं, तो आपको अन्य लागतें भी चुकानी पड़ सकती हैं. स्वामित्व के टाइटल से लेकर स्टैम्प ड्यूटी का खर्च और रजिस्ट्रेशन शुल्क तक, ऐसी कई बातें खर्चें हैं, जिनका भुगतान करना होता है. ऐसे कई मामले रहे हैं, जहां रियल एस्टेट को रेंट पर देने से प्राप्त वार्षिक रिटर्न की दर बहुत ही कम, मात्र 2.5% रही है.
फिक्स्ड डिपॉजिट अधिक फायदेमंद है, क्योंकि आप इसमें बेहतर ब्याज दर प्राप्त कर सकते हैं. आसान एफडी कैलकुलेटर से आपको लम्बी अवधि में मिलने वाली राशि को समझने में मदद मिलेगी.
शामिल प्रोसेस
रियल एस्टेट में इन्वेस्ट करते समय, आपको प्रॉपर्टी, पड़ोस की जानकारी और इन्फ्रास्ट्रक्चर के बारे में जानने के लिए समय देना पड़ता है. आपको सलाह दी जाती है कि अपनी प्रॉपर्टी का सही मूल्य जानने के लिए किसी जानकार प्रोफेशनल से सलाह लें. सही प्रॉपर्टी खोजने में भी अधिक समय लगता है. आपको अपने समय और संसाधनों को सही ढंग से प्लान करना होगा और फिर यह समझना होगा कि क्या आपके पास रियल एस्टेट में सही जगह पर इन्वेस्टमेंट करने के लिए ज़रूरी समय है.
वहीं दूसरी ओर, फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करने की प्रोसेस बहुत आसान होती है. आप घर बैठे और आराम से केवल कुछ ही मिनटों में बजाज फाइनेंस की ऑनलाइन एफडी में इन्वेस्ट कर सकते हैं.
पारदर्शिता
The real estate system features अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें information asymmetry, where the sellers have all the information and buyers can't always verify it. If you don't want to go through the hassle of verifying each claim, choose a hassle-free investment option.
फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करते समय आप अपने इन्वेस्टमेंट को ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं. आप सुरक्षा रेटिंग के आधार पर यह चुन सकते हैं कि आपको फिक्स्ड डिपॉजिट कहां करना है, इससे आपका इन्वेस्टमेंट सुरक्षित रहता है.
अब जब आप जान गए हैं कि आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प क्या है, तो समय आ गया है कि आप अपना वर्तमान और भविष्य का पोर्टफोलियो बनाएं. यह अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें सुनिश्चित करें कि एफडी इस प्लान का हिस्सा हो और बजाज फाइनेंस से फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए अप्लाई करें. यह आपकी फाइनेंशियल आवश्यकताओं के अनुरूप बेहतरीन एफडी ब्याज दरों के साथ मनचाही अवधि की सुविधा अवधि भी प्रदान करता है.
व्यय अनुपात
यह प्रशासनिक तथा प्रचालन लागतों को कवर करने के लिए फंड द्वारा निवेशकों से वसूली जाने वाली प्रतिशत-आधारित फीस है। किसी फंड का व्यय अनुपात इसके नेट रिटर्न्स को प्रभावित अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें करता है। निम्न व्यय अनुपात से आपके पोर्टफोलियो में अधिक यूनिट्स आ सकेंगे जिससे आपके रिटर्न्स में बढ़ोतरी होगी। दीर्घकाल में, इन अतिरिक्त यूनिट्स से संबंधित कम्पाउंडिंग लाभ से आपके रिटर्न्स में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी हो सकती है।
फंड के मैनेजमेंट के लिए फंड मैनेजर्स उत्तरदायी होते हैं तथा इसकी परफॉर्मेंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्कीम को चुनने से पहले, अपने फंड मैनेजर और उसकी निवेश विचार प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर लें। आप मार्केट तथा उम्मीदों के संबंध में उनकी सामान्य कमेंट्री को जानने के लिए फंड हाउस की फैक्टशीट्स को भी देख सकते हैं। इंटरव्यूज़ तथा न्यूज पोर्टल्स अन्य साधन हैं जिनसे आप फंड मैनेजर के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें हैं।
एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की मुख्य विशेषताएं
एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस भारत में सबसे भरोसेमंद बीमा प्रदाताओं में से एक है। भारत में इतनी सारी जीवन बीमा कंपनियां उपलब्ध होने के कारण, सही बीमा कंपनी चुनना एक मुश्किल काम हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि आप सही इंश्योरर और सही प्लान चुनें जो आपके परिवार की संभावित ज़रूरतों के लिए सबसे उपयुक्त हो। इसलिए, किसी भी जीवन बीमा कंपनी को चुनने से पहले, आपको बीमा कंपनी के कुछ महत्वपूर्ण कारकों जैसे कि क्लेम सेटलमेंट रेशियो, सॉल्वेंसी रेशियो, वार्षिक प्रीमियम और ऑपरेटिंग नेटवर्क की जांच करनी होगी।
एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के प्रदर्शन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, नीचे दी गई प्रमुख विशेषताओं पर एक नज़र डालें, जो कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर विश्लेषण करने में आपकी मदद करेंगी:
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 750