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कैसे खरीदें TRON

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ट्रेन के इंजन में कितने गियर होते हैं, जॉयस्टिक क्यों होती है | GK IN HINDI

यह तो हम सभी जानते हैं कि ट्रेन अपनी पटरी पर बहुत तेज दौड़ती है। यात्रियों या माल से भरी ट्रेन की बोगियों को इंजन ना केवल आराम से खींच ले जाता है बल्कि ऊंचे पहाड़ों पर भी चढ़ जाता है। सवाल यह है कि ट्रेन की स्पीड कैसे कंट्रोल होती है। ट्रेन के इंजन में कुल कितने गियर होते हैं। कुछ इंजनों में जॉय स्टिक भी होती है। जॉय स्टिक का ज्यादातर उपयोग वीडियो गेम्स में होता है। ट्रेन के इंजन में जॉयस्टिक क्यों होती है।

गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज, दिल्ली से ग्रेजुएट इलेक्ट्रिकल इंजीनियर श्री अजय कुमार निगम मुम्बई डिवीजन मध्यरेलवे में सीनियर लोकोपायलट/मोटरमैन हैं। श्री निगम ने इस सवाल का टेक्निकल आंसर किया है। सबसे पहले हम सरल शब्दों में समझाने की कोशिश करते हैं। ट्रेन के इंजन में गियर तो होते हैं लेकिन उन्हें बदलना नहीं पड़ता। ट्रेन के गियर किसी ऑटोमेटिक कार की तरह होते हैं। स्पीड के साथ अपने आप चेंज होते रहते हैं। अब सवाल यह है कि इस तरह की तकनीक केवल हल्के वाहनों में उपयोग की जाती है, भारी वाहन (ट्रक या यात्री बस इत्यादि) में ऑटोमेटिक गियर सफल नहीं माने जाते तो फिर ट्रेन में यह सफलतापूर्वक कैसे काम करते हैं।

क्या ट्रेन के इंजन में ट्रक या बस के जैसे इंजन होते हैं

श्री अजय कुमार निगम बताते हैं कि भारतीय रेल में चलने वाली ट्रेनों को खींचने के लिए मुख्यतः दो तरह के लोकोमोटिव हैं, इलेक्ट्रिक और डीजल। यदि आपका सवाल कार, बस, ट्रक या मोटरसाइकिल चलाते समय अलग-अलग गतियों पर जो गियर बदले जाते हैं उनसे है तो कृपया जान लें कि रेल के लोकोमोटिवों में इस तरह के गियर नहीं होते हैं।चूंकि सड़क वाहनों (CAR, BUS और TRUCK) में उनमे लगे डीजल या पेट्रोल इंजन से उत्पन्न घूर्णन बल को उनके पहियों तक पंहुचाना होता है, इसके लिए इन गियर्स का सहारा लिया जाता है।

जबकि लोकोमोटिवों में जहाँ तक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का सवाल है वहाँ ऐसा कोई डीजल या पेट्रोल इंजिन है ही नहीं। वहाँ सिर के ऊपर जो तार है उससे बिजली लेकर एक्सलों पर लगी हुई ट्रैक्शन मोटरों को सप्लाई कर दी जाती है। फिर स्पीड कंट्रोल के लिए इसी सप्लाई को कंट्रोल करने की आवश्यकता है। जिसे एक ऑटो ट्रांसफॉर्मर की सहायता से कंट्रोल किया जाता है।

ट्रेन के डीजल इंजन कैसे बनाए जाते हैं

वहीं डीजल लोकोमोटिव में लगाये गए डीजल इंजन के साथ एक जेनेरेटर या अल्टरनेटर कपल किया जाता है। इस जनरेटर या अल्टरनेटर से मिलने वाली बिजली की सप्लाई को इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की ही तरह एक्सलों पर लगाई गई ट्रैक्शन मोटरों को फीड किया जाता है। यहाँ ट्रांसफार्मर की आवश्यकता नहीं, सप्लाई कम ज्यादा करने के लिए डीजल इंजन की स्पीड कम-ज्यादा करने से काम बन जाता है।

एक्सलों पर लगाई गई ट्रैक्शन मोटरों की आर्मेचर ड्राइव शाफ़्ट पर एक पिनियन गियर होता है, जो कि एक्सल पर लगाये गए बुल गियर या गियर व्हील के साथ जुड़ा रहता है। जब सप्लाई मिलने पर मोटर घूमती है, तब पिनियन और बुल गियर की सहायता से एक्सल भी घूमता है और इस प्रकार लोकोमोटिव को गति मिलती है और पीछे जुड़ी हुई ट्रेन भी चल पड़ती है।

ट्रेन के इंजन में गियर की संख्या कितनी कैसे खरीदें TRON होती है

एक लोकोमोटिव में सामान्यतः छः एक्सल होते हैं, सभी पर एक-एक ट्रैक्शन मोटर लगाई जाती है। छः ट्रैक्शन मोटरों के छः पिनियन गियर और फिर छः बुल गियर, इस तरह ट्रैक्शन संबंधित कार्य के लिए एक लोकोमोटिव में बारह गियर होते हैं, कहा जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे ये बारह गियर साधारण बस और ट्रक में लगे हुए मैन्युअल पावर ट्रांसमिशन गियरों से एकदम अलग हैं। ये प्रत्येक एक्सल के ऊपर ट्रैक्शन मोटर की आर्मेचर ड्राइव शाफ़्ट के साथ लोकोमोटिव के निचले कैसे खरीदें TRON भाग में एक बॉक्स (गियर केस) के अंदर तेल (कार्डियम कंपाउंड) में डूबे रहते हैं।

परंपरागत इलेक्ट्रिक लोकोमोटिवों में ऑटो ट्रांसफार्मर से ट्रैक्शन मोटर्स के लिए कुल 32 टेपिंग्स ली जाती हैं, मतलब 1 से लेकर 32 नॉच लेते हुए धीरे-धीरे स्पीड बड़ाई और 32 से वापस 1 और फिर जीरो नॉच कम करके स्पीड कम की जाती है।

जबकि नवीन थ्री फेज तकनीक से युक्त इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में सिर्फ एक जॉय-स्टिक को ट्रैक्शन की तरफ मूव करने पर पावर इक्विपमेंट्स में लगे हाई स्पीड स्विचिंग डिवाइस ऑपरेट होकर ट्रांसफार्मर से मिलने वाली सप्लाई वोल्टेज के साथ फ्रीक्वेंसी को भी नियंत्रित करके वहाँ लगी थ्री फेज इंडक्शन मोटरों को सप्लाई देते हैं, जिससे लोकोमोटिव को गति मिलती है। यहाँ सारा काम ऑपरेटर (लोको पायलट) की माँग के अनुसार ट्रैक्शन कंप्यूटर्स द्वारा किया जाता है।

कोहरे के मौसम में ट्रेनों की देरी से बचने के लिए भारतीय रेलवे का नया कदम,अब कोहरे की वजह लेट नहीं होंगी ट्रेन

Indian Railways

Indian Railways

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2022,
  • (Updated 07 दिसंबर 2022, कैसे खरीदें TRON 7:58 AM IST)

हर साल कोहरे की वजह से ट्रेन कैंसिल होती हैं तो कई बार कैसे खरीदें TRON कैसे खरीदें TRON कोहरे की वजह से ट्रेन के परिचान में भी दिक्कत आती है. ऐसे में भारतीय रेल ने इस बार यात्रियों को सुविधा का ध्यान रखते हुए कई ऐसे कदम उठाए हैं जिसकी वजह से इस बार कोहरे की वजह से ट्रेन लेट या कैंसिल नहीं होगी. कोहरे के मौसम में ट्रेनों के संचालन के लिए सुरक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए, भारतीय रेलवे ने देश के उत्तरी भागों में कोहरे के दौरान ट्रेनों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं.

UTS Railway App : लोकल ट्रेन टिकट यूटीएस ऐप के जरिए ऑनलाइन कैसे करें बुक, जानिए स्टेप बाय स्टेप

रामानुज सिंह

how to book local train tickets online through UTS App

  • सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने रेलवे लोकल ट्रेन टिकट बुक करने लिए ऐप सुविधा दी है
  • आप लोकल ट्रेन के लिए एडवांस में भी यूटीएस ऐप के जरिए टिकट बुक कर सकते हैं
  • यूटीएस ऐप के जरिए 200 किलो मीटर तक की यात्रा के लिए लोकल टिकट बुक करा सकते हैं

कोरोना वायरस की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए भारतीय रेलवे ने फैसला किया कि स्टेशन पर यात्री लंबी कतार में खड़े होकर टिकट ना खरीदें। इसके लिए उसने UTS ऐप लॉन्च किया है। इस प्रकार उन शहरों में रहने वाले लोग जिनके पास सब अरबन ट्रेन नेटवर्क है। जैसे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई में लोकल ट्रेनों की सुविधा है। इसके यात्री इस ऐप का उपयोग लोकल ट्रेन टिकट बुक करने और लंबी कतारों में खड़े होने की परेशानी से खुद को बचाने के लिए कर सकते हैं। यूटीएस या अनारक्षित टिकटिंग सिस्टम यात्रियों को उन सीटों को खरीदने की अनुमति देता है, जिन्हें लोकल ट्रेनों में आरक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।

एडवांस यात्रा के लिए भी खरीद सकते हैं अनरिजर्वड टिकट

200 किमी या उससे अधिक की यात्रा के लिए 3 दिन पहले अनरिजर्वड टिकट खरीद सकते हैं। इसके अलावा, वे अनरिजर्वड टिकट भी खरीद सकते हैं जिसमें सेम डे किसी भी दूरी की यात्रा शामिल हो। इस प्रकार, यूटीएस ऐप लोगों को अनरिजर्वड टिकट ऑनलाइन खरीदने की अनुमति देता है। ऐप एंड्रॉइड के साथ-साथ iOS के लिए ऑनलाइन ऐप स्टोर पर उपलब्ध है।

यूटीएस आपको दो प्रकार के टिकट बुक करने की अनुमति देता है- पेपर और पेपरलेस टिकट।

पेपरलेस टिकट: यात्री पेपरलेस यात्रा टिकट बुक कर सकते हैं और उन्हें प्रिंट करने की जरूरत नहीं है। वे टिकट की हार्ड कॉपी के बिना भी यात्रा कर सकते हैं और जब टिकट चेकिंग स्टाफ टिकट मांगता है, तो यात्री इसे ऐप के माध्यम से ऑनलाइन टिकट दिखा सकते हैं।

पेपर टिकट: यात्रियों को यूटीएस ऐप के माध्यम से टिकट बुक करना होगा। यात्रियों को एसएमएस के जरिए बुकिंग आईडी मिलेगी। वे बुकिंग हिस्ट्री में डिटेल भी प्राप्त कर सकते हैं और ट्रेन पर चढ़ने के लिए स्टेशनों पर पहुंचने पर वे बुकिंग आईडी का उपयोग करके एटीवीएम (स्वचालित कैसे खरीदें TRON टिकट वेंडिंग मशीन) के माध्यम से टिकट प्रिंट कर सकते हैं।

Indian Railways IRCTC: 3 घंटे से अधिक लेट हुई आपकी ट्रेन तो मिलेगा रिफंड, जानिए क्‍या है शर्त

Indian Railways IRCTC: 3 घंटे से अधिक लेट हुई आपकी ट्रेन तो मिलेगा रिफंड, जानिए क्‍या है शर्त

आप भी ले सकते हैं ट्रेन लेने पर रिफंड, जानिए कैसे (फाइल फोटो)

भारतीय रेलवे की ओर से बहुत से अधिकार यात्रियों को दिए जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि अगर कोई ट्रेन लेट होती है तो इसपर आप टिकट का रिफंड ले सकते हैं। यह नियम कोई नया नहीं हैं, यह नियम हर एक ट्रेन पर लागू होता है। ऐसे में अगर आप भी ट्रेन से सफर कर रहे हैं और आपकी भी ट्रेन लेट होती है तो आप कैसे और किन शर्तों के तहत रिफंड पा सकते हैं? आइए जानते हैं रेलवे के इस खास नियम के बारे में पूरी डिटेल।

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