Trading kise kahate hain | ट्रेडिंग कैसे करते हैं | ट्रेडिंग के प्रकार क्या हैं
यदि आप स्टॉक मार्किट में जरा भी दिलचस्पी रखते हैं, तो आपने ट्रेडिंग शब्द जरूर सुना ट्रेडिंग पोजीशन होगा, क्या आप जानते हैं, ट्रेडिंग क्या होता है, Trading kise kahate hain, ट्रेडिंग क्यों की जाती है, और ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है। तो ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
दरअसल जब आप स्टॉक मार्किट में अपनी शुरुवात करते हैं, तो आप के लिए कई शब्द बिलकुल नए होते हैं, जिनके बारे में आपको कोई जानकारी नहीं होती है, जैसे स्टॉक एक्सचेंज, आईपीओ, सेंसेक्स, निफ़्टी, इन्वेस्टर, रिटेलर इत्यादि, और इन्ही में से एक शब्द Trading भी है। तो चलिए जानते हैं, Trading क्या होता है।
पिछले कुछ समय में जिस गति से लोगों के बीच स्टॉक मार्किट में इन्वेस्टमेंट को लेकर चलन बड़ा है, खास करके युवा वर्ग की स्टॉक मार्किट में काफी दिलचस्पी देखि गई है, इस से पता चलता है, की आने वाले समय में भारत में नए निवेशकों की संख्या में बंपर बढ़ोतरी होने वाली है।
ट्रेडिंग क्या होता है | Trading kise kahate hain
ट्रेडिंग का हिंदी में अर्थ होता है, व्यापार, जब दो संस्थाओं के बीच आम तोर पर मुनाफे के उद्देश्य से वस्तुओं या सेवाओं का आदान प्रदान होता है, तो वह ट्रेडिंग केहलाता है। ट्रेडिंग यानि व्यापार द्वारा ही धन प्राप्त होता है, और यही समाज में प्रगति के चक्र को भी नियंत्रित करता है। ट्रेड वस्तुओं या सेवाओं के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इसकी प्रक्रिया लगभग एक समान ही होती है।
अब यदि फाइनेंसियल मार्किट या स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग को समझें, की ट्रेडिंग क्या होती है? तो यहाँ पर आम बाजार की तरह प्रोडक्ट और सेवाओं के जगह कंपनियों के स्टॉक्स, शेयर्स, बांड्स इत्यादि को ख़रीदा व बेचा जाता है। वह व्यक्ति जो कपनियों के स्टॉक्स को मुनाफे के उद्देश्य से खरीदता व बेचता है, उसे Trader कहा जाता है, और बाजार जहाँ पर ट्रेडिंग की जाती है, वह शेयर बाजार केहलाता है।
ट्रेडिंग मुख्य रूप से छोटी अवधी में कंपनियों के स्टॉक्स को खरीद व बेच कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाने से जुड़ा है, इसमें ट्रेडर द्वारा बाजार के उतार-चढ़ाव का लाभ लिया जाता है। बाजार से मुनाफा क्या और कितना होगा यह बाजार के मूड, ट्रेडर की तकनीक और उसकी एनालिसिस स्किल पर निर्भर करता है। भारत में मुख्य दो स्टॉक एक्सचेंज हैं, BSE और NSE इन दोनों में ट्रेडिंग का समय सुबह 9:15 AM से शाम 3:30 PM Monday से Friday तक होता है, इसके बाद मार्केट बंद हो जाता है।
ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है, जिसके लिए में पर्सनली Grow App को दूसरे प्लेटफॉर्म्स की तुलना में बेहतर मानता हूँ, क्योंकि यह एक User friendly एप्प है, जिसका नेविगेशन काफी आसान है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर आप Grow App को Download, Install व Register कर सकते हैं।
स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग के प्रकार | Types of Stock market Trading in Hindi
स्टॉक मार्किट ट्रेडिंग के मुख्य तीन प्रकार हैं।
Intraday Trading :-
इंट्राडे ट्रेडिंग को डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है, जब कोई निवेशक एक ही दिन के भीतर कोई स्टॉक्स खरीदता और बेचता है, तो वह Intraday trading केहलाता है। इसका अर्थ हुवा की यदि आपने आज के दिन में किसी कंपनी के स्टॉक्स ख़रीदे हैं, तो मार्किट बंद होने तक आज ही आपको उन स्टॉक्स को बेचना होगा। इस प्रकार की ट्रेडिंग अनुभवी ट्रेडर्स के द्वारा की जाती है, क्योंकि इसमें रिस्क अधिक होता है, और तेजी से निर्णय लेने पड़ते हैं।
Position Trading :-
पोजीशन ट्रेडिंग में इंट्राडे की तुलना में निवेशक को ट्रेडिंग के लिए अधिक समय मिल जाता है, क्योंकि यह Buy और Hold रणनीति पर निर्भर करता है। इसमें निवेशक लंबे समय तक के लिए स्टॉक्स को होल्ड रख सकता है, जब तक की स्टॉक्स के दाम में वृद्धि ना हो जाए, यानि इसमें निवेशक हफ़्तों और महीनों तक स्टॉक्स को होल्ड रख सकता है।
Scalping Trading :-
स्काल्पिंग ट्रेडिंग का सबसे शार्ट टर्म फॉर्म है, जिसमे एक ही दिन के भीतर ट्रेडर कई ट्रेड कर लेते हैं, जिनकी संख्या 10 से कई 100 ट्रेड तक हो सकती है। इस ट्रेडिंग रणनीति में ट्रेडर का उद्देश्य स्टॉक की कीमतों में होने वाले छोटे बदलावों से मुनाफा कमाना होता है, क्योंकि उनके द्वारा ऐसा माना जाता है, की स्टॉक की कीमतों में होने वाले छोटे बदलावों का अनुमान लगाना बढे बदलावों की तुलना में ज्यादा आसान होता है। स्कल्पिंग ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स को Scalper कहा जाता है।
Swing Trading :-
स्कल्पिंग से उलट स्विंग ट्रेडिंग में ट्रेडर्स अपनी पोजीशन को दिनों और हफ़्तों तक बनाए रख सकते हैं। इसमें मुख्य रूप से ट्रेडर ट्रेंड को पेहचान कर अपना निर्णय लेते हैं, और ट्रेंड की पेहचान के लिए Technical indicators का उपयोग किया जाता है, जिसके द्वारा अनुमान लगाया जाता है, की कोई ट्रेडिंग पोजीशन स्टॉक ऊपर जाएगा या नीचे और उसी अनुसारी स्टॉक्स की buying और selling की जाती है।
अंतिम शब्द
ट्रेडिंग में जिस प्रकार युवाओं की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है, अधिक से अधिक लोग प्रतिदिन ट्रेडिंग में अपने सफर की शुरुवात कर रहे हैं, ऐसे में स्टॉक मार्किट में उन सभी नए Users के लिए यह पोस्ट मददगार साबित हो सकती है। हमें उम्मीद है, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप जान गए होंगे Trading kise kahate hain और यह कितने प्रकार की होती है। इस पोस्ट से जुड़े यदि आपके कोई सवाल या सुझाव हैं, तो आप हमें कमेंट द्वारा नीचे बता सकते हैं।
ओपन पोजीशन
ओपन पोजीशन (Open Position) ट्रेडिंग के व्यवहार को संदर्भित करती है जहां उपयोगकर्ता ट्रेडिंग शुरू करते हैं। क्रिप्टो फ्यूचर्स ट्रेडिंग में, एक खरीद, एक लांग पोजीशन, एक बिक्री, या एक शॉर्ट पोजीशन के बाद एक ओपन पोजीशन मौजूद हो सकती है।
एक लांग पोजीशन (एक खरीद): बाजार के बढ़ने की उम्मीद होने पर क्रिप्टोकरंसी खरीदें और मार्केट के अपेक्षित लेवल पर पहुंच जाने पर प्रोफिट लेने के लिए बेचें, जो कि स्पॉट मार्केट में “बाय लो एंड सेल हाई” के समान है।
एक शॉर्ट पोजीशन (एक बिक्री): मार्केट में गिरावट की उम्मीद होने पर क्रिप्टोकरंसी बेचें, और जब बाजार अपेक्षित लेवल तक टूट जाए तो प्रोफिट लेने के लिए खरीद लें, जो कि "लांग पोजीशन" के विपरीत एकशन्स हैं, यानी बेचने के लिए क्रिप्टो को एडवांस में उधार लें, मार्केट में गिरावट आने पर उन्हें कम कीमत पर फिर से खरीद लें, और उधार लिए गए पैसे को चुकाएं और खरीदने और बेचने की लागत के बीच के अंतर पर प्रोफिट लें।
ऑपरेट कैसे करें:
ऑर्डर का प्रकार और मार्जिन मोड सिलेक्ट करें, लेवरेज सेट करें, टोकन प्राइज और खरीद राशि दर्ज करें, और "खरीदें" पर क्लिक करें।
ऑर्डर का प्रकार और मार्जिन मोड सिलेक्ट करें, लेवरेज सेट करें, टोकन प्राइज और खरीद राशि दर्ज करें, और “बेचें” पर क्लिक करें।
एंट्री प्राइज, मार्क प्राइज, अनुमा. लिक्विड प्राइज, मार्जिन अनुपात, PnL आदि देखने के लिए “पोजीशन्स” पर क्लिक करें।
कृपया ध्यान दें: ऊपर का उदाहरण PC क्लाइंट के लिए है। AscendEX की फ्यूचर्स ट्रेडिंग के बारे में ज्यादा जानने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक करें।
ध्यान दें:
फ्यूचर्स ट्रेडिंग में लेवरेज का इस्तेमाल इंवेस्टमेंट के रिस्क को बढ़ाता है जबकि उपयोगकर्ताओं को उनके रिटर्न्स को मल्टीप्लाय करने में मदद करता है। एक बहुत ज्यादा वोलेटाइल मार्केट किसी खाते के एसेट्स के जबरन लिक्विडेशन का कारण हो सकता है। रिस्क कंट्रोल के लिए मार्केट के उतार-चढ़ाव पर पूरा ध्यान देना सुनिश्चित करें।
इन 5 बातों का ट्रेडिंग पोजीशन रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे
जो लोग शेयर बाजार में एक ही दिन में पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है. इसमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.
क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग
शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी रणनीति और एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.
1. इंट्रा ट्रेडिंग पोजीशन डे ट्रेडिंग में सिर्फ लिक्विड स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए. जबकि वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनानी चाहिए.
2. इंट्रा डे में बहुत ज्यादा स्टॉक की जगह अच्छे 2-3 शेयर्स का चुनाव करना चाहिए.
3. शेयर चुनते वक्त बाजार का ट्रेंड देखना चाहिए. इसके बाद कंपनी की पोर्टफोलियो चेक करें. आप चाहे तो शेयर को लेकर एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं.
4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में स्टॉक में उछाल और गिरावट तेजी से आते है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस जरूर तय कर लेना चाहिए. जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके.
5.इंट्रा डे में अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की खरीददारी करना बेहतर होता है.
डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग
अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.
डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.ट्रेडिंग पोजीशन
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
Positional Trading क्या है – पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करे
आज हम इस पोस्ट में जानेंगे कि Positional Trading Kya Hai और Positional Trading Kaise Kare. लोग हर साल लाखों रुपए का मुनाफा कमाते हैं क्योंकि यह ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग है जो कि आपको अन्य ट्रेडिंग और से ज्यादा मुनाफा कमा कर दे सकती हैं चलिए जानते हैं पोजीशनल ट्रेडिंग के बारे.
Positional Trading Kya Hai
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Positional Trading Meaning in Hindi
Positional Trading का Hindi Meaning “स्थिति का व्यापार” करना होता है। इस ट्रेडिंग में हम लोग एक महीने से ज्यादा की ट्रेडिंग करते है.
Positional Trading Kya Hota Hai
जिस ट्रेडिंग में हम 1 महीने से ज्यादा की ट्रेडिंग करते है उसे ही Positional Trading कहा जाता है.
Positional Trading Kya Hai
What is Positional Trading in Hindi: स्टॉक मार्केटिंग की एक इसी स्ट्रेटेजी है जिसमे हम किसी भी एक कंपनी के शेयर को कम से कम 1 महीने से लेकर 1 साल के अन्दर तक होल्ड कर के रखते है. इसके बाद जब उस शेयर में उछाल आये तब आप उसको बैच कर मुनाफा कमा सकते है.
Positional Trading में हम Share को 1 महीने से लेकर 1 साल के अन्दर तक होल्ड करके रख सकते है. इसके बाद जब शेयर मार्केट में उछाल आता है. अप इस शेयर को बैच कर मुनाफा कमाते है.
उदाहारण के तौर पर आप किसी भी कंपनी के शेयर को 1000 रूपए के 10 शेयर को खरीदते है. जिसके कुछ महीने बाद उस शेयर में 20% का उछाल आता है. आप इस शेयर को इस भाव में बैच देते है. जिससे आपके यह 1000 के शेयर की कीमत 1200 रूपए हो जाती है. इस तरह आप इसमें 200 रूपए का प्रॉफिट कमा लेते है.
Positional Trading Kaise Kare
Positional Trading करने के लिए आपको सबसे पहले यह तय करना है की आप शेयर को कितने दिन रख सकते है. आप शेयर को कम से कम 1 महीने तक जरुर होल्ड करके रखे. जिससे आपको इसमें नुकशान होने की उम्मीद ना रहे.
इसके बाद आप किसी भी एक कंपनी के शेयर को खरीद सकते है. उदाहरण के तौर पर आप किसी भी कंपनी के 2000 की प्राइस के 10 शेयर को खरीदते है. इसके बाद आप 1900 की प्राइस के 10 शेयर और खरीद लीजिये.
इसके कुछ महीने बाद इसी एक शेयर की कीमत बढ़ कर 2500 हो जाती है. तो आपको एक शेयर पर 500 रूपए का प्रॉफिट हो जाता है. इसी तरह आपके पास 20 शेयर के 10,000 रूपए का प्रॉफिट हो जाता है.
Positional Trading Me Stop Loss Kaise Lagaye
Positional Trading में स्टॉप लोस लगाने के लिए आपको सबसे पहले इसकी एक योजना बनानी होगी. इसमें आपको यह तय करना होगा की शेयर के कितना निचे गिरने पर अपने आप बिक जाये और कितना प्रॉफिट होने पर वो शेयर अपने आप बिक जाए.
अगर आप नहीं जानते Stop Loss क्या है तो इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े इसमें आपको सारी जानकारी मिल जायगी.
उदाहरण के तौर पर आप किसी कंपनी के कंपनी के 200 रूपए का 1 शेयर ख़रीदा. इसके बाद आप इस शेयर पर 180 का स्टॉप लोस लगा दीजिये. जिससे की यह शेयर के भाव 180 से निचे गिरे तो यह अपने आप बिक जाये. जिससे आपको नुकशान ज्यादा ना हो.
इसके अलावा आप इस स्टॉप लोस को प्रॉफिट में भी लगा सकते है. आप इस शेयर को 240 पर लगा सकते है. जिससे की यह शेयर के भाव जैसे ही 240 हो जाये तो यह शेयर अपने आप ही बिक जाए.
इस तरह अप Positional Trading में स्टॉप लोस लगा सकते है. जिससे आपको नुकशान होने से बच जाए ओए आपको मुनाफा भी अच्छा हो जाये.
Positional Trading Ke Fayde
Positional Trading से हमें बहुत ज्यादा मुनाफा होता है. इसके बहुत से और भी फायदे होते है जैसे की-
Positional Trading में हमें यह बहुत ही आसानी से पता चल जाता है की आपको किसी भी शेयर को कब खरीदना है और किस शेयर को कब बेचना है. इससे आपको इसमें नुकशान होने की गुंजाइश कम होती है.
Positional Trading को हम पार्ट टाइम करके भी बहुत मुनाफा कमाया जा सकता है. क्योंकि इसमें ट्रेड बहुत कम होते है जिससे हम इस शेयर की अच्छे से एनालिसिस कर सकते है. एनालिसिस करने की बाद हम इसमें और भी शेयर को जोड़ सकते है.
अगर आप Positional Trading के लिए शेयर को खरीदते है तो आपको इसमें वोलेटिलिटी बहुत कम होती है. इस कारन इस पर स्टॉप लोस का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है.
Positional Trading Ke Nuksan
Positional Trading में हमें एक शेयर को बहुत लम्बे समय तक होल्ड करके रखना होता है. इस कारन इसकी वजह से पूरी Capital Block हो जाती है.
Capital Block होने के कारन इसमें आपको बहुत ज्यादा मुनाफा नहीं होता है. पर आपको इसमें नुकशान भी नहीं होता है.
Positional Trading Se Paise Kaise Kamaye
Positional Trading एक बाकि सभी से आसन ट्रेडिंग है क्योंकी इसमें आपको रोज रोज मार्केट वाच करने की जरुरत नहीं है.
आपको बस एक बार एक कंपनी के शेयर पर रिसर्च करना है और उस कंपनी के शेयर को खरीद कर रख लेना है एक बार आप उस कंपनी के शेयर को खरीद लेते है तो बस आपको कुछ महीने का इंतज़ार करना है ताकि जैसे की उस शेयर की कीमत बढ़ जाये आप उसे बेच कर अच्छा मुनाफा कमा सके .
Positional Trading में एक बाद जरुरर याद रखे की जब भी आप शेयर ख़रीदे तो ऐसी कंपनी के शेयर को ख़रीदे जिस कंपनी के शेयर में 6 महीने के अन्दर उछाल आये और उसके शेयर की कीमत बढ़ जाये ताकि आप जब उस शेयर को बैचे तब आपको ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो सके.
अगर आपको हमारी यह पोस्ट Positional Trading Kya Hai से जुड़े कुछ और प्रश्न पूछने है तो अप हमसे निचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है.
अगर आपको हमारी यह पोस्ट पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है अच्छी लगी तो इसको अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे. जिससे उनको भी पोजीशनल ट्रेडिंग के बारे में पता चल सके.
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