ट्रेडिंग आर्डर टाइप्स

टर्मिनलों आईएफसी बाजार की ट्रेडिंग निम्न आदेश प्रकार निष्पादित हैं: बाजार, लंबित, से लिंक, OCO और आदेश सक्रिय कर। पीछे चल बंद करो मोड सर्वर-आधारित है, यानी चल रही है यहां तक कि जब क्लाइंट का टर्मिनल बंद है

ट्रेडिंग से पहले अपने ज्ञान का परीक्षण करें

मार्किट आर्डर

बाजार आदेश एक ग्राहक के आदेश को खरीदने या बेचने के वर्तमान बाजार मूल्य पर एक वित्तीय साधन है। लेन-देन तुरन्त के माध्यम से प्रदर्शन किया है ट्रेडिंग प्लेटफार्म और मूल्य पर बाजार आदेश विंडो में या डीलर के द्वारा उद्धृत किया गया कीमत में टेलीफोन के जरिए दिखाया गया.

बाजार आदेश विंडो में ग्राहक का अधिकतम अनुमति प्राप्त कीमत विचलन आदेश का निष्पादन अनुरोध की गई कीमत से सेट कर सकते हैं। एक कठोर मूल्य बदलें और नेटवर्क के मामले में देरी की स्थिति उद्घाटन निम्नलिखित तरीके में प्रदर्शन किया है:

  • यदि वर्तमान बाजार मूल्य से परे निर्दिष्ट विचलन है, ग्राहक एक नए बाजार मूल्य के साथ उपलब्ध कराया जाएगा। इस मामले में ग्राहक ऑर्डर निष्पादित करने के लिए नए मूल्य स्वीकार करता हो।
  • यदि वर्तमान बाजार मूल्य सेट विचलन के भीतर रहता है, तो स्थिति इस बाजार मूल्य पर खोला जाएगा.

पेंडिंग आर्डर

वर्तमान बाजार मूल्य से अलग कीमत पर एक व्यापार की स्थिति को खोलने के लिए एक क्लाइंट का आदेश आदेश लंबित है.

टाइप्स ऑफ़ पेंडिंग ऑर्डर्स:

  • सेल्ल लिमिट – वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर एक बेचने के आदेश.
  • बुय लिमिट – एक खरीद आदेश वर्तमान बाजार मूल्य से कम कीमत पर.
  • सेल्ल स्टॉप – वर्तमान बाजार मूल्य से कम कीमत पर बेचने के आदेश.
  • बुय स्टॉप – एक खरीद आदेश के वर्तमान बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर.

जब एक आदेश में निर्धारित मूल्य बाजार मूल्य पहुँचता है, खरीदने या बेचने के एक सौदा शुरू हो रहा है. ग्राहक द्वारा निर्धारित मूल्य पर या एक बेहतर कीमत पर बेचने की सीमा और सीमा खरीद आदेश क्रियान्वित कर रहे हैं. जब पहली बार बाजार में उपलब्ध मूल्य पर ऑर्डर मार डाला जा सकता मूल्य अंतराल, के मामलों को छोड़कर, ग्राहक द्वारा निर्धारित मूल्य पर बेचने के बंद करो और बंद करो खरीदें आदेश क्रियान्वित कर रहे हैं.

लिंक्ड लिमिट एंड स्टॉप ऑर्डर्स

वहाँ एक खुले स्थान या एक लंबित आदेश - बंद करो हानि और लाभ ले करने के लिए जुड़ा हुआ आदेश के दो मुख्य प्रकार हैं:

  • बस्टॉप लोस्स आर्डर संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और एक मूल्य पर सेट स्थिति खुलने की कीमत या आदेश का निष्पादन लंबित की कीमत से भी बदतर है.
  • टटेक प्रॉफिट लक्षित लाभ के स्तर तक स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना पहुँचने के द्वारा एक स्थिति को बंद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और एक मूल्य पर बेहतर खोलने की स्थिति के मूल्य या की कीमत लंबित क्रम निष्पादन से सेट है।.

जब मूल्य एक लिंक्ड स्टॉप लोस्स और टेक प्रॉफिट आर्डर में सेट स्तर तक पहुँचता है,स्थिति अपने आप बंद हो जाता है.

स्थिति बंद है जब लिंक्ड स्टॉप लोस्स एंड टेक प्रॉफिट ऑर्डर्स स्वचालित रूप से हटा रहे हैं या लंबित आदेश को रद्द कर दिया गया है.
टेक प्रॉफिट आर्डर ग्राहक द्वारा निर्धारित कीमत पर या एक बेहतर कीमत पर निष्पादित किया है.
स्टॉप लोस्स आर्डर एक ग्राहक द्वारा निर्धारित मूल्य पर निष्पादित किया है, मूल्य अंतराल के मामलों को छोड़कर, बाजार में उपलब्ध पहली कीमत पर आर्डर निष्पादित किया जा सकता है.

OCO - एक दूसरे को रद्द (केवल NetTradeX व्यापार मंच में)

OCO आदेश वर्तमान बाजार मूल्य से अलग कीमतों पर एक स्थिति को खोलने के लिए सेट दो लंबित आदेशों का एक संयोजन है. दो आदेशों में से एक का निष्पादन शेष एक के एक स्वत: हटाने के लिए लाता है.

पेंडिंग आर्डर करने के लिए OCO आदेश का निष्पादन नीति लागू किया जाता है..

एक्टिवेटिड आर्डर (NetTradeX और MetaTrader 5 व्यापारिक प्लेटफार्मों पर)

सक्रिय क्रम मूल्य सक्रियण के स्तर तक पहुँच जाता है, जब सेट किया गया है एक लंबित क्रम है । लंबित आदेश निष्पादन नीति सक्रिय आदेश के लिए लागू किया जाता है । MetaTrader 5 प्लेटफ़ॉर्म पर, सक्रिय ऑर्डर्स को स्टॉप लिमिट खरीदें और स्टॉप लिमिट बेचें कहा जाता है.

ट्रेलिंग स्टॉप

ट्रेलिंग स्टॉप मोड निम्नलिखित नियम के अनुसार एक जुड़े हुए स्टॉप लोस्स आर्डर का स्वत: बदलाव के तंत्र को बनाए रखता है यदि एक स्थिति का लाभ उच्च सेट दूरी तय हो जाती है, स्टॉप लोस्स आर्डर ले जाता है के स्तर पर जो वर्तमान बाजार मूल्य और ऑर्डर मूल्य के बीच अंतर करने के लिए इस दूरी के बराबर है.

इस मामले में स्टॉप लोस्स आर्डर शुरू में सेट नहीं किया गया, लेकिन ट्रेलिंग स्टॉप मोड है, लाभ मोड में निर्धारित दूरी के बराबर हो जाता है जब स्टॉप लोस्स आर्डर स्थिति खोलने की कीमत पर स्वचालित रूप से सेट किया गया है.

NetTradeX मंच में ट्रेलिंग स्टॉप एक सर्वर साइड मोड है. जो सक्रिय बना रहता है यहां तक कि जब क्लाइंट का टर्मिनल बंद हो जाता है.

क्या है Stop Loss और Target Price?

शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.

A man walks out of the Bombay Stock Exchange (BSE) building in Mumbai

Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें

आपका शेयर ब्रोकर हर शेयर के लिए एक टार्गेट प्राइस (Target Price) बताता है. मान लीजिये आप ए कंपनी का शेयर खरीदना चाहते हैं. अभी इसकी कीमत 100 रुपये है. ब्रोकर आपको बताएगा कि तीन महीने में इसकी कीमत बढ़कर 120 रुपये हो जाएगी.

इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.

मान लीजिए इस शेयर के मामले में आपको 90 रुपये की कीमत पर Stop Loss लगाने की सलाह दी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि किसी वजह से ए के शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ठीक रहेगा.

स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर बेच देते हैं. स्टॉप लॉस (Stop Loss) प्राइस पर शेयर बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं.

किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.

क्यों होता है स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें. शेयर बाजार काफी हद तक भावनाओं से चलता है. ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.

स्टॉप लॉस (Stop Loss) इसी नुकसान को कम करने का तरीका है. Stop Loss लगाने का एक फायदा यह भी है कि अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्टॉप लॉस (Stop Loss) वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है.

आपके लिए क्या है Stop Loss का महत्व?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाजार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है.

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जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.

  • nupur praveen
  • Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST

जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्‍या हैं इसके फायदे

म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्‍कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.

यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.

स्विंग ट्रेडिंग और डे स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना ट्रेडिंग में अंतर

शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.

स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.

स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स

स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्‍वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्‍वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्‍वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्‍वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.

कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न

स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे

– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न

भारत में स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.

बिज़नेस में नुकसान से इनकम टैक्स कैसे बचाया जा सकता है ? set off and carry forward of losses in hindi

set off and carry forward of losses in hindi


एक पर्सन 5 Head में अपनी इनकम कमाता है – (1) सैलरी, (2) House Property, (3) बिज़नेस & प्रोफेशन से प्रॉफिट, (4) कैपिटल गेन, और (5) other source से इनकम। इन heads में सिर्फ सैलरी को छोड़कर सभी Head में आपको Loss हो सकते है।

और अगर किसी Head में आपको loss होता है, तो आप उसे अपने profit से set -off कर सकते है, जिससे आपका टैक्स कम हो सकता है।

लेकिन इन losses को set -off करने के कुछ तरीके और नियम होते है, जिनके बारे में हम आज के आर्टिकल set off and carry forward of losses in hindi में जानेंगे।

Table of Contents

losses को set – off करना क्या होता है ?

मान लीजिये आप के 2 बिज़नेस है और एक बिज़नेस से आपको 3 लाख का प्रॉफिट और दूसरे बिज़नेस से आपको 2 लाख का Loss होता है।

तो इस केस में आप अपने दोनों बिज़नेस से हुए profit और losses को आपस में set -off कर सकते है और आपका net profit 1 लाख का हो जायेगा। इस 1 लाख के profit पर ही आपकी टैक्स की कैलकुलेशन की जाएगी।

आप losses को किस तरीके से set -off कर सकते है ?

किसी भी हेड के losses को 3 तरीके से set -off किया जा सकता है –

  • same head में losses को सेट ऑफ करना,
  • किसी अन्य head में losses को सेट ऑफ करना,
  • आगे के वर्षो में losses को carry forward करना, ताकि भविष्य में profit होने पर उन्हें set off किया जा सके।

losses को same head में set -off करना –

same head में losses को set -off करने का मतलब है कि जिस head में आपके loss है उन्हें उसी head की किसी अन्य इनकम से सेट ऑफ करना। जैसे – किसी एक house property के loss को दूसरी house property के प्रॉफिट से सेट ऑफ करना।

लेकिन same head में losses को सेट ऑफ़ करने के कुछ नियम होते है, जो कि है –

  • किसी speculation business से हुए loss को सिर्फ speculation business के प्रॉफिट से ही सेट ऑफ किया जा सकता है, किसी अन्य बिज़नेस के प्रॉफिट से नहीं।
  • specified business के loss को भी सिर्फ specified business के प्रॉफिट से ही सेट ऑफ किया जा सकता स्टॉप एंड प्रॉफिट सेट करना है।
  • long term capital loss सिर्फ long term capital gain से ही set off होगा।
  • रेस के लिए रखे घोड़ों को रखने और देखभाल करने से हुए loss को किसी अन्य इनकम (hourse रेस की इनकम के अलावा ) से set off नहीं किया जा सकता। से किसी भी loss को set off नहीं किया जा सकता।

अब कुछ ऐसे loss भी है जिन्हे एक हेड में set off करने में इनकम टैक्स एक्ट में किसी तरह से मना नहीं किया गया है, जो कि है –

  • एक house property से हुए loss को किसी अन्य house Property की इनकम से set -off किया जा सकता है।
  • एक बिज़नेस से हुए loss को किसी अन्य बिज़नेस की इनकम से set off किया जा सकता है। यानि एक सामान्य बिज़नेस के loss को speculation business के profit से भी set -off किया जा सकता है।

किसी एक head के losses को किसी दूसरे head की इनकम से set off करना –

इसमें एक head के loss को दूसरे head की इनकम से set -off किया जाता है, जैसे – house property के loss को सैलेरी की इनकम से set -off करना।

इसके कुछ नियम है –

  • कैपिटल गेन head के loss को किसी अन्य हेड की इनकम से set -off नहीं किया जा सकता।
  • किसी करमुक्त source से हुए loss को किसी टैक्सेबल इनकम से set -off नहीं किया जा सकता।
  • Assessment Year 2018 -19 से house property के loss किसी अन्य हेड की इनकम से 2 लाख की limit तक ही set -off किये जा सकते है। लेकिन बचे हुए losses को आगे के वर्षों में carry forward किया जा सकता है।

losses को आगे के वर्षों में carry forward करना –

यदि कोई ऐसा loss है जो same head और दूसरे head की इनकम से set off नहीं हो पाता है और loss का amount अभी बच जाता है, तो इस बचे हुए loss को आगे के वर्षो में carry forward किया जा सकता है।

losses को carry forward करने की time limit और नियम –

जिस Head की इनकम से set off किये जा सकते है , कितने वर्ष तक loss आगे के वर्षों में carry forward किये जा सकते है ?

क्या समय पर इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरुरी है ?

other points – set off and carry forward of losses in hindi

  • बिज़नेस या प्रोफेशन के loss आपकी salary की इनकम से set off नहीं किये जा सकते।
  • बिज़नेस या प्रोफेशन के loss को आगे के वर्षो में carry forward किया जाता है, तो यह जरुरी नहीं है कि जिस बिज़नेस या प्रोफेशन के loss है, वह उस समय भी चालू रहे जब इन्हे set off किया जा रहा हो।
  • short term capital loss को long term capital gain से सेट ऑफ किया जा सकता है, लेकिन long term Capital loss को short term capital gain से set off नहीं किया जा सकता है।

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