“यह स्पष्ट है कि नए टैक्स ने मार्केट पर नकारात्मक असर डाला है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। चूंकि क्रिप्टो को रोकने का कोई तरीका नहीं है, इसलिए सरकार को टेक्नोलॉजी को स्वीकार करना चाहिए।”
Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस
भारत में निवेशकों के बीच क्रिप्टोकरेंसी का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है। दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी को अपनाने के मामले में यह दूसरे नंबर पहुंच गया है। दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है। इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए ट्रेडिंग होती है। इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है। जहां इनकी कीमत डिमांड क्रिप्टो ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान और सप्लाई के हिसाब से तय होती है। जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं और जब प्रॉफिट मिले तो बेच सकते हैं। स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है। इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें। आज हम इसी बारे में बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते है।
एक्सचेंज फीस
क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है। भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है। ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है। फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है। क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं। इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है ।
नेटवर्क फीस
क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है। ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं। एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह तय करना इन माइनर्स का काम क्रिप्टो ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान है। एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है। अगर नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है। आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है। लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो। जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है। माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए फीस दी जाती है।
वॉलेट फीस
क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। यह वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है। अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है। यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है। अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं।
क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है।
तो दोस्तों ये हमने आज बात की इन 3 चार्जेज की जो आपको चुकाने होंगे जब आप क्रप्टो में डील करेंगे।
Crypto Tax लागू होते ही ठंडे पड़े ट्रेडर्स, भारत में 72% तक घटी क्रिप्टो ट्रेडिंग
Crypto Tax के लागू होने के बाद, WazirX, ZebPay, CoinDCX और BitBnS पर ट्रेडिंग वॉल्यूम क्रमशः 72 प्रतिशत, 59 प्रतिशत, 52 प्रतिशत और 41 प्रतिशत घटी हैं।
- Mohammad Faisal
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- Published: April 12, 2022 6:19 PM IST
भारत के नए क्रिप्टोकरेंसी टैक्स नियम इस महीने (1 अप्रैल 2022) से लागू हो गए हैं। इसके साथ ही देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की वॉल्यूम में काफी गिरावट आई है। रिसर्च फर्म Crebaco के मुताबिक, CoinDCX और WazirX सहित देश के लगभग सभी क्रिप्टो एक्सचेंज पर क्रिप्टो ट्रेडिंग वॉल्यूम घट गई है। Also Read - Bitcoin की वैल्यू में एक बार फिर हुई बड़ी गिरावट, कीमत जानकर हैरान रह जाएंगे आप
नए कानून के तहत, क्रिप्टो ट्रेडिंग वाले करने वाले यूजर्स को मुनाफे का 30 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाना होगा। इसके साथ ही एक वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांसफर पर होने वाले नुकसान की भरपाई दूसरे एसेट पर मिलने वाले फायदे से नहीं कर सकते। Also Read - Apex Legends Mobile कर बैठा गलती, वक्त से पहले जोड़ दिया Crypto लेजेंड
Crypto Tax के बाद कम हुई ट्रेडिंग
रिपोर्ट के मुताबिक WazirX, ZebPay, CoinDCX और BitBnS पर ट्रेडिंग वॉल्यूम क्रमशः 72 प्रतिशत, 59 प्रतिशत, 52 प्रतिशत और 41 प्रतिशत घटी हैं। Crebaco के सीईओ और फाउंडर Sidharth Sogani का मानना है कि सरकार के नए क्रिप्टो टैक्स की वजह यह वॉल्यूम और भी नीचे जा सकती है। Also Read - Top 5 Stable Coins: Tether (USDT) से TrueUSD (TUSD) तक टॉप 5 स्टेबल Cryptocurrency, जिनकी कीमत रहती है डॉलर के बराबर
Coindesk ने Sogani के हवाल से लिखा, “1, 2 और 3 अप्रैल को छुट्टियों के दिन थे। इसके बाद से वॉल्यूम लगातार गिर रही है। यह और नीचे जा सकती है, लेकिन इसके दोबारा बढ़ने की संभावना कम है।” इन्होंने आगे कहा:
“यह स्पष्ट है कि नए टैक्स ने मार्केट पर नकारात्मक असर डाला है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। चूंकि क्रिप्टो को रोकने का कोई तरीका नहीं है, इसलिए सरकार को टेक्नोलॉजी को स्वीकार करना चाहिए।”
भारत सरकार ने बजट 2022 में वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांसफर से होने वाली आय पर टैक्स लगाने की घोषणा की थी। इस दायरे में क्रिप्टो ट्रेडिंग और NFT की खरीद-फरोख्त शामिल है। अनाउंसमेंट के बाद से ही यह मुद्दा क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के बीच विवाद का एक कारण बना हुआ है।
कुछ एक्सपर्ट्स और शेयर होल्डर्स ने सेगमेंट पर प्रतिबंध लगाने के बजाय रेगुलेट करने के सरकार के फैसले की तारीफ की है। मगर, कुछ अन्य का मानना है कि क्रिप्टो से मिलने वाले प्रॉफिट पर टैक्स की दर थोड़ी कम होनी चाहिए।
- Published Date: April 12, 2022 6:19 PM IST
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क्रिप्टो करंसी के ट्रांजेक्शन पर रोक लगा सकती है सरकार, पढ़िये क्या है पूरी तैयारी
सरकार डिजिटल करंसी के नियमों को और कड़ा कर सकती है. 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालन सत्र में सरकार क्रिप्टो करंसी को लेकर एक विधेयक पारित कर सकती है. इसके बाद ही यह साफ हो सकेगा कि क्रिप्ट करंसी को लेकर सरकार का क्या रुख है.
क्रिप्टो करंसी
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 19 नवंबर 2021,
- (Updated 19 नवंबर 2021, 11:34 AM IST)
शीतकालीन सत्र में क्रिप्टो करंसी पर विधेयक ला सकती है सरकार
सरकार की तरफ से मंजूर करंसी पर ही कर सकते हैं निवेश
केंद्र सरकार क्रिप्टो करंसी के ट्रांजेक्शन पर रोक लगा सकती है. सूत्रों के मुताबिक सरकार डिजिटल करंसी के नियमों को और कड़ा कर सकती है. आने वाले संसद सत्र में इसको लेकर सरकार विधेयक भी ला सकती है जिस पर सारी स्थिति साफ होगी. ऐसा माना जा रहा है क्रिप्टो करंसी में सिर्फ वैसे सिक्कों पर निवेश की अनुमति होगी जिन्हें सरकार की तरफ से इजाजत दी गई है.
सरकार की तरफ से मंजूर करंसी पर ही कर सकते हैं निवेश
क्रिप्टो करंसी को लेकर सरकार की बैठक में शामिल एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सरकार ने जिन क्रिप्टो करंसी को मंजूरी दी है, उसमें निवेश कर सकते हैं. बाकी दूसरे सिक्कों पर निवेश करने पर सरकार जुर्माना लगा सकती है. 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालन सत्र में सरकार क्रिप्टो करंसी को लेकर एक विधेयक पारित कर सकती है.
क्रिप्टो करंसी गलत हाथों में न जाए
गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिप्टो करंसी को लेकर पहली बार कोई टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि सभी देशों को इस पर मिलकर काम करना चाहिए कि क्रिप्टो करंसी गलत हाथों में न जाए. ऐसा होगा तो युवाओं का भविष्य खतरे में होगा. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि क्रिप्टो करंसी से हुए लाभ पर 40% टैक्स देना होगा.
नए नियमों से बाजार को लग सकता है झटका
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिप्टो करंसी के भविष्य पर चर्चा करने के लिए एक विशेष बैठक की थी. सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात को लेकर चर्चा की गई कि क्या क्रिप्टो करंसी की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग या इससे आंतकवाद बढ़ सकता है. बीते सोमवार को क्रिप्टो करंसी को लेकर संसदीय पैनल की चर्चा में शामिल एक कारोबारी ने बताया कि नए नियमों से क्रिप्टो करंसी के कारोबार और निवेश में रुकावट हो सकती है. खुदरा निवेशकों को निराशा हो सकती है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि निजी क्रिप्टो करंसी पर प्रतिबंध लगाने की योजना बनाई जा रही है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करंसी को लेकर पहले गंभीर चिंता व्यक्त की थी. हालांकि, रिजर्व बैंक साल के अंत तक अपना सीबीडीसी लॉन्च करने की तैयारी कर रही है. बिटकॉइन, जो दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टो करंसी है उसका मार्केट करीब 60 हजार डॉलर का हो चुका है. इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक बिटकॉइन का मार्केट दोगुना हो गया है. खुदरा निवेशकों को यह बहुत आकर्षित कर रहा है. हालांकि, कोई आधिकारिक डाटा उपलब्ध नहीं है लेकिन, एक अनुमान के मुताबिक भारत में 15-20 मिलियन क्रिप्टो निवेशक हैं जिनकी कुल क्रिप्टो निवेश करीब 400 बिलियन रुपए है.
डिजिटल टोकन को रेगुलेट करने की तैयारी: रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान शुरू की कवायद, क्रिप्टो करेंसी के कारोबार को मिल सकती है मंजूरी
देर-सबेर ही सही, भारत में क्रिप्टो करेंसी को शर्तों और नियमों के साथ मंजूरी मिल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2 नवंबर को क्रिप्टो करेंसी कारोबार से जुड़े अहम लोगों के साथ मीटिंग की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने शनिवार को RBI और दूसरी एजेंसियों के साथ इस बारे में बैठक की है।
जानकारी के मुताबिक, RBI ने बहुत ही शॉर्ट नोटिस पर यह बैठक बुलाई थी। 2 नवंबर को बुलाई गई बैठक में RBI के वरिष्ठ अधिकारी, तीन क्रिप्टो एक्सचेंज के अधिकारी, क्रिप्टो ब्रोकर और इंडिया टेक के अधिकारी शामिल हुए। इन सभी ने क्रिप्टो पर एक व्हाइट पेपर तैयार किया था। ऐसा माना जा रहा है कि चीन में भले ही क्रिप्टो पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा है, पर भारत में कुछ नियंत्रण और शर्तों के साथ इसे मंजूरी मिल जाएगी।
KYC फ्रेमवर्क और अवैध लेन-देन की संभावनाओं पर चर्चा
इस मीटिंग में KYC फ्रेमवर्क और अवैध लेन-देन की आशंकाओं पर भी चर्चा हुई। मनी लॉन्ड्रिंग की चिंता के अलावा, यदि क्रिप्टो का वॉल्यूम वक्त के साथ बढ़ता है तो RBI संभावित वित्तीय अस्थिरता के बारे में भी चिंतित है। भारत में करीब 2 करोड़ निवेशकों के पास 4-5 अरब डॉलर के क्रिप्टो के सिक्के रखने का अनुमान है। वैसे अब केवल बिटकॉइन ही नहीं, हजारों क्रिप्टो करेंसी हैं। यदि क्रिप्टो की सप्लाई बढ़ती रहती है, तो कुछ स्तर पर यह मॉनिटरी पॉलिसी के लिए चुनौती भी हो सकती है।
इंडस्ट्री में कई लोग चाहते हैं कि क्रिप्टो करेंसी को सिर्फ भारत में जो एक्सचेंज हैं, उनसे ही खरीदा जाए। बैंकों की तरह इन एक्सचेंज को FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए 74% तक की अनुमति दी जानी चाहिए। क्रिप्टो की आड़ में फंड के लेन-देन पर भारत के बाहर भी कई रेगुलेटर्स की ओर से आवाज उठाई गई है।
नियम लागू करना आसान नहीं है
एक बैंकर ने कहा कि क्रिप्टो से जुड़े नियम लागू करना आसान नहीं है। इसके लिए हार्डवेयर में सभी क्रिप्टो होल्डिंग्स के डिस्क्लोजर की जरूरत होगी। उन्हीं कारोबार को इजाजत दी जाएगी, जिनकी निगरानी की जा सकती है। इंडस्ट्री यह चाहती है कि क्रिप्टो को करेंट असेट के रूप में क्लासीफाई किया जाए न कि करेंसी के तौर पर, ताकि इसे आसानी से नकदी में बदला जा सके। साथ ही इंडस्ट्री यह भी उम्मीद कर रही है कि सरकार और RBI कुछ अन्य मुद्दों पर छाए संशय के बादल साफ करे।
कई सारी बातों पर होगा फोकस
- इस मुद्दे से जुड़ी अहम बातों में यह है कि क्या इससे हुए फायदे को कैपिटल गेन या बिजनेस इनकम मानकर इस पर टैक्स लगाया जाना चाहिए।
- क्या विदेशी एक्सचेंज और अन्य सेलर्स से क्रिप्टो खरीद में होने वाली धांधली विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का उल्लंघन होगा और क्रिप्टो को कौन रेगुलेट करेगा?
- चूंकि भारत में फाइनेंशियल रेगुलेटर कई हैं, जैसे बीमा के लिए IRDAI, म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार के लिए सेबी, बैंकिंग और अन्य पेमेंट के लिए रिजर्व बैंक। इसलिए यह अभी तय नहीं है कि इसे कौन रेगुलेट करेगा।
एक्सचेंज केवल एक प्लेटफॉर्म है
करेंसी से जुड़े एक्सचेंज का कहना है कि वे खरीदार और विक्रेता से मेल कराने के लिए सिर्फ एक मंच हैं। क्रिप्टो की खरीद और सप्लाई नहीं करते हैं। हालिया नियमों के तहत अगर कोई विदेश से सिक्के लाकर अपने देश में बेचता है तो इसका आसानी से पता लगाना मुमकिन नहीं है।
क्रिप्टो की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव है। उदाहरण के तौर पर पिछले 24 घंटे में हुस्की नामक करेंसी की कीमत 67 हजार प्रतिशत बढ़ी है। इससे इसका मार्केट कैप 1.5 अरब डॉलर हो गया है। इससे पहले SQUID, शिबा और कोकोस्वैप की कीमतें भी इसी तरह से बढ़ी थीं।
शनिवार को प्रधानमंत्री ने की थी मीटिंग
दो दिन पहले ही केंद्र सरकार ने देश में अवैध तरीके से चल रहे सभी क्रिप्टो एक्सचेंज के मसले पर मीटिंग की थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों के लिए टेरर फंडिंग और काला धन जमा करने वालों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का जरिया बने इन क्रिप्टो एक्सचेंज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए कहा। शनिवार को PM ने इसे लेकर फाइनेंस मंत्रालय, RBI और गृह मंत्रालय के साथ बैठक की। इसमें मोदी ने साफ तौर पर पूछा कि क्रिप्टो करेंसी को रेगुलराइज करने के लिए कौन से कदम उठाए गए हैं।
क्रिप्टो करेंसी के मुद्दे पर हुई समीक्षा
बैठक में क्रिप्टो करेंसी और उससे जुड़े सभी मुद्दों की समीक्षा हुई। साफतौर पर यह तय किया गया कि क्रिप्टो करेंसी के नाम पर युवाओं को गुमराह करने वाली अपारदर्शी एडवर्टाइजिंग पर रोक लगाई जाए। बैठक में RBI, फाइनेंस मंत्रालय और गृह मंत्रालय की तरफ से देश-दुनिया के क्रिप्टो एक्सपर्ट्स से ली गई सलाह के बाद सामने आए मुद्दों पर बात की गई।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने चेतावनी दी थी
दो दिन पहले ही RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल करेंसी को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने इसे बेहद गंभीर विषय बताया था और जल्द ही कोई बड़ा कदम उठाए जाने की तरफ इशारा किया था। क्रिप्टो करेंसी पर शिकंजा कसने के लिए RBI और शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी मिलकर एक फ्रेमवर्क तैयार कर रहे हैं।
3 नवंबर को किया गया था दावा
दरअसल 3 नवंबर को कई संगठनों और क्रिप्टो के कारोबारियों ने मिलकर एक अंग्रेजी समाचार पत्र में दो फुल पेज विज्ञापन दिया था। इसमें यह दावा किया था करोड़ों भारतीयों ने क्रिप्टो में 6 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसका रेगुलेशन किया जाता है। रेगुलेशन में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IMAI) और अन्य हैं जो सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी हैं।
एडलवाइस म्यूचुअल फंड की सीईओ राधिका गुप्ता ने कहा कि फाइनेंशियल असेट्स को IMAI नहीं रेगुलेट कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह पता नहीं है कि निवेशक बेस और सही साइज इंडस्ट्री की क्या है। अगर यह 6 लाख करोड़ रुपए का निवेश है तो इसे बहुत जल्दी से रेगुलेट किया जाना चाहिेए।
कमोडिटी ट्रेडिंग की दुनिया में कूदने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान, फिर कभी नहीं होंगे असफल
COMMODITY TRADING: वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से कीमत में वृद्धि होती है.
- Vijay Parmar
- Publish Date - June 29, 2021 / 09:11 PM IST
Trading In Commodity: कमोडिटी में ट्रेडिंग एक आकर्षक निवेश विकल्प है जो आपको अपना धन बढ़ाने में मदद कर सकता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग आपको अपने लाभ का फायदा उठाने का विकल्प देती है लेकिन यदि आप कुछ सावधानियां नहीं बरतते हैं तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
मुद्रास्फीति के दौरान शेयरों की कीमतें गिरती हैं
जैसे-जैसे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे-वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में वृद्धि होती है.
ऐसे महंगाई के माहौल में ब्याज दरों में वृद्धि होती है, जो उधार लेने की लागत को बढ़ाती है और कंपनी की शुद्ध आय को कम करती है.
कंपनी की आय गिरने से शेयरधारकों के साथ साझा किए गए मुनाफे पर भी असर पड़ता है. इसलिए, मुद्रास्फीति के दौरान, शेयरों की कीमतें गिरती हैं.
वहीं इसके विपरीत, बढ़ती मांग के कारण तैयार माल के निर्माण में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में काफी वृद्धि होती हैं. इसलिए, निवेशक अपनी पूंजी को मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाने और अपने मूल्य को बनाए रखने के लिए कमोडिटी फ्यूचर्स को अपनाते हैं.
जोखिम भरी भू-राजनीतिक घटनाओं से बचाव
संघर्ष, दंगे और युद्ध जैसी भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण कच्चे माल का परिवहन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसी घटनाएं सप्लाई चेन को तोड़ देती है, जिससे संसाधनों की कमी हो जाती है और कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हो जाती है.
जिसके परिणामस्वरूप सप्लाई-डिमांड का बैलेंस बिगड़ता है, जिससे वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि होती है. ऐसी घटनाओं के दौरान बाजार के सेंटीमेंट खराब होते हैं.
जिससे शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आती है. इसलिए, कमोडिटीज में निवेश करने से नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है.
उच्च लीवरेज का फायदा
फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे कमोडिटी डेरिवेटिव एक असाधारण उच्च स्तर का लीवरेज क्रिप्टो ट्रेडिंग के फायदे और नुकसान प्रदान करते हैं. इसके जरिए आप कान्ट्रेक्ट वैल्यू का केवल 5% से 10% अपफ्रंट मार्जिन चुका कर एक बड़ी पोजिशन ले सकते हैं.
वस्तुओं की कीमतों में किसी भी तरह का असाधारण मूवमेंट होने से बहुत लाभ हो सकता है. इसलिए, कमोडिटी ट्रेडिंग आपको लीवरेज का उपयोग करके अच्छा रिटर्न कमाने का मौका देता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग के नुकसान
लीवरेज से जितना फायदा होता है उतना ही नुकसान होता है. लीवरेज से आप छोटी पूंजी चुका कर बड़ी पोजिशन ले सकते हैं, लेकिन, कान्ट्रैक्ट की कीमत में थोड़ा सा भी बदलाव आपको भारी नुकसान करा सकता है.
क्योंकि लॉट साइज 100 है और आप 1,000 कान्ट्रैक्ट खरीदे जा रहे हैं. कम मार्जिन की वजह से जोखिम बढ़ जाता हैं, जो आपके पूरे निवेश को जोखिम में डाल सकता हैं.
वोलेटिलिटी का जोखिम
वस्तुओं की कीमतें काफी वोलेटाइल हैं और सप्लाई-डिमांड पर निर्भर करती है. पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को घटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर जाना आसान नहीं है.
कोयले से चलने वाली बिजली जैसे ऊर्जा स्रोतों से सौर ऊर्जा जैसे स्रोतों की ओर मुड़ने में काफी समय लगता है.
इसलिए संचयी बेलोचदार मांग और बेलोचदार आपूर्ति ऐसी स्थिति की ओर ले जाती है जहां बाजार की बुनियादी बातों में मामूली बदलाव कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव पैदा कर सकता है.
विविधीकरण के अनुकूल नही
जब स्टॉक की कीमतें गिर रही होती हैं, तो कमोडिटी की कीमतें आसमान की ओर बढ़ती हैं. वर्ष 2008 के वित्तीय संकट में, वस्तुओं की कुल मांग में गिरावट आई.
जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई, जिसने उत्पादन को और रोक दिया. इसका मतलब है कि कैश ने कम अस्थिरता वाली वस्तुओं की तुलना में बेहतर रिटर्न प्रदान किया है.
इसलिए, कमोडिटीज प्रमुख रूप से इक्विटी वाले पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए आदर्श उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं.
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