न्यू फंड ऑफर यानी NFO में निवेश से पहले इन्हेें ठीक से परख लें.

NFO क्या है? क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए, जानें क्या है सही स्ट्रैटजी

NFO को बहुत सारे निवेशक IPO जैसा ही समझते हैं. उन्हें लगता है कि जिस तरह शेयरों की डिमांड बढ़ने पर फायदा होता है, वैसा ही फंड में भी होगा. लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है.

NFO क्या है? क्या आपको इसमें निवेश करना चाहिए, जानें क्या है सही स्ट्रैटजी

न्यू फंड ऑफर यानी NFO में निवेश से पहले इन्हेें ठीक से परख लें.

एनएफओ (NFO) यानी न्यू फंड ऑफर. जब भी कोई म्यूचुअल फंड कंपनी एनएफओ लॉन्च करती है तो इसका जबरदस्त NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? प्रचार किया जाता है. चैनलों और अखबारों में फंड मैनेजरों के इंटरव्यू आते हैं, जिनमें न्यू फंड की निवेश स्ट्रैटजी बताई जाती है. इसकी खूबियां गिनाई जाती हैं. ऐसा माहौल बनाया जाता है कि म्यूचुअल फंड ग्राहकों ने इसमें पैसा लगाया तो जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं. लेकिन क्या यह सच है? क्या एनएफओ में फंड निवेशकों को निवेश करना चाहिए?

इस सवाल से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर न्यू फंड ऑफर यानी NFO है क्या? दरअसल, जब भी कोई एसेट मैनेजमेंट कंपनी ( AMC) कोई नया फंड लॉन्च करती है तो यह सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही खुला होता है. फंड पोर्टफोलियो के लिए शेयर खरीदना इसका मकसद होता है और इसलिए इसके जरिये पैसा जुटाया जाता है. एक तरह से एक नए फंड की शुरुआत करने के लिए पैसा जुटाया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को न्यू फंड ऑफर कहा जाता है.

कई मायनों में यह आईपीओ जैसा लगता है लेकिन यह वैसा नहीं होता. मौजूदा नियमों के मुताबिक भारत में एनएफओ की अवधि 3 से 15 दिनों तक होती है. अगर फंड ओपन एंडेड है तो इसके कुछ दिनों बाद इसमें निवेश शुरू हो जाता है. अगर क्लोज एंडेड है तो निवेशक एनएफओ पीरियड के दौरान इसे सब्सक्राइव कर सकता है लेकिन उसे इस दौरान होल्ड किए रखना होगा. अब सवाल यह है कि आपको एनएफओ में निवेश करना चाहिए या नहीं. ज्यादातर एक्सपर्ट्स आम म्यूचुअल फंड निवेशकों को इसमें निवेश करने की सलाह नहीं देते हैं. आखिर क्यों? इसकी कुछ वजहें इस तरह हैं-

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कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं

चूंकि यह फंड नया होता है इसलिए इसका कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता है, जिसे देख कर हम निवेश का फैसला कर सकें. इसलिए ज्यादातर निवेशक फंड हाउस के पिछले प्रदर्शन को देख कर इसके एनएफओ में निवेश करते हैं. लेकिन यह सही रणनीति नहीं है. क्योंकि नई निवेश रणनीति के सामने नई चुनौतियां होती हैं और आपको पता नहीं होता कि यह फंड कामयाब होगा या नहीं. इसलिए हमेशा ऐसे फंड में निवेश करना बेहतर होता है, जिसका मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो.

एनएफओ,आईपीओ नहीं है

एनएफओ, आईपीओ की तरह लगता है लेकिन लेकिन यह इसकी तरह नहीं होता. बहुत सारे निवेशक इसे आईपीओ जैसा समझते हैं और उन्हें लगता है कि जिस तरह शेयरों में डिमांड बढ़ने पर उन्हें फायदा होता है, वैसा ही इसमें भी ऐसा होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. म्यूचअल फंड के एनएवी पर डिमांड और सप्लाई के नियम का कोई असर नहीं होता. किसी म्यूचुअल फंड में कितने यूनिट्स होंगे यह तय NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? नहीं होता. यूनिट्स जरूरत पड़ने पर बना ली जाती हैं.

ऊंची लागत

हर फंड का एक एक्सपेंस रेश्यो होता है. ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो का मतलब यह है कि आप अपने फंड को मैनेज करने के लिए ज्यादा पैसा दे रहे हैं. जाहिर है इससे आपका रिटर्न घटेगा. भारत में रेगुलेशन नियमों के मुताबिक छोटे एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) वाले फंड ज्यादा एक्सपेंस चार्ज वसूल कर सकते हैं. एनएफओ जब लॉन्च होता है तो आमतौर पर इसका एयूएम छोटा होता है . इसलिए इसका एक्सपेंस चार्ज ज्यादा होने की संभावना रहती है. इसलिए यह महंगा होता है.

लॉन्चिंग टाइम

अगर कोई एनएफओ किसी खास वक्त लॉन्च हुआ है तो जरूरी नहीं है कि इसमें निवेश का यही सही वक्त है. एएमसी अपने प्रोडक्ट बास्केट को बड़ा करने या पूरा करने के लिए भी एनएफओ लाते हैं. इसलिए एनएफओ लॉन्च हुआ है इसलिए इसमें निवेश करना है, यह ठीक रणनीति नहीं है.

कुल मिला कर , एनएफओ में निवेश अंधेरे में तीर चलाने जैसा है. इसलिए अनिश्चितता की बजाय ऐसे फंड्स में निवेश करें जिसका एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो. अगर एनएफओ कुछ खास हो और आपके पोर्टफोलियो के हिसाब से यह फिट बैठ रहा है तो थोड़ा इंतजार करके देखें कि क्या इसकी थीम और निवेश रणनीति बताए गए मकसद के लिए मुफीद है.

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क्या होते हैं NFOs, कैसा देते हैं रिटर्न, NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? क्या मौजूदा हालात में निवेश करना फायदेमंद होगा? समझिए

पांच फंड्स हाउसेस नए फंड ऑफर्स को लॉन्‍च करने के लिए आवेदन कर चुके हैं.

पांच फंड्स हाउसेस नए फंड ऑफर्स को लॉन्‍च करने के लिए आवेदन कर चुके हैं.

बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMSc) को नए फंड ऑफर्स (NFO) जारी करने की अनुमति दे दी है. उम्‍मीद . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 29, 2022, 11:58 IST

नई दिल्‍ली. अगले महीने से म्‍यूचुअल फंड नए फंड ऑफर्स (NFO) जारी कर सकते हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया द्वारा पूल खातों का उपयोग पूरी तरह बंद करने तथा नई प्रक्रिया लागू होने की गारंटी मिलने के साथ ही नए फंड ऑफर्स शुरू हो जाएंगे. पूल खातों के बढ़ते प्रचलन को देखने हुए बाजार नियामक सेबी ने म्‍यूचुअल फंड हाउसेज के नए फंड ऑफर्स लॉन्‍च करने पर 1 जुलाई तक रोक लगा दी थी. पांच फंड्स हाउसेस बैन की डेडलाइन खत्‍म होने से पहले ही नए फंड ऑफर्स को लॉन्‍च करने के लिए आवेदन कर चुके हैं.

कोई एसेट मैनेजमेंट कंपनी (Asset management company) जब नई स्कीम लॉन्च करती है तो उसे न्यू फंड ऑफर (New Fund Offer) कहते हैं. फंड हाउस अपने प्रॉडक्ट बास्केट को पूरा करने के लिए एनएफओ लॉन्च करते हैं. एनएफओ के खुलने और बंद होने की अवधि होती है. कुछ लोग आईपीओ (IPO) और फंड हाउसेज के एनएफओ को एक समान समझते हैं. यह उनकी गलतफहमी है. दोनों में दिन-रात का अंतर है. कंपनी NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? अपने कारोबार के विस्तार या दूसरी जरूरतों के लिए आईपीओ के जरिए बाजार से पैसे जुटाती हैं. वहीं, फंड हाउस एनएफओ में निवेशकों से पैसे जुटाकर उसे सिक्योरिटी (शेयर, बॉन्ड, गोल्ड आदि) में लगाता है.

क्‍या NFO में पैसा लगाना चाहिए?

वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि निवेशकों को तभी एनएफओ में निवेश करना चाहिए, अगर उन्‍हें अपने पोर्टफोलियो में इसकी जरूरत महसूस होती है. या फिर कोई ऐसी थीम हो, जिस पर वे फोकस करना चाहते हैं. अगर एनएफओ कुछ खास हो और आपके पोर्टफोलियो के हिसाब से यह फिट बैठ रहा है तो ही इसमें निवेश करें.

ज्‍यादातर एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि अगर कोई एनएफओ आकर्षक हो तो उसे अपने सैटेलाइट पोर्टफोलियो में शामिल किया जा सकता है. मेन पोर्टफोलियो को इक्विटी और डेट फंड से डायवर्सिफाई करना चाहिए. वित्तीय लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए इक्विटी, डेट और अन्‍य कैटेगरी के 8 से 10 फंड्स ही कोर पोर्टफोलियो में होने चाहिए.

ज्‍यादा एक्‍सपेंस रेश्‍यो

हर फंड का एक्सपेंस रेश्यो होता है. भारत में रेगुलेशन नियमों के मुताबिक छोटे एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) वाले फंड ज्यादा एक्सपेंस चार्ज वसूल कर सकते हैं. एनएफओ जब लॉन्च होता है तो आमतौर पर इसका एयूएम छोटा होता है . इसलिए इसका एक्सपेंस चार्ज ज्यादा होने की संभावना रहती है. इसलिए यह महंगा होता है.

ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता

चूंकि एनएफओ नया फंड होता है तो इसका कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता है, जिसका मूल्‍यांकन कर निवेश रणनीति बनाई जा सके. इसलिए ज्यादातर निवेशक फंड हाउस के पिछले प्रदर्शन को देख कर इसके एनएफओ में निवेश करते हैं. लेकिन यह सही रणनीति नहीं है. हमेशा ऐसे फंड में निवेश करना फायदेमंद होता है, जिसका मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड हो.

प्रोडक्‍ट बास्‍केट बढ़ाने को भी लॉन्‍च होते हैं एनएफओ

एसेट मैनेजमेंट कंपनियां अपने प्रोडक्‍ट बास्‍केट को विस्‍तार देने के लए भी एनएफओ लाती हैं. इसलिए जरूरी नहीं है किसी समय लाया गया एनएफओ विशेष परिस्थितियों का फायदा उठाने के लिए लॉन्‍च किया गया है. इसलिए एनएफओ लॉन्च हुआ है, इसलिए इसमें निवेश करना है, यह ठीक रणनीति नहीं है.

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न्यू फंड ऑफर (NFO) में निवेश करके कमा सकते हैं मोटा मुनाफा, जानिए इसके बारे में सबकुछ

New Fund Offer-NFO

New Fund Offer-NFO: न्यू फंड ऑफर (NFO) के बारे में बहुत से लोगों को काफी कम जानकारी होती है. आज की इस रिपोर्ट में हम NFO में कैसे निवेश किया जा सकता है यह जानने की कोशिश करेंगे. बता दें कि म्यूचुअल फंड हाउस (Mutual Fund House) पहली बार जब कोई फंड (Fund) म्यूचुअल फंड बाजार में लॉन्च करता है उसे ही न्यू फंड ऑफर (NFO) कहा जाता है. गौरतलब है कि बाजार से पैसा जुटाने के उद्देश्य से न्यू फंड ऑफर लाया जाता है. इसके अलावा निवेशकों को नए फंड में निवेश के लिए भी पेश किया जाता है.

IPO के जैसे ही होता है NFO
न्यू फंड ऑफर (NFO) IPO की तरह मार्केट में लॉन्च किया जाता है. निवेशकों की अर्जी के बाद NFO लॉन्च हो जाता है. NFO और IPO में सिर्फ यह अंतर है कि NFO नेट एसेट वैल्यू पर बेचा जाता है, जबकि IPO में शेयर के प्राइस बैंड होते हैं जिस पर शेयर के लिए बोली लगाई जाती है.

आपको बता दें कि शुरुआत में निवेशक किसी म्यूचुअल फंड स्कीम की यूनिट 10 रुपये में खरीद सकते हैं. इस यूनिट की कीमत निवेश के शुरुआती कुछ समय तक 10 रुपये रहती है. कीमत में बगैर किसी बदलाव वाले इस अवधि को NFO Period यानी NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? New Fund Offer Period कहा जाता है. बता दें कि म्यूचुअल फंड कंपनी इस अवधि में निवेशक के पैसे को निवेश नहीं करती है. फंड मैनेजर NFO Period खत्म होने के बाद Pooled Money यानी सामूहिक रकम में से निवेश शुरू करता है. अब कुल निवेश की वैल्यू में जो भी बढ़ोतरी या फिर कमी होती है उसके हिसाब से यूनिट की कीमत घटती या बढ़ती है.

Open Ended Mutual Fund Scheme
निवेशक Open Ended Mutual Fund scheme में कभी भी पैसे को निवेश कर सकता है और उसे निकाल भी सकता है. चूंकि इस तरह की स्कीम में पैसा आता जाता रहता है इसलिए इस स्कीम के पास कोई फिक्स्ड अमाउंट नहीं रहता है. वहीं फंड मैनेजर को परिस्थिति के मुताबिक निवेश के लिए फैसला लेना जरूरी होता है.

Close Ended Mutual Fund Scheme
वहीं दूसरी ओर निवेशक Close Ended Mutual Fund Scheme में सिर्फ NFO के समय ही पैसा लगा सकता है और उसके बाद सिर्फ Maturity के समय ही अपना पैसा निकाल सकता है. हालांकि Close Ended Mutual Fund Scheme की यूनिट को Secondary Market में खरीद और बेच सकते हैं. आपको बता दें कि म्यूचुअल फंड कंपनी का इस तरह के ट्रांजैक्शन से किसी भी तरह का कोई लेना देना नहीं होता है और ना ही म्यूचुअल फंड स्कीम में जमा रकम पर किसी भी तरह का कोई प्रभाव पड़ता है.

न्यू फंड ऑफर (NFO) NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? में निवेश फायदेमंद
निवेशकों के लिए क्लोज्ड एंडेड फंड्स में NFO के जरिए ही निवेश संभव है. जिन भी निवेशकों (Investors) को फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMPs) में निवेश करना है उनके लिए न्यू फंड ऑफर (NFO) एकदम सही फैसला साबित हो सकता है. मतलब यह कि निवेशकों के लिए क्लोज्ड एंडेड फंड्स के NFO निवेश सही साबित हो सकता है.

क्या होता है न्यू फंड ऑफर (NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? NFO), कैसे कमा सकते हैं इसके जरिए मोटा मुनाफा

New Fund Offer-NFO

New Fund Offer-NFO: न्यू फंड ऑफर (NFO) के बारे में काफी लोगों को जानकारी का अभाव होता है. आज की इस रिपोर्ट में यह जानने की कोशिश करते हैं एनएफओ में कैसे निवेश किया जा सकता है. बता दें कि म्यूचुअल फंड हाउस (Mutual Fund House) पहली बार जब कोई फंड (Fund) म्यूचुअल फंड बाजारा में पेश करता है उसे ही न्यू फंड ऑफर (NFO) कहा जाता है. गौरतलब है कि बाजार से पैसा जुटाने के उद्देश्य से न्यू फंड ऑफर लाया जाता है. इसके अलावा निवेशकों को नए फंड में निवेश के लिए भी पेश किया जाता है.

IPO के जैसे ही होता है NFO
न्यू फंड ऑफर (NFO) IPO की तरह मार्केट में लॉन्च किया जाता है. निवेशकों की अर्जी के बाद NFO लॉन्च हो जाता है. NFO और IPO में सिर्फ यह अंतर है कि NFO नेट एसेट वैल्यू पर बेचा जाता है, जबकि IPO में शेयर के प्राइस बैंड होते हैं जिस पर शेयर के लिए बोली लगाई जाती है. SEBI की सख्ती की वजह से न्यू फंड ऑफर की संख्या में कुछ समय से कमी देखने को मिली है. दरअसल, SEBI एक फंड हाउस के एक ही कैटेगरी में कई फंड्स नहीं चाहता है. ऐसे में ओपन एंडेड फंड के NFO में काफी कमी दर्ज की जा रही है. मौजूदा समय में ज्यादातर NFO क्लोज्ड एंडेड स्कीम्स के लिए आ रहे हैं.

न्यू फंड ऑफर (NFO) में निवेश फायदेमंद
निवेशकों के लिए क्लोज्ड एंडेड फंड्स में NFO के जरिए ही निवेश संभव है. जिन NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? भी निवेशकों (Investors) को फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMPs) में निवेश करना है उनके लिए न्यू फंड ऑफर (NFO) एकदम सही फैसला साबित हो सकता है. मतलब यह कि निवेशकों के लिए क्लोज्ड एंडेड फंड्स के NFO निवेश सही साबित हो सकता है.

एनएफओ (NFO) क्या है

आज के डिजिटल युग में शेयर मार्केट ने अपनी अलग पहचान बना ली है, कुछ सालों में इसमें इन्वेस्टर्स की संख्या में बहुत तेजी से इजाफा देखने को मिला है | कुछ लोग तो इसमें इन्वेस्टमेंट बहुत गहन अध्ययन के बाद ही करते है, तो कुछ लोग पहले से इसमें इन्वेस्ट करते आ रहे है | लेकिन जब से डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को बढ़ावा मिला है तो छोटा इन्वेस्ट भी देखने को मिलता है | वर्तमान समय में बहुत सारे Digital App भी लांच हो चुके है, जिनके माध्यम से इन्वेस्ट करके मुनाफा कम सकते है | इसी कड़ी में एनएफओ (NFO) के जरिये भी इसमें इन्वेस्ट कर सकते है |

यदि आप Mutual Fund में invest करते हैं, और NFO में भी invest करने की सोच रहे हैं लेकिन आपके मन में NFO को लेकर कई सारे doubts हैं, तो यहाँ एनएफओ (NFO) क्या है तथा एनएफओ का फुल फॉर्म क्या होता है, NFO में Invest कैसे करें ? इसे जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इसमें हमने NFO से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी दी है, जिससे आपके NFO से संबंधित सभी Doubts Clear हो जाएंगे।

एनएफओ (NFO) क्या है?

Table of Contents

जब भी कोई AMC यानि की “Asset Management Company” या फिर “MUTUAL FUND COMPANY” एक नया फंड लॉन्च करती है, तो वह अपना NFO लॉन्च करती है। जब कोई कंपनी अपना NFO लॉन्च करती है तो उसमें investors को आकर्षित करने के लिए उस फंड में कुछ ऑफर देती है और उसके NAV (Net Asset Value) की price को भी काफी कम रखते हैं, ताकि ये निवेशकों को आकर्षित कर सके। वर्तमान समय में जितने भी NFO आ रहे हैं, उसकी Minimum Price 10 रुपए से स्टार्ट होती है।

एनएफओ का फुल फॉर्म

एनएफओ (NFO) का अंग्रेजी में फुल फॉर्म “NEW FUND OFFER” होता है, तथा इसका हिंदी उच्चारण “न्यू फण्ड ऑफर” होता है, तथा हिंदी में इसका अर्थ “नया निधि प्रस्ताव” होता है|

क्या NFO (NEW FUND OFFER) में निवेश करना चाहिए?

अगर आप NFO में निवेश करने की सोच रहे हैं तो यह आपके लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, आप इसे इस तरह से समझ सकते हैं –

  • जब भी आप किसी mutual fund company में निवेश करते हैं तो आप उसके बारे में काफ़ी रिसर्च करते हैं जैसे कि कंपनी ने पिछले 5 years या फिर 10 years में क्या return दिया है। इसके अलावा आपक उस mutual fund company के Past Behavior का भी पता कर सकते हैं और ये भी आसानी से पता चल जाता है, कि उसके उस फंड ने कितना रिटर्न दिया और उसने कहां कहां निवेश किया था।
  • लेकिन वहीं बात जब NFO की जाए तो ये हमारे लिए बिल्कुल नई होती है। हमे इसका experience नहीं होता है और हमे ये भी पता नहीं चल पाता है कि ये आने वाले समय में हमे कितना रिटर्न्स दे सकती है।
  • न्यू म्यूचरल फंड में यानी NFO में NAV की price काफी कम होती है, जिसे देखकर लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं।
  • इसलिए हम आपको बता दें, इससे कोई मतलब नहीं होता है कि किसी फंड का NAV price कितना है।
  • कहने का मतलब है कि यदि आपने 1000 रूपए को किसी NFO में लगाया और 1000 रूपए को ही किसी और अन्य फंड में लगाया तो दोनों लगभग आपको एक जैसा ही रिटर्नस ही देती है।
  • एक फैक्टर यहां पर बहुत मायने रखता है कि कंपनी किस तरह से काम करती है यदि NFO की MUTUAL FUND अच्छा वर्क कर जाए तो वह आपको अच्छा रिटर्न दे जाएगी और अगर अच्छा Work ना करे तो अच्छा रिटर्न नही दे पाएगी।
  • लेकिन यदि आप पुराने MUTUAL FUND जिसमें निवेश कर रहे हैं तो हो सकता है वो आपको ज्यादा Returns दे जाए।
  • इसलिए यदि आप इस बात से आकर्षित हो रहे हो कि NFO क्या होता है और उसमें कैसे निवेश करें? इसकी NAV की PRICE कम है, और इसके NAV की PRICE ज्यादा है, तो यह कोई मायने नहीं रखता है।
  • कुल मिलाकर अंत में यही निष्कर्ष निकलता है, कि आप NFO में निवेश करने के स्थान पर ऐसे फंड्स में निवेश करें जिसका अपना एक Strong Track Record हो।

NFO में Invest कैसे करें?

Mutual fund NFO में निवेश तभी संभव है, जब आपके पास 15 दिनों की सदस्यता अवधि हो। पहले इसमें अवधि की सीमा 45 दिनों की होती थी। आप NFO में निवेश One Time या SIP के द्वारा आसानी से कर सकते हैं। यहां हम आपको सलाह देंगे, आप एनएफओ में निवेश गहन विश्लेषण करने के बाद ही करें। यदि शेयर मार्केट Down है या फिर Market में मंदी छा रही है, तब आप निवेश जरूर करें।

एनएफओ (NFO) का ट्रैक रिकॉर्ड नहीं

अभी यह एक नया फंड है, इसलिए इसका कोई भी ट्रैक रिकॉर्ड नहीं मौजूद होता है, जिस वजह से हम निवेश का निर्णय जल्दी नहीं ले सकते है | इसलिए इसके अधिकतर निवेशक, फंड हाउस के पहले का रिकॉर्ड चेक करके NFO में निवेश करते हुए नजर आते हैं, परन्तु सही मायने में देखा जाये तो यह भी सही रणनीति नहीं कहीं जा सकती है | क्योंकि नए निवेश रणनीति के समक्ष नई चुनौतियां देखने को मिलती हैं, और आपको उसका अनुमान लगाना मुश्किल होता है, कि यह फंड कामयाब हो भी पायेगा या फिर नहीं | इसलिए सदैव ऐसे फंड में निवेश का विकल्प सही होता है, जिसका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा होता है |

एनएफओ (NFO) लॉन्चिंग टाइम

इन्वेस्ट मार्किट में यदि कोई एनएफओ किसी खास समय पर लॉन्च हुआ होता है, तो उसके लिए यह जरूरी नहीं है, कि इस समय इसमें निवेश करने का निर्णय सही हो सकता है | एएमसी (AMC) अपने प्रोडक्ट बास्केट यानि कि उत्पाद को और बड़ा करने या पूर्ण करने हेतु भी एनएफओ लाया जाता हैं | इसलिए यह कह सकते है, कि एनएफओ लॉन्च हुआ है, और इसमें निवेश किया जा सकता है, यह सही निर्णय अर्थात मैनेजमेंट नहीं होगा |

अगर सही मायेने में देखा जाये तो एनएफओ (NFO) में निवेश करना अंधे के तीर चलाने के बराबर है | इसलिए सही रणनीति यह है कि अनिश्चितता की बजाय ऐसे Funds में निवेश करना सही है, जिसका एक सॉलिड ट्रैक रिकॉर्ड मौजूद होता है | इससे आप अपने अनुभव और विश्लेषण के अनुसार इन्वेस्ट कर पाएंगे |

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