Rupee Vs Dollar: रुपया हुआ धराशायी, जानें क्या होगा आपकी जेब पर असर

Rupee Vs Dollar: रुपया हुआ धराशायी, जानें क्या होगा आपकी जेब पर असर

डीएनए हिंदी: भारतीय रुपया (Indian Currency) आज यानी कि विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट सोमवार को अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. आज भारतीय रुपया 77.42 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. रॉयटर्स के मुताबिक शंघाई में कड़े लॉकडाउन से वैश्विक मार्केट बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं अमेरिका में फेडरल रिजर्व नीतियों में परिवर्तन करने से अमेरिकी शेयर वायदा में गिरावट देखने को मिली. इसका असर भारतीय बाजार में भी गिरावट देखने को मिली.

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया और भी ज्यादा कमजोर हो गया है जिसके बाद यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. सोमवार को रुपया 0.3% की गिरावट के साथ 77.1825 डॉलर प्रति डॉलर पर आ गया, जो मार्च में पिछले रिकॉर्ड निचले 76.9812 को छू गया था. इसके पहले शुक्रवार को रुपया 55 पैसे टूटकर 76.90 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था.

विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव

देश का विदेश मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) भी बुरी तरह प्रभवित हुआ है. लगातार इसमें भी कमी दर्ज की जा रही है. वर्तमान समय में यह घटकर 600 अरब डॉलर के नीचे पहुंच गया है. मालूम हो कि इसमें लगातार 8 हफ्तों से गिरावट देखी जा रही है. 29 अप्रैल के आंकड़ों पर नजर डालें तो फोरेक्स रिजर्व 2.695 अरब डॉलर गिरकर 597.73 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है.

रुपये में क्यों आई गिरावट

विदेशों फंडों ने इस साल भारतीय इक्विटी से रिकॉर्ड तोड़ 17.7 बिलियन डॉलर की बिकवाली की है. मुद्रा को चालू खाते के बढ़ते घाटे और वैश्विक कच्चे तेल (CRUDE OIL) की कीमतों में उछाल सहित अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों से भी प्रभावित किया गया है. यहां तक ​​कि पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की आउट-ऑफ-साइकिल दर वृद्धि रुपये की गिरावट को रोकने में सक्षम नहीं है.

बीएनपी परिबास के रणनीतिकार सिद्धार्थ माथुर और चिदु नारायणन ने एक नोट में लिखा, "नीति को सामान्य बनाने में तात्कालिकता की आवश्यकता की आरबीआई की मान्यता समर्थन का एक स्रोत है." "हालांकि इक्विटी प्रवाह ब्याज-दर संवेदनशील प्रवाह पर हावी हो सकता है, घरेलू वित्तीय स्थितियों में तेजी से सख्त होने के परिणामस्वरूप इक्विटी बाजार (stock maket) की सेंटिमेंट में गिरावट से रुपये के लिए एक उच्च नकारात्मक जोखिम है."

आम नागरिकों की जेब पर पड़ेगा असर

रुपये में गिरावट होने से सबसे ज्यादा असर आम नागरिकों की जेब पर पड़ेगा. इसका असर आयात करने वाले क्षेत्रों पर खासकर पड़ेगा. कच्चे तेल को ही विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट ले लें, भारत अपनी जरुरत का लगभग 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है. ऐसी स्थिति में रुपया और गिर सकता है और विदेशी मुद्रा में और अधिक कमी आ सकती है. कुल मिलाकर ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स जैसी चीजें महंगी (INFLATION) हो जाएंगी.

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विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार चौथे सप्ताह आई गिरावट, 1.15 अरब डॉलर घटकर 571.56 हुआ

नईदिल्ली। आर्थिक र्मोचे पर झटका देने वाली खबर है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार चौथे हफ्ते गिरावट दर्ज हुई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 जुलाई को समाप्त हफ्ते में 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर रह गया। इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 14.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.502 अरब डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी।

आरबीआई के मुताबिक 22 जुलाई को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर रह गया, जबकि इससे पहले 15 जुलाई को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर रह गया था। वहीं, 8 जुलाई को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर गिरकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था, जबकि एक जुलाई को विदेशी मुद्रा भंडार 5.008 अरब डॉलर घटकर 588.314 अरब डॉलर पर था।

आरबीआई के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में लगातार उतार-चढ़ाव की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है। समीक्षाधीन हफ्ते में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.426 अरब डॉलर घटकर 510.136 अरब डॉलर रह गईं। इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 14.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.502 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) भी 10.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.963 अरब डॉलर हो गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 2.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.96 अरब डॉलर हो गया।

रुपया गिरने से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 5 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट, ऐसे विश्वगुरु बनेगा भारत?

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार कमी आ रही है. अगस्त में भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. अब सातवें सप्ताह गिरकर 16 सितंबर को ये 545.652 बिलियन डॉलर तक गिर गया है.

भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में 5.219 अरब अमेरिकी डॉलर की घटोतरी हुई है. 2 अक्टूबर, 2020 के बाद से ये इसका सबसे निचला स्तर है. पिछले सप्ताह के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 550.871 अरब डॉलर था.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, रुपये की कीमत ने रिजर्व बैंक की टेंशन थोड़ी बढ़ा दी है. लिहाजा आरबीआई रुपये की कीमत को नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रहा है.

इन चीजों का असर मुद्रा भंडार पर दिख रहा है. डॉलर में तेजी की वजह से भारतीय रुपया पर लगातार दबाव बना हुआ है.

अगस्त में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. 2 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 560 अरब डॉलर से गिरकर 553.105 अरब डॉलर पर आ गया था. इसमें 7.941 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली थी.

इस समय मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर आ गया था. 26 अगस्त 2022 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 561.046 अरब डॉलर था.

रुपया कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार कमजोर होता है. देश को आयात के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं तो जाहिर सी बात है कि खजाना खाली होगा. यह आर्थिक लिहाज से ठीक बात नहीं है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, करीब तीन महीने पहले तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब अमेरिकी डॉलर था.

इसके पहले हफ्ते में भी 2.23 अरब अमेरिकी डॉलर की कमी आई थी. भारतीय रूपये के गिरने के कारण इसका असर भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है.

तीन बार लगातार गिरावट के बाद फिर दर्ज हुई विदेशी मुद्रा भंडार और गोल्ड रिजर्व में बढ़त

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहता है, लेकिन नए साल की शुरुआत में 2 बार दर्ज की गई बढ़त के बाद इसमें काफी बार लगातार गिरावट ही दर्ज की जा रही थी। हालांकि, स्वर्ण भंडार में बीच-बीच में बढ़त देखने को मिली, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट ही दर्ज की गई, लेकिन इस बार आंकड़े उलट नजर आए हैं। क्योंकि, इस बार दोनों में बढ़त दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से हुआ है।

RBI के ताजा आंकड़े :

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 24 जून को समाप्त सप्ताह में 2.734 अरब डॉलर बढ़कर 593.323 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जबकि 17 जून 2022 समाप्त सप्ताह में 5.87 करोड़ डॉलर से घटकर 590.विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट 588 अरब डॉलर पर आ गिरा था। वहीं, उससे पहले भी 10 जून 2022 समाप्त सप्ताह में 4.599 करोड़ डॉलर घटकर 596.458 अरब डॉलर पर जा पहुंचा था। बताते चलें, विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़त लगभग 3 हफ्तों तक लगातार दर्ज हो रहगी गिरावट के बाद अब फिर बढ़ा है। इस बढ़त के बाद विदेशी मुद्रा भंडार एक बार फिर से 600 अरब डॉलर के स्तर छूने की कगार पर जा पंहुचा है।

गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :

बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय से गिरावट दर्ज की गई थी, वहीं, अब समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 34.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.926 अरब डॉलर पर जा पहुंची हैं। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में गिरावट ही दर्ज की गई थी। रिजर्व बैंक ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन अब जब FCA में बढ़त दर्ज हुई है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।

आंकड़ों के अनुसार FCA :

रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़कर होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार FCA 2.334 अरब डॉलर बढ़कर 529.216 अरब डॉलर हो गई। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 5.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि, IMF में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 30 लाख डॉलर बढ़कर 4.97 अरब डॉलर हो गया।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?

विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है, इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है, यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :

विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।

अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।

यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान को तत्काल खरीदने का निर्णय ले सकती है।

विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।

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विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट

भारत से लेकर चेक गणराज्य तक के केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का समर्थन करने के लिए हस्तक्षेप कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग वर्ष 2003 से इसका डाटा एकत्र कर रहा है और उसके मुताबिक यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है.

विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है.

वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड तेजी से गिर रहा है. भारत से लेकर चेक गणराज्य तक के केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा का समर्थन करने के लिए हस्तक्षेप कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वह वर्ष 2003 से इसका डाटा एकत्र कर रहा है और यह अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. इस साल वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर या 7.8 फीसदी की गिरावट के साथ 12 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. गिरावट का सबसे बड़ा कारण डॉलर का येन और यूरो जैसी मुद्राओं के मुकाबले दो दशक के उच्च स्तर पर पहुंच जाना है. डॉलर की तेजी ने सभी देशों के केंद्रीय बैंक को दबाव में ला दिया है.

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उदाहरण के तौर पर भारत का ही विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है. भारत के केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के दौरान संपत्ति के मूल्यांकन में 67 प्रतिशत की गिरावट आई है. इस साल डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले महीने यह रिकॉर्ड स्तर पर था. भारतीय केंद्रीय बैंक को रुपये की गिरावट रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा.

इसी तरह 1998 के बाद पहली बार जापान ने 20 बिलियन डॉलर खर्च कर येन को संभाला. इससे उसके रिजर्व का लगभग 19 प्रतिशत तक कम हुआ. चेक गणराज्य का भी फरवरी से अब तक 19 प्रतिशत रिजर्व कम हुआ है. आमतौर पर सभी देशों के केंद्रीय बैंक विदेशी पूंजी आने पर डॉलर खरीदते हैं और खराब समय आने पर इसे कम कर अपनी मुद्रा को ताकत देते हैं, मगर इस बार मामला गंभीर दिख रहा है.

डच बैंक एजी के मुख्य अंतरराष्ट्रीय रणनीतिकार एलन रस्किन ने बताया कि एशिया के कुछ देशों के पास अभी भी विदेशी मुद्रा भंडार काफी है. वह अपनी मुद्रा की गिरावट रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को और कम कर सकते हैं. भारत के पास अभी भी वर्ष 2017 की तुलना में 49 प्रतिशत ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार है और यह नौ महीने के आयात के भुगतान के लिए पर्याप्त है. शुक्रवार को इंडोनेशिया, मलेशिया, चीन और थाइलैंड अपने नवीनतम विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी करेंगे. हालांकि, अन्य देशों के विदेशी मुद्रा भंडार जल्द समाप्त हो रहे हैं. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल 42 फीसदी की गिरावट के बाद पाकिस्तान का 14 अरब डॉलर का भंडार तीन महीने के आयात को भी कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

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