ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

रुपये की गिरावट

मंगलवार को कारोबार के दौरान भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80.06 की नई गिरावट तक फिसल गया। हालांकि इसके तत्काल बाद रुपये के मूल्य में थोड़ा सुधार देखने को मिला और दिन के अंत में यह डॉलर के मुकाबले 79.95 पर बंद हुआ। इस वर्ष के आरंभ से अब तक भारतीय मुद्रा अपने मूल्य का सात फीसदी गंवा चुकी है। कुछ एशियाई तथा उभरते बाजारों की कुछ मुद्राओं का प्रदर्शन और भी खराब रहा जबकि कुछ का प्रदर्शन बेहतर भी रहा। डॉलर बनाम एशियाई मुद्राओं का एक सूचकांक संकेत देता है कि इस वर्ष डॉलर के मुकाबले एशियाई मुद्राएं 6.5 फीसदी गिरी हैं यानी रुपये का प्रदर्शन अन्य एशियाई मुद्राओं से थोड़ा खराब रहा है। उदाहरण के लिए इस वर्ष युआन के मुकाबले रुपया 1.3 प्रतिशत गिर चुका है।

हालांकि बढ़ते डॉलर के संदर्भ में उभरते बाजारों की मुद्राओं का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा है। उदाहरण के लिए 1 जनवरी के बाद से जापानी येन डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी गिरा है। विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में रुपये में और गिरावट आएगी। चालू तिमाही में भी वह कमजोर बना रहेगा। इन अनुमानों में 30 अरब डॉलर की उस विदेशी राशि का भी उल्लेख है जो इस वर्ष भारतीय शेयरों से बाहर गई है। इसके अलावा कैरी ट्रेड (कम ब्याज दर वाली मुद्रा में उधार लेकर उच्च ब्याज वाली मुद्रा में निवेश) के अनाकर्षक होने और देश में बढ़ते व्यापार घाटे का भी जिक्र है। वर्ष के अंत तक वायदा बाजार डॉलर गिरावट की मुद्रा के मुकाबले तीन फीसदी की अतिरिक्त गिरावट पर आधारित है और वास्तविक प्रभावी विनिमय दर के मामले में यह 2.5 फीसदी है। एक या दो अन्य मुद्राओं का प्रदर्शन इससे अधिक खराब रह सकता है। खासतौर पर कोरियाई मुद्रा वॉन जो वैश्विक ईंधन कीमतों में बदलाव से भी प्रभावित होती है।

रुपया रसातल में, अब गिरावट की मुद्रा विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, 4.50 करोड़ डॉलर की बड़ी गिरावट

रुपया रसातल में, अब विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, 4.50 करोड़ डॉलर की बड़ी गिरावट

भारतीय करेंसी रुपया में हर दिन नई गिरावट आ रही है। इस गिरावट के बीच अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 4.50 करोड़ डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया। इससे पहले, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।

इसमें इस साल अगस्त के बाद से पहली बार किसी साप्ताह में वृद्धि हुई थी। बता दें कि एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

गिरावट की मुद्रा

Written by जनसत्ता; रुपया लगातार नीचे की तरफ रुख किए हुए है, इसलिए इसे लेकर अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं धुंधली होने लगी हैं। जब भी किसी मुद्रा में लगातार गिरावट का रुख बना रहता है, तो वहां मंदी की संभावना प्रबल होने लगती है। एक डालर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में तिरासी रुपए एक पैसा आंकी गई।

हालांकि सरकार को उम्मीद है कि यह दौर जल्दी ही खत्म हो जाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में पहुंच जाएगी। शायद इसी विश्वास के चलते वित्त मंत्री ने भी कह दिया कि रुपए की कीमत नहीं गिर रही, डालर मजबूत हो रहा है। रुपए की कमजोरी की बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को बताया जा रहा है। मगर केवल इन्हीं दो स्थितियों को रुपए के कमजोर होने का कारण नहीं माना जा सकता। किसी भी मुद्रा में गिरावट तब आनी शुरू होती है जब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिकुड़न आने लगती है यानी खरीदारी कम होने लगती है। लोगों की क्रयशक्ति घटने लगती है और लोग निवेश को लेकर हाथ रोक देते हैं।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी, 2 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के आसार

भारत का फॉरेक्स रिजर्व अभी और नीचे जाएगा: इकोनॉमिस्ट्स

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 01, 2022, 08:22 IST

हाइलाइट्स

भारत का फॉरेक्स रिजर्व 8 अरब डॉलर घटकर 540 अरब डॉलर से नीचे आया.
पिछले हफ्ते भी इसमें गिरावट देखने को मिली थी और ये 546 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया था.
केवल डॉलर ही नहीं गोल्ड रिजर्व में भी 30 करोड़ डॉलर की गिरावट देखी गई.

नई दिल्ली. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी है. 23 सितंबर को समाप्त हुए कारोबारी सप्ताह में भारत का फॉरेक्स रिजर्व 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया. आरबीआई ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी. इससे पिछले करोबारी हफ्ते में फॉरेक्स रिजर्व घटकर करीब 546 अरब डॉलर (545.54 अरब डॉलर) रह गया था.

बता दें कि गिरावट की मुद्रा आरबीआई लगातार रुपये की गिरती वैल्यू को बचाने के लिए हस्तक्षेप कर रहा है और डॉलर बेच रहा है. हा ही में रॉयटर्स के एक सर्वे में इस बात का अंदेशा जताया गया था कि भारत का फॉरेक्स रिजर्व 2 साल के निचले स्तर पर जा सकता है. केवल डॉलर की ही नहीं भारत का गोल्ड रिजर्व भी 30 करोड़ डॉलर घटकर 37.886 अरब डॉलर पर आ गया है.

रुपये में गिरावट या उछाल?

जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे तब वह अक्सर ऐसी अखबारी सुर्खियों को देखकर नाराज हो जाते थे जिनमें कहा जाता था कि ‘रुपया नये स्तर तक गिर गया’ या उसमें ‘रिकॉर्ड गिरावट’ आई। वह मुद्रा की गिरती कीमत को अपने प्रदर्शन से जोड़कर देखते थे लेकिन इन सुर्खियों के बारे में वह एक मार्के की बात कहते थे। वह कहते थे कि अगर रुपये जैसी आमतौर पर कमजोर मुद्रा गिर रही है तो हर गिरावट (भले ही वह कुछ पैसों की हो) रिकॉर्ड गिरावट ही होगी। ये सुर्खियां और मंत्री की प्रतिक्रिया दोनों ने ही कमजोर मुद्रा में गिरावट से जुड़े दिमागी पूर्वग्रह की अनदेखी की। यकीनन मुद्रा में गिरावट, उसके मूल्य में तेजी की तुलना में अधिक ध्यान खींचती है।

यह इतिहास प्रासंगिक क्यों है? क्योंकि डॉलर के समक्ष रुपये में ‘रिकॉर्ड गिरावट’ एक बार फिर सुर्खियों में है। समाचार पत्र ये नहीं कहते (हालांकि निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को इस ओर इशारा किया) कि डॉलर के मुकाबले लगभग सभी मुद्राओं में गिरावट आ रही है और रुपया अन्य मुद्राओं की तुलना में कम गिरा है। वर्ष 2022 की पहली छमाही में डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में छह फीसदी की गिरावट आई है। यूरो 11.6 प्रतिशत, येन 19.2 प्रतिशत और पाउंड 13.2 प्रतिशत गिरा है। चीन गिरावट की मुद्रा की मुद्रा युआन जरूर केवल 3.6 प्रतिशत गिरी है लेकिन ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और पाकिस्तान की मुद्राएं और ज्यादा गिरी हैं। ऐसे में सही खबर यह होनी चाहिए कि रुपया लगभग अन्य सभी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ है। लेकिन यह खबर नदारद है।

रेटिंग: 4.68
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 613