एसडीओ द्वारा काम बंद करने का निर्देश देने के बाद भी नहीं रुका घटिया काम
कैरो/लोहरदगा/झारखंड- कैरो से भंडरा तक सड़क का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। व्यापार बंद करो इस सड़क निर्माण कार्य में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। एसडीओ अरविंद कुमार लाल ने इस सड़क का निरीक्षण एक दिन पहले किया था। उन्होंने पाया घटिया चिप्स और बालू का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह देखकर एसडीओ ने काम बंद करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन 24 दिसम्बर को ठेकेदार द्वारा फिर से वही घटिया चिप्स बालू से निर्माण कार्य चालू करा दिया गया। इसको देखते हुए ग्रामीणों के द्वारा बीडीओ पवन कुमार महतो को जानकारी फोन के माध्यम से दी गई।
जानकारी मिलते ही बीडीओ पवन कुमार महतो कार्यस्थल पहुँच कार्य व्यापार बंद करो की जाँचकर काम को फिलहाल रोक दिया। इस दौरान बीडीओ पवन कुमार महतोके साथ-साथ मुखिया विरेन्द्र महली, पूर्व पंचायत समिति सह बीससूत्री सदस्य शरत कुमार विद्यार्थी, समीद अंसारी, बजरंग उरांव, सूरज मोहन साहू, अख्तर अंसारी, विवेक प्रजापति, नईम अंसारी, मतलूब अंसारी, मुस्लिम अंसारी, एनुल अंसारी, समीरुद्दीन अंसारी, राजू प्रजापति, मजीद अंसारी समेत दर्ज़नों लोग उपस्थित थे।
तालिबान ने एनजीओ को कहा, ‘महिलाओं को नहीं करने देंगे काम, इस्लामी रिवाज के कपड़े नहीं पहनतीं’
सहायता अभियान में जुटे तीन गैर-सरकारी संगठनों ने अपना काम बंद कर दिया है और इस समस्या का निदान न होने तक आगे काम न करने का फैसला किया है
by WEB DESK
काबुल में एक एनजीओ द्वारा खाद्य साम्रगी वितरित किए जाने का इंतजार करते लोग
कट्टर इस्लामी तालिबान के राज में बदतर होते जा रहे देश अफगानिस्तान में राहत और मानवीय मदद के काम में लगे विदेशी सहायता समूहों का भी काम करना मुहाल हो गया है। तालिबान को इन एनजीओ में काम कर रहीं महिलाओं को लेकर आपत्ति है। इस्लामी लड़ाकों की सरकार ने कहा है कि ये संगठन महिलाओं को काम पर न लगाएं क्योंकि ये इस्लामी तौर—तरीके से कपड़े नहीं पहनती हैं। तालिबान के इस फरमान के बाद से तीन गुस्साए एनजीओ ने अफगानिस्तान में अपना काम बंद कर दिया है। इन गैर सरकारी विदेशी संगठनों में ‘सेव द चिल्ड्रन’ संस्था भी है।
वैसे सब जानते हैं कि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से ही उस देश में महिलाओं का जीना मुश्किल किया व्यापार बंद करो हुआ है। अगस्त 2021 के बाद से ढेरों ऐसे फैसले लिए गए हैं जो सीधे सीधे महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक बना चुूके हैं। महिलाओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। बच्चियों के लिए स्कूल के दरवाजे बंद करने वाले तालिबान ने हाल ही में विश्वविद्यालयों में भी लड़कियों की तालीम पर रोक लगा दी है।
इन एनजीओ में प्रमुख हैं सेव द चिल्ड्रन, द नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल तथा केयर। इन संगठनों की तरफ से कहा गया है कि वे तो अफगानिस्तान में लड़ाई, अकाल तथा आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने के काम में लगे हैं। लेकिन शायद तालिबान को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है। इसलिए वे हमारा काम बंद कराने के तरीके ढूंढ रहे हैं।
एएनआई की खबर है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने सभी स्थानीय तथा विदेशी गैर-सरकारी संगठनों को महिला कर्मचारियों को काम पर लगाने से बाज आने का हुक्म सुनाया है। इससे गुस्साए सहायता अभियान में जुटे तीन गैर-सरकारी संगठनों ने अपना काम बंद कर दिया है और इस समस्या का निदान न होने तक आगे काम न करने का फैसला किया है। तालिबान ने इन संगठनों में महिलाओं के काम करने पर रोक इसलिए लगाई है क्योंकि वे कथित तौर पर इस्लामी ड्रेस कोड का पालन नहीं कर रही थीं।
इन एनजीओ में प्रमुख हैं सेव द चिल्ड्रन, द नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल तथा केयर। इन संगठनों की तरफ से कहा गया है कि वे तो अफगानिस्तान में लड़ाई, अकाल तथा आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने के काम में लगे हैं। लेकिन शायद तालिबान को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है। इसलिए वे हमारा काम बंद कराने के तरीके ढूंढ रहे हैं। संगठनों का कहना है कि, उनके काम में महिलाओं की भी बड़ी भूमिका है, जिनके बिना वे अपना काम जारी नहीं रख सकते। इसलिए उन्होंने यह पाबंदी हटने तक काम रेाक देने का फैसला किया है।
पता चला है कि तालिबान सरकार की तरफ से कई स्थानीय तथा विदेशी एनजीओ को पत्र जारी करके इस फैसले की व्यापार बंद करो जानकारी दी गई है। यूरोपीय संघ ने अफगानिस्तान में गैर सरकारी संगठनों के काम में तालिबान द्वारा इस तरह की अड़चन पैदा करने पर व्यापार बंद करो उसकी कड़ी भर्त्सना की है।
मादक पदार्थ का कारोबार सीमा रहित अपराध: शाह
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मादक पदार्थो (drugs) के कारोबार को ‘सीमा रहित अपराध’ (borderless crime) करार देते हुए बुधवार को कहा कि सरकार की नशीली दवाओं के कारोबार और इस से होने वाली कमाई के खिलाफ ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति है तथा इस लड़ाई को केंद्र और राज्य सहित सभी को मिलकर लड़ना होगा।
शाह ने कहा, नशा मुक्त भारत के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यह लड़ाई केंद्र या राज्य की नहीं बल्कि हम सभी की है और इसके वांछित परिणाम के लिए बहु-आयामी प्रयास आवश्यक हैं। लोकसभा में नियम 193 के तहत ‘देश में मादक पदार्थ दुरुपयोग की समस्या और इस संबंध में सरकार द्वारा उठाये गये कदम’ विषय पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए शाह ने कहा, ‘यह सीमारहित अपराध है। इस अपराध की कोई सीमा नहीं है। कोई भी कहीं से बैठकर मादक पदार्थ भेज देता है और इसमें हमारे बच्चे फंसते है एवं नस्लें बर्बाद होती हैं।’ उन्होंने कहा कि सरकार की ड्रग्स के कारोबार और इस से होने वाली कमाई के खिलाफ ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’ की नीति है और इसे तीन हिस्सों में बांट कर लड़ा जा रहा है।
गृह मंत्री ने कहा कि इसमें पहली संस्थागत मजबूती एवं सतत निगरानी, दूसरा एजेंसियों का सशक्तीकरण एवं समन्वय तथा तीसरा विस्तृत जागरूकता एवं पुनर्वास अभियान शामिल है। शाह ने कहा, हम सहयोग (कॉओपरेशन), समन्वय (कॉर्डिनेशन) और गठजोड़ (कोलेबरेशन) के त्रिसूत्री सिद्धांत के आधार पर काम कर रहे हैं और जब तक ऐसा नहीं होगा, हम लड़ाई नहीं जीत पायेंगे।’ उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘नशामुक्त भारत’ का लक्ष्य रखा है और इसे हासिल करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी, केंद्र और राज्यों को यह लड़ाई मिलकर लड़नी है।
पाकिस्तान से मादक पदार्थ भेजे जाने के कुछ सदस्यों के उल्लेख पर शाह ने कहा कि पाकिस्तान से अभी कोई कारोबार नहीं हो रहा है, ऐसे में सरहद से होकर नशीले पदार्थ नहीं आते हैं, लेकिन वहां व्यापार बंद करो से ड्रोन से आते हैं, सुरंग बनाकर भेजा जाता है और बदंरगाहों के रास्ते आता है। उन्होंने कहा कि व्यापार बंद करने का विषय नहीं है बल्कि जो नये-नये तरीके खोजे जाते हैं उनसे निपटना होगा।
गृह मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीति को स्पष्ट करना चाहता हूं कि जो नशे का सेवन करते हैं, वे इसके पीड़ित हैं और उनके प्रति सहनानुभूति होनी चाहिए और उनकी नशामुक्ति के लिए प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन जो व्यापार करते हैं उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए, उन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिए तथा कानून के शिकंजे में लाना चाहिए और यदि ऐसा नहीं किया जाता तो यह पीड़ित के खिलाफ होगा।
शाह ने कहा कि सामाजिक वातावरण तैयार करना होगा कि ताकि जो बच्चा इसमें फंस गया है, वह वापस आ सके और समाज उसे स्वीकार कर ले। उन्होंने कहा कि सभी सांसदों को मिलकर इस बारे में प्रयास करने की जरूरत है। शाह ने ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में सभी राज्यों के सहयोग के व्यापार बंद करो लिये आभार प्रकट किया और कहा कि इस लड़ाई में सभी राज्य कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। (भाषा)
श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने दी शानदार प्रस्तुतियां, एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता आर्यन व देवांश को किया सम्मानित
श्रीनगर गढ़वाल : हिमालय साहित्य एवं कला परिषद श्रीनगर गढ़वाल की ओर से सोमवार को श्रीनगर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई तथा पंडित मदन मोहन मालवीय की जन्म तिथि, तुलसि जयंती, क्रिसमस दिवस के साथ ही नव वर्ष के स्वागतार्थ आयोजित इस साहित्यिक समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रख्यात कवियों ने काव्य पाठ किया।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शुभारम्भ बतौर मुख्य अतिथि प्रो. आरपी गैरोला, प्रो. एसएस रावत, पूर्व पालिका अध्यक्ष कृष्णानंद मैठाणी ने दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से सेवानिवृत्त प्रो. सम्पूर्ण सिंह रावत ने की.
सबसे पहले कवि सम्मेलने में इंदौर से पहुंचे कवि अशोक नागर ने “घर बड़ा हो या छोटा गर मिठास ना हो तो, आदमी क्या आएंगे चीटियां नहीं आती”। रचना प्रस्तुत की जिस पर पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। उसके बाद लखनऊ के साहित्यकार श्यामल मजूमदार की हास्य व्यंग्य रचनाओं “सियासत में अंन्धी कमाई न व्यापार बंद करो होती। तो चेहरे पर उनके लुनाई ना होती। अगर कुत्ता उनका गटर में न गिरता। तो सीवर की जल्दी सफाई न होती”। पर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाईं।
इसके बाद हरदोई से आये गीतकार सुखदेव पांडेय सरल ने मां पर केंद्रित मुक्तक सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। इसके साथ ही उनकी उत्तराखण्ड पर केंद्रित रचना “ तू मेरा है मुझे तुझपे घमंड है, इसलिये प्यार भी तुझसे प्रचंड है. तन भले ही हैं दो प्राण है एक ही, मैं हूँ यू पी तो तू उत्तराखंड है.” को श्रोताओं ने खूब सराहा।
शहजहांपुर से आए युवा कवि प्रशांत बाजपेई ने “कैसे ना संदेह करें हम राजनीति की खोटों पर।, चौराहों पर चिल्लाऊंगा भारत मां की चोटों पर।, गांधी जी और सावरकर पर रोना-धोना बंद करो। कब सुभाष का फोटो छापोगे भारत में नोटों पर?” रचना सुनाकर देशभक्ति से श्रोताओं को ओत-प्रोत किया।
पौड़ी की कवियत्री डॉ. ऋतु सिंह ने “चले आओ पहाड़ों पर, निमंत्रण दे रही हूं मैं” सुनाकर कवि सम्मेलन को जीवंत कर दिया। झांसी के कवि डॉ. दीपक द्विवेदी ने आध्यात्म पर केंद्रित कविता “बड़े संकोच में इस गीत को गाना पड़ा है, तुम्हें बैकुण्ठ से उर में मेरे आना पड़ा है” सुनाकर भक्ति रस में डुबो दिया। कवि सम्मेलन का संचालन प्रसिद्ध कवि नीरज नैथानी ने किया।
एशियन चैंपियनशिप में पावर लिफ्टिंग में स्वर्ण पदक विजेता आर्यन व देवांश का किया सम्मान
हिमालय साहित्य एवं कला परिषद चैरेटेबल ट्रस्ट की ओर से किर्गिस्तान में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले श्रीनगर के आर्यन कंडारी व देवांश नौटियाल का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। सम्मान में उन्हें स्मृति चिह्न, सम्मान पत्र व शॉल भेंट किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने उनकी उपलब्धि को देश एवं श्रीनगर के लिए गौरव का विषय बताया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से सेवानिवृत्त प्रो० सम्पूर्ण सिंह रावत, मुख्य अतिथितित्व प्रोफेसर आर०पी० गैरोला ने किया। प्रोफेसर प्रकाश नौटियाल, प्रोफेसर उमा मैठाणी, प्रोफेसर डीआर पुरोहित, प्रोफेसर आरसी डिमरी, प्रोफेसर संजय पाण्डेय, श्रीकोट गंगानाली व्यापार संघ के अध्यक्ष नरेश नौटियाल, शैलनट नाट्य संस्था के अध्यक्ष अभिषेक बहुगुणा, रोटरी क्लब के वेद व्रत शर्मा, डा. प्रकाश चमोली, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्रीकृष्ण नंद मैठाणी, जिला व्यापार एवं उद्योग संगठन अध्यक्ष वासुदेव कंडारी, वरिष्ठ रंगकर्मी विमल बहुगुणा, राजेश जैन, महेश गिरि, जय कृष्ण पैन्यूली, देवेन्द्र उनियाल, त्रिलोक थपलियाल, अजय चौधरी, प्रेम सिंह उचोली आदि उपस्थित रहे। कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. प्रकाश चमोली एवं नीरज नैथानी ने किया। अंत में संस्था की मुख्य ट्रस्टी डॉ. उमा मैठाणी एवं शम्भू प्रसाद भट्ट स्नेहिल ने सभी आमंत्रित अतिथियों का आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगान के गायन के साथ यह गरिमापूर्ण अखिल भारतीय समारोह संपन्न हुआ।
चीन में कोरोना के चलते सूनी दुकानें और सुनसान पड़े रेस्टोरेंट, फैक्ट्रियां बंद
चीन में हर दिन कोरोना वायरस के 10 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. भले ही चीन नए मामलों को दुनिया से छुपा रहा हो और मौत के आंकड़े भी नहीं बता रहा हो, लेकिन उसके शहरों की हालत पूरी कहानी बयां कर देती है। बीजिंग, शंघाई, वुहान से लेकर झिंजियांग तक, रेस्तरां, बार, दुकानें खाली हैं। इसके अलावा फैक्ट्रियों और कंपनियों में काम ठप हो गया है. निर्माण इकाइयां उत्पादन नहीं करती हैं। सूनी पड़ी कंपनियां और बाजार बताते हैं कि चीन के हालात बेहद खराब हैं। हाल ही में जीरो कोविड पॉलिसी में ढील देने वाले चीन में अब लोग बाहर जाने से डर रहे हैं.
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में कंपनियों को काम बंद करने या प्रोडक्शन में कटौती का फैसला लेना पड़ा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा वर्कर्स को कोरोना से बचाया जा सके। इससे आशंका जताई जा रही है कि चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ेगी। चीन की जीरो कोविड पॉलिसी के तहत दो साल से अधिक समय से सख्त प्रतिबंध लागू थे। जिससे अर्थव्यवस्था काफी कमजोर हो गई है। नवंबर में चीन में व्यापक लॉकडाउन के कारण खुदरा बिक्री में गिरावट आई और बेरोजगारी छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई।
दिसंबर के महीने की बात करें तो कारों और घरों की बिक्री घटी है. 1 दिसंबर से 18 दिसंबर तक चीन में 9,46,000 कारों की बिक्री हुई, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 15 फीसदी कम है। चाइना पैसेंजर कार एसोसिएशन की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इसके अलावा चीन के 30 बड़े शहरों के आंकड़े बताते हैं कि घरों की बिक्री में 44 फीसदी तक की कमी आई है. बीजिंग और शंघाई में गिरावट 53 फीसदी है। स्थिति इतनी विपरीत है कि कर्मचारियों के कोरोना के कारण कई कंपनियों को बंद करना पड़ रहा है.
चीनी स्थानीय मीडिया के अनुसार, पूर्वी प्रांत जिआंगसू में अधिकांश कारखानों ने लोगों से कहा है कि वे नए साल का जश्न मनाने के लिए लंबी छुट्टियों पर जा सकते हैं। चीनी नव वर्ष 21 जनवरी से 27 जनवरी तक मनाया जाता है। लेकिन एक महीने पहले ही छुट्टियां देकर आप समझ सकते हैं कि कोरोना की वजह से क्या स्थिति है. कोरोना की इस नई और प्रचंड लहर के कारण चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव आ गया है। राष्ट्रीय स्तर पर चीन की सरकार कोरोना मामलों के आंकड़े उपलब्ध नहीं करा रही है, लेकिन राज्य कह रहे हैं कि लगभग हर शहर में एक दिन में 10,000 से ज्यादा मामले आ रहे हैं.
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