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विदेश में बसे अपनों को भेजना चाहते हैं विदेशी मुद्रा उपहार? ये क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंकिंग ऐप्स करेंगे मदद

विदेश में बसे अपनों को भेजना चाहते हैं विदेशी मुद्रा उपहार? ये क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंकिंग ऐप्स करेंगे मदद

विदेश में बसे अपने विदेशी मुद्रा कार्ड दरें प्रियजनों के लिए विदेशी मुद्रा उपहार भेजना अब क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंकिंग के माध्यम से आसान हो गया है. एक नज़र उन स्टार्टअप्स पर जो ये सुविधा मुहैया करा रहे हैं.

जब आपके प्रियजन विदेश में रहते है और जिनके लिए आपके मन में प्रेमभावना हैं, तब उन लोगों के साथ भावना से जुड़े रहना मुश्किल लगता है, लेकिन एक ऐसी कृति है जिससे आप यह दूरी को कम महसूस कर सकते है. दुनिया भर में क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंक फॉरेक्स मार्कअप पर काबू पाने, लेन-देन के समय को कम करने और सबसे अधिक किफ़ायती तरीके से उपभोक्ताओं को सुविधा विदेशी मुद्रा कार्ड दरें उपलब्ध हो इस दिशा में काम कर रहा हैं. आज के डिजिटल भुगतान के युग में, टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में मददगार साबित हो रही है और क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंक ने इस सटीक टेक्नोलॉजी का उपयोग करके दुनिया भर में डिजिटल खर्च, साझाकरण और बचत को संभव बनाया है.

भारत में निओ-बैंक की इस सूचि से आपको सहज और सरल वन-टैप समाधान मिलेगा जिससे आप दुनिया भर में अपने प्रियजनों के साथ साझा कर सकते हैं.

moneyHop

 moneyHop  भारत का पहला क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंक है, जो एक साधारण चार-चरणीय प्रक्रिया के माध्यम से दुनिया भर में 0% मार्कअप पर अंतर्राष्ट्रीय स्थानांतरण को सक्षम बनाता है - गंतव्य, मुद्रा और राशि का चयन करें> एक डिजिटल केवाईसी पूरा करें> प्राप्तकर्ता का विवरण जोड़ें> ऑनलाइन भुगतान करें.

यह न केवल लाइव दरों पर लेनदेन को सक्षम बनाता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि कोई छिपा हुआ शुल्क नहीं है. फॉरेक्स कार्ड और डेबिट कार्ड के संयोजन की पेशकश करते हुए, moneyHop अपने उपयोगकर्ताओं को 6% ब्याज पर शून्य-बैलेंस, अंतर्राष्ट्रीय, बचत खाते रखने में सक्षम बनाता है. इसके अलावा, टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर यह सुनिश्चित कर सकता है कि लेन-देन जल्दी, समय पर निर्बाध रूप से हो. यह एक ऐसा मंच है जो लोगों को आर्थिक रूप से करीब लाने के लिए समर्पित है, जो क्रॉस-बॉर्डर क्षेत्र में बैंकिंग के लिए परेशानी मुक्त वातावरण बनाता है.

 NIYO SOLUTIONS  एक निओ-बैंक है जो अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए एक बैंक खाता Niyo ग्लोबल सहित कई डिजिटल बैंकिंग प्रोडक्ट प्रदान करता है. क्रॉस-बॉर्डर निओ बैंकिंग प्रोडक्ट डिजिटल बचत से जुड़े एक विदेशी मुद्रा मार्कअप डेबिट कार्ड को विदेशी मुद्रा एक्सचेंजों पर बिना किसी अतिरिक्त मार्कअप के खाते में सक्षम बनाता है और है और मासिक भुगतान के साथ किसी को 5% ब्याज* प्रति वर्ष तक अर्जित करने की अनुमति देता है. यह Niyo ग्लोबल कार्ड भी प्रदान करता है जो एक INR-आधारित अंतर्राष्ट्रीय कार्ड है जो आपको यात्रा करते समय विदेशी मुद्राओं में लेनदेन करने में मदद करता है.

Jupiter

 Jupiter  एक अन्य प्रमुख निओ-बैंक है जो क्रॉस-बॉर्डर प्रेषण सेवाएं भी प्रदान करता है और सभी अंतरराष्ट्रीय खरीद के लिए लगभग 3.5% शुल्क लेता है और किसी भी अन्य खर्च के लिए स्लैब-आधारित शुल्क लेता है. वे विभिन्न सेवाओं के माध्यम से बचत को प्रोत्साहित करते हैं, जिसमें उनके डेबिट कार्ड और यूपीआई, एक म्यूचुअल फंड निवेश विकल्प, और मुफ्त स्वास्थ्य कवर के साथ एक वेतन खाता के माध्यम से खर्च से जुड़ी उनकी पुरस्कार प्रणाली शामिल है. यह सभी डेबिट कार्डों के लिए बस एकबार दिए जाना वाला शुल्क भी लेता है.

 Fi Money  एक आगामी क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंक है जो न्यूनतम से लेकर बिना किसी छिपे हुए शुल्क के भुगतान की अनुमति देता है. उपभोक्ता न्यूनतम शेष राशि के किसी भी शुल्क और 3% बचत के एक ब्याज खाता के साथ अपने प्लेटफॉर्म पर शुरुआत कर सकते हैं. वे एक ऐसा मंच हैं जिसका उद्देश्य धन प्रबंधन उपकरण के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के निवेश और जमा विकल्पों की पेशकश करके धन प्रबंधन को डिजिटाइज़ करना है. वे 3% की बचत के साथ एक डिजिटल ब्याज खाता भी प्रदान करते हैं.

मुख्य रूप से लेन-देन की सहजता और ग्राहक सुविधा के कारण निओ-बैंकिंग बढ़ रही है. यह टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए अंतिम उपभोक्ता को सबसे अधिक लागत प्रभावी तरीके से उपलब्ध कराने में सफल रहा है. क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंकिंग अंतरराष्ट्रीय खर्च को बाधित कर रहा है, बचत कर रहा है और परिवर्तनकारी गति से भेज रहा है, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भुगतानों के संपर्क रहित, निर्बाध और समय पर हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है जैसा कि घरेलू स्तर पर बिना किसी मार्कअप के किया जाता है. परेशानी मुक्त और उत्सव के लिए समय पर, इस त्योहारी सीजन में क्रॉस-बॉर्डर निओ-बैंक आपके प्रियजनों के लिए आपका अच्छा वाहक बन सकता है.

(फीचर इमेज: freepik)

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Paytm ने विदेशी मुद्रा विनिमय सेवाएं शुरू की

भुगतान वॉलेट सेवा प्रदाता Paytm ने बुधवार को कहा कि उसने 20 अंतरार्ष्ट्रीय मुद्राओं के लिए विदेशी मुद्रा सेवाओं को लांच किया है। पेटीएम ने एक बयान में कहा कि वह बहु मुद्रा विदेशी मुद्रा कार्ड और.

Paytm ने विदेशी मुद्रा विनिमय सेवाएं शुरू की

भुगतान वॉलेट सेवा प्रदाता Paytm ने बुधवार को कहा कि उसने 20 अंतरार्ष्ट्रीय मुद्राओं के लिए विदेशी मुद्रा सेवाओं को लांच किया है। पेटीएम ने एक बयान में कहा कि वह बहु मुद्रा विदेशी मुद्रा कार्ड और विदेशी मुद्रा नकद की पेशकश करेगा।

बयान में कहा गया, 'इस पेशकश के तहत दो फीसदी का भुगतान करके वर्तमान दरों पर विदेशी मुद्रा का विनिमय किया जा सकता है और बाकी भुगतान सुपुर्दगी के वक्त की जा सकती है।' कंपनी ने कहा कि इसके अलावा, ग्राहकों को उनकी खरीद या नकदी निकालने पर कोई कमीशन, सेवा शुल्क या अन्य छिपे हुए शुल्क नहीं देने होंगे।

बयान में आगे कहा गया, 'ग्राहक अपने फोरेक्स कार्ड में किसी एक वित्त वर्ष में 250000 डॉलर लोड कर सकेंगे और करेंसी नोट्स के रूप में 3000 डॉलर तक की खरीद कर सकेंगे।'

Forex Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में फिर आया ये बदलाव, जानें सात दिनों में कितना बदला खजाना, कितना पड़ा है सोना

Forex reserves India: इससे पहले खत्म सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर रह गया था. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों में यह बात सामने आई.

Forex reserves India: देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर रह गया. डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में निरंतर उतार चढ़ाव के बीच विदेशी मुद्रा भंडार घटा है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, इससे पहले खत्म सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर रह गया था. विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों का घटना है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी किए हैं आंकड़े
खबर के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के शुक्रवार को जारी किए गए भारत के साप्ताहिक आंकड़ों (Foreign Exchange Reserve latest Data) के मुताबिक समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.426 अरब डॉलर घटकर 510.136 अरब डॉलर रह गई. डॉलर में दर्शाए गए विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि या मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है.

स्वर्ण भंडार का मूल्य
आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार (gold reserve India) का मूल्य भी 14.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.502 अरब डॉलर हो गया. समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.963 अरब डॉलर हो गया. आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार (Forex reserves India) भी 2.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.96 अरब डॉलर हो गया. बता दें, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का सर्वाधिक ऊंचा स्तर 642.45 अरब डॉलर है.

भारतीय रुपये का ताजा हाल
जुलाई के पहले दो सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 15.5 अरब डॉलर की गिरावट आई थी. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को रुपया 45 पैसे की तेजी के साथ 79.24 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ. घरेलू शेयर बाजार में जोरदार तेजी और डॉलर के कमजोर होने से रुपये को मजबूती मिली. बाजार सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों के ताजा पूंजी प्रवाह से भी रुपये को समर्थन मिला.

______ घरेलू मुद्रा का विदेशी मुद्रा से मापे गये, मूल्य का अनुपात है।

Key Points

  • यह दो देशों के उपभोग टोकरी के सापेक्ष मूल्य की तुलना करता है।
  • आपको दो मुद्राओं के सापेक्ष मूल्य या नाममात्र विनिमय दर से अधिक जानकारी प्राप्त करने में रुचि हो सकती है।
  • वास्तविक दर हमें बताती है कि किसी दी गई राशि के लिए घरेलू बाजार की तुलना में विदेशों में (विदेशी मुद्रा में रूपांतरण के बाद) कितनी बार अधिक या कम सामान और सेवाओं को खरीदा जा सकता है।
  • व्यवहार में, वास्तविक विनिमय दर में इसके निरपेक्ष स्तर के बजाय परिवर्तन महत्वपूर्ण हैं।
  • यह किसी विशेष अवधि में किसी व्यक्ति या संगठन की आय के अंतिम भाग पर चुकाए गए कर की दर है।
  • कानून शहर में अर्जित आय पर शीर्ष सीमांत दर को कम कर देता।
  • वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (REER) किसी देश के मुद्रा मूल्य की तुलना उसके प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की मुद्राओं के भारित औसत से करती है।
  • यह अपने व्यापार भागीदारों की तुलना में किसी राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का संकेतक है।
  • नाममात्र विनिमय दर ई को घरेलू मुद्रा की इकाइयों की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी दिए गए विदेशी मुद्रा की एक इकाई खरीद सकते हैं।
  • इस चर में कमी को मुद्रा का नाममात्र मूल्यवृद्धि कहा जाता है।
  • (स्थिर विनिमय दर व्यवस्था के तहत, दर के नीचे की ओर समायोजन को पुनर्मूल्यांकन कहा जाता है।)

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Last updated on Dec 2, 2022

ICAR Technician DV schedule and admit card released for various locations. The CAR Technician recruitment.is ongoing for 641 vacancies. The candidates who had qualified for the Computer Based Test have been shortlisted for the Document Verification. The ICAR Technician salary will be in the pay scale between INR 21700 - INR 69,100

30 साल पहले विदेशी मुद्रा भंडार पर था संकट, भारत को ऐसे मिला 500 अरब डॉलर का मुकाम

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 501.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. विदेशी मुद्रा भंडार की यह धनराशि एक वर्ष के आयात के खर्च के बराबर है.

विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार

दीपक कुमार

  • नई दिल्‍ली,
  • 13 जून 2020,
  • (अपडेटेड 13 जून 2020, 1:28 PM IST)
  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद सबसे ज्‍यादा
  • भारत को इस मुकाम पर पहुंचने में करीब 30 साल का समय लगा

हर हफ्ते की तरह इस बार भी केंद्रीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी किए हैं. इस बार के आंकड़े बेहद खास हैं. दरअसल, पहली बार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है. इसी के साथ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चीन और जापान के बाद सबसे ज्‍यादा हो गया है. भारत को इस मुकाम पर पहुंचने में करीब 30 साल का समय लगा है.

आनंद महिंद्रा ने याद क‍िया वो दौर

देश के जानेमाने उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भी उस दौर का जिक्र करते विदेशी मुद्रा कार्ड दरें हुए इस नई सफलता पर खुशी जाहिर की है. आनंद महिंद्रा ने कहा, '30 साल पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग शून्य हो गया था. अब हमारे पास तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक भंडार है. आज के माहौल में ये खबर मनोबल बढ़ाने वाली है. अपने देश की क्षमता को मत भूलें और आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर वापस आने के लिए इसका सही से इस्‍तेमाल करें.' लेकिन सवाल है कि 30 साल पहले विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट क्‍यों आ गया था. आइए जानते हैं पूरी कहानी..

क्‍या हुआ था 30 साल पहले?

दरअसल, 1990 के दशक में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर था. भंडार इतना गिर गया था कि भारत के पास केवल 14 दिन के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा बची थी. हालात ये हो गए थे कि भारत सरकार ने बैंक ऑफ इंग्लैंड को 21 टन सोना भेजा, ताकि इसके बदले में विदेशी डॉलर मिल सके. इस डॉलर के जरिए सरकार को आयात किए गए सामानों का भुगतान करना विदेशी मुद्रा कार्ड दरें था. आपको यहां बता दें कि भारत समेत दुनियाभर में अधिकतर कारोबार डॉलर में ही होता है. ऐसे में ये जरूरी बन जाता है कि विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की उपलब्‍धता ज्‍यादा हो.

खाड़ी युद्ध के बाद बिगड़ी थी हालत

1990 के दशक में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार खाली होने की कई वजह है. सबसे बड़ी वजह 1990 का खाड़ी युद्ध है. इस युद्ध के बाद कच्‍चे तेल की कीमतों में भारी इजाफा हो गया था. इसने मुख्य रूप से कच्‍चे तेल के आयात के भरोसे चलने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी. वहीं, युद्ध के माहौल में डर की वजह से विदेशों में रहने वाले भारतीय स्‍वदेश लौटने लगे थे.

ये एक और झटका था, क्‍योंकि विदेशों में काम कर रहे भारतीयों की कमाई से भी विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होता है. दरअसल, दुनिया भर के अलग-अलग देशों में काम करने वाले भारतवंशी अपनी कमाई का एक हिस्सा भारत में अपने परिजनों को भेजते हैं. अधिकतर रकम डॉलर में होने की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है.

इस हालात से कैसे निकला देश?

जब से देश ने उदारीकरण की आर्थिक नीति अपनाई है तब से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ना शुरू हुआ है. इसकी पहल देश के पूर्व पीएम नरसिम्हा राव ने की थी. उन्होंने तब के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में कई बड़े फैसले लिए. इन फैसलों के तहत विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाया गया. वहीं विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए कई तरह के टैरिफ में कटौती की गई. शेयर बाजार और बैंकिंग में सुधारों के लिए जरूरी कदम उठाए गए.

अब क्‍यों हो रहा है इजाफा?

रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पांच जून को समाप्त सप्ताह में 8.22 अरब डॉलर का इजाफा हुआ और इस वजह से विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 501.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. विदेशी मुद्रा भंडार की यह धनराशि एक वर्ष के आयात के खर्च के बराबर है. विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह कच्‍चे तेल की डिमांड में कमी है.

बता दें कि भारत में बीते मार्च महीने से लागू लॉकडाउन की वजह से ईंधन की डिमांड कम हो गई थी. ऐसे में भारत ने कच्‍चे तेल के आयात को कम कर दिया. इसके अलावा, विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की वजह विदेशी निवेश भी है. पिछले तीन-चार महीनों में विदेशी कंपनियों का भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा है. वहीं, विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर पूंजी का प्रवाह शुरू कर दिया है.

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