Image Source : INDIA TV Global Warming
Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग के कारण सूखी नदी, जब नजरें पड़ीं तो उड़े होश, दिखाई दिया डायनासोर!
Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published on: August 25, 2022 15:08 IST
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Highlights
- लगभग 60 फीट लंबे और 44 टन वजन के रहे होंगे
- शहर के कई हिस्सों में भीषण सूखा पड़ गया है
- ये निशान 110 मिलियन वर्ष पुराना बताया जा रहा है
Global Warming: एक समय दुनिया में ऐसे जीव होते थे जिनके बार हम आज सिर्फ किताबों में पढ़ा करते हैं। ऐसे कई जीव समय के साथ गायब हो गए। इसके पीछ की सबसे बड़ी कारण हम तेजी से जंगलों को काटते जा रहे हैं जिसके कारण अन्य जीवों पर काफी प्रभाव पड़ा है। हमारे ही देश में बाघों की बात करें तो संख्या कम होती जा रही है। कई जानवार विल्पुत होते जा रहे हैं। इन विल्पुत जानवरों के अवशेष या कोई निशानी जरूर मिल जाती है। एक ऐसा ही वाकया अमेरिका के टेक्सास से आई है जहां पर एक डायनासोर की निशानी मिली है। टेक्सास में एक नदी के सूख जाने पर जमीन पर डायनासोर के पैरों के निशान पाए गए हैं। इनके निशान कई सालों से चट्टानों के अंदर दबे थे। इसी पास एक पार्क है और ये पार्क डलास के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इस समय गर्मी नें टेक्सास में कहर ढाह रखा है। शहर के कई हिस्सों में भीषण सूखा पड़ गया है।
गुजरात के खेड़ा में बनेगा ‘जुरासिक पार्क’
- अहमदाबाद,
- 28 मार्च 2011,
- (अपडेटेड 28 मार्च 2011, 5:36 PM IST)
गुजरात डायनासोर घाटी राज्य पार्क में खेड़ा जिले के रायोली गांव में जल्द ही डायनासोर जीवश्म डायनासोर घाटी राज्य पार्क पार्क देखने को मिलेगा. इस जगह कभी बड़ी संख्या में इस विशालकाय जीव की आबादी रहा करती थी. यहां से लगभग 85 किलोमीटर दूर बालासिनोर के रायोली गांव में डायनासोर के एक हजार अंडों के जीवाश्म मिले हैं. इस जगह को अब ‘डायनासोर पर्यटन’ केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस स्थल डायनासोर घाटी राज्य पार्क की देखरेख का जिम्मा गुजरात पारिस्थितिकीय एवं अनुसंधान संस्थान के पास है.
पर्यटन मंत्री जयनारायणन व्यास ने कहा, ‘बालासिनोर डायनासोर पार्क लाल चिड़िया वाले कच्छ या सासन गिर स्थित एशियाई शेरों के अभयारण्य की तरह ही एक अद्भुत स्थल है. हम इन स्थलों को विकसित करने और इन्हें अंतरराष्ट्रीय आकषर्ण का केंद्र बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.’ रायोली गांव में सबसे पहले 1981 में डायनासोर के जीवाश्म मिले थे. इन्हें भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण ने खोजा था. इसके एक साल बाद डायनासोर के एक हजार अंडे मिले जिससे यह जीवाश्म वैज्ञानिकों का पसंदीदा स्थल बन गया. वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां डायनासोर की कम से कम सात प्रजातियां रहा करती थीं. जीवाश्म लगभग साढ़े छह करोड़ साल पुराने हैं. व्यास ने कहा कि आम तौर पर माना जाता है कि यह स्थान ‘शिवा ज्वालामुखी’ का हिस्सा था जो लाखों साल डायनासोर घाटी राज्य पार्क पहले एक उल्कापिंड की टक्कर से बना था. वैज्ञानिकों का मानना है कि उल्का की टक्कर और बाद में ज्वालामुखी फूटने से यह क्षेत्र तबाह हो गया. राज्य सरकार ने जीवाश्म पार्क के विकास के लिए छह करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं और वर्तमान में इस पर काम चल रहा है. गुजरात सरकार ने 1997 में इस स्थल के अन्वेषण के लिए 50 जीवाश्म वैज्ञानिकों के समूह को आमंत्रित किया था. तब से बहुत से जीवाश्म विज्ञानी इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं.
बैलाडीला की पहाड़ियों में ‘जुरासिक पार्क’, डायनासोर का दाना-पानी आज भी है मौजूद, देखिए वीडियो…
आजाद सक्सेना, दंतेवाड़ा। दंतेवाडा बैलाडीला की पहाड़ी में एक 90 फीट ऊंचे जल प्रपात की स्थानीय युवाओं ने खोज की है.किरंदुल हरी घाटी में स्थित इस प्रपात के चारों तरफ ट्री फर्न के सैकड़ों पेड़-पौधे भी मिले हैं. अफसरों का दावा है कि यह जुरासिक काल के हैं. बताया जा रहा है कि, बैलाडीला की इस घनघोर वादियों में हजारों साल पहले शाकाहारी डायनासोर की प्राजाति यहां रहती थी. उनका मुख्य आहार ट्री फर्न था. ट्री फर्न डायनासोर घाटी राज्य पार्क की पत्तियों को खाकर वे इस जल प्रपात के पानी से अपनी प्यास बुझाते थे. अब स्थानीय लोगों ने इस जगह को ‘द जुरासिक पार्क’ नाम दे दिया है.
दंतेवाड़ा जिले में किरंदुल शहर से महज 10 से 12 किमी की दूर बैलाडीला की पहाड़ी में एक जल प्रपात और ट्री फर्न का बगीचा स्थित है. जो आज तक लोगों की नजरों से ओझल था. जिस जगह यह स्थित है उस इलाके को स्थानीय लोग हरी घाटी के नाम से जानते हैं. ये इसलिए क्योंकि, यह इलाका हमेशा घने पेड़-पौधों से हरा-भरा रहता है. हालांकि, यहां तक पहुंचना भी किसी के लिए आसान नहीं है. क्योंकि, आज इस इन पहाड़ों में माओवादियों का डेरा है. इसके अलावा NMDC लीज के दायरे में यह आता है. फिर भी घने जंगल पहाड़ी रास्तों का पैदल सफर तय कर स्थानीय युवा यहां पहुंचे, जिसके बाद ही इस जल प्रपात और ट्री फर्न के बगीचा की तस्वीर सामने आई.डायनासोर घाटी राज्य पार्क
750 लाख वर्ष पहले नर्मदा घाटी में था समुद्र, यह रहा सबूत
धार (नईदुनिया)। 750 लाख वर्ष पुरानी समुद्री शार्कों के जीवाश्म डायनासोर घाटी राज्य पार्क मनावर क्षेत्र में आने वाली नर्मदा घाटी से मिले
हैं। खोज के दौरान 20 हजार से अधिक दांत के जीवाश्म और रीढ़ की हड्डी के भाग बड़ी तादाद में मिले, जिनकी जांच के बाद यह सिद्घ हुआ कि करीब 750 लाख वर्ष पूर्व समुद्री हलचल के कारण ये यहां के समुद्र में पहुंची थीं। इससे यहां डायनासोर घाटी राज्य पार्क डायनासोर घाटी राज्य पार्क समुद्र होने की भी पुष्टि हुई है।
अलग थी भौगोलिक स्थिति : उस काल में भारत लगभग पृथ्वी की विषुवत रेखा पर स्थित था। बिना हड्डी की ये मछलियां आकार में चार से छह मीटर लंबी थीं। यह जानकारी मंगलवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रो. डॉ. जीवीआर प्रसाद ने पत्रकारवार्ता में दी। डॉ. प्रसाद शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार और नेशनल जिओ साइंस पुरस्कार व जेसी बोस नेशनल फैलोशिप प्राप्त विशेषज्ञ हैं। इस मौके पर डायनासोर व शार्क की खोज करने वाले धार के विशेषज्ञ विशाल ज्ञानेश्वर वर्मा, डॉ. अशोक साहनी, रणजीत सिंह लौरेंबम, प्रियदर्शिनी राजकुमारी आदि मौजूद थे।
डायनासोर के करोड़ों साल पुराने अंडे बन गए पत्थर, अब पर्यटन स्थल बनाने की डायनासोर घाटी राज्य पार्क तैयारी
जबलपुर. ‘डायनासोर के जीवाश्म क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए। जबलपुर में नर्मदा का बड़ा किनारा विशालकाय डायनासोरों आवास रहा है। डायनासोर के अंडे और जीवाश्म जो कि अब पत्थर बन चुके हैं को संरक्षित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, तो दुनियाभर से पर्यटक उन्हें देखने आएंगे। पर्यटन स्थलों के विकास दिशा में प्रयास रुकने नहीं चाहिए। पहुंच मार्गों को सुदृढ करें।’ सम्भागायुक्तराजेश बहुगुणा ने गुरुवार को नर्मदा तट तिलवाराघाट के निरीक्षण के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि घुघराघाट को इस तरह से विकसित किया जाए कि यहां पर्यटकों की संख्या डायनासोर घाटी राज्य पार्क बढ़े और वे इस क्षेत्र के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व को समझ सकें।
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