रुपए की गिरती कीमत और बढ़ती महंगाई का सीधा असर रोजगार सृजन पर पड़ता है। उत्पादन घटता है, तो औद्योगिक इकाइयों की कमाई भी घट जाती है, जिसके चलते उन्हें अपने खर्च में कटौती करनी पड़ती है। स्वाभाविक ही वे छंटनी का फैसला करती हैं। रिजर्व बैंक रेपो दर में बढ़ोतरी कर महंगाई पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है, मगर इसका भी औद्योगिक इकाइयों पर प्रतिकूल असर पड़ता है, क्योंकि उन्हें अपने कर्ज पर अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है। अगर ये स्थितियां लगातार बनी रहती हैं, तो देश मंदी की तरफ बढ़ना शुरू कर देता है। इसलिए सरकार को ऐसी योजनाओं पर विचार करने की जरूरत है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हों और लोगों के हाथ में कुछ पैसा आना शुरू हो। उन क्षेत्रों की तरफ ध्यान देना चाहिए, जिनमें छोटे स्तर के रोजगार की संभावनाएं अधिक हैं।

'मुद्रा में गिरावट'

Dollar vs Rupee Rate Today: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.60 के स्तर पर लगभग सपाट रुख के साथ खुला और कारोबार के अंत गिरावट की मुद्रा गिरावट की मुद्रा में यह 15 पैसे की तेजी के साथ 82.45 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ.

Dollar vs Rupee Rate Today: गिरावट की मुद्रा विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी फंडों की निकासी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर घरेलू बाजार पर देखा जा रहा है.

Dollar vs Rupee Rate: विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी और ताजा विदेशी फंड प्रवाह ने रुपये की गिरावट को रोक दिया है.

शुक्रवार सुबह के सत्र में भारतीय रुपये में 80.75 प्रति डॉलर की दर से कारोबार हो रहा था. शुक्रवार को रुपया 80.6888 पर खुला, जबकि पिछले सत्र में यह 81.8112 पर बंद हुआ था.

देश के विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. आंकड़ों के अनुसार, बीते साल भर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 116 अरब डॉलर घटा है.दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है.

गिरावट की मुद्रा

Written by जनसत्ता; रुपया लगातार नीचे की तरफ रुख किए हुए है, इसलिए गिरावट की मुद्रा इसे लेकर अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं धुंधली होने लगी हैं। जब भी किसी मुद्रा में लगातार गिरावट का रुख बना रहता है, तो वहां मंदी की संभावना प्रबल होने लगती है। एक डालर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में तिरासी रुपए एक पैसा आंकी गई।

हालांकि सरकार को उम्मीद है कि यह दौर जल्दी ही खत्म हो जाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में पहुंच जाएगी। शायद इसी विश्वास के चलते वित्त मंत्री ने भी कह दिया कि रुपए की कीमत नहीं गिर रही, डालर मजबूत हो रहा है। रुपए की कमजोरी की बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को बताया जा रहा है। मगर केवल इन्हीं दो स्थितियों को रुपए के कमजोर होने का कारण नहीं माना जा सकता। किसी भी मुद्रा में गिरावट तब आनी शुरू होती है जब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिकुड़न आने लगती है यानी खरीदारी कम होने लगती है। लोगों की क्रयशक्ति घटने लगती है गिरावट की मुद्रा और लोग निवेश को लेकर हाथ रोक देते हैं।

थम नहीं रही विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट, 28 महीने पहले जैसे हुए हालात

थम नहीं रही विदेशी मुद्रा भंडार की गिरावट, 28 महीने पहले जैसे हुए हालात

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर गिरावट आई है। रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3.8 अरब डॉलर घटकर 524.5 अरब डॉलर रह गया। जुलाई 2020 यानी करीब 28 माह बाद रिजर्व अपने सबसे निचले स्तर पर है। पिछले साल से रिजर्व में 115 अरब डॉलर की गिरावट आई है।

वजह क्या है: भंडार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह विदेशी मुद्रा एसेट हैं। इसमें 3.5 अरब डॉलर की कमी आई है। इसी तरह, केंद्रीय रिजर्व बैंक के पास रखे गोल्ड के मूल्य में 14 अक्टूबर की तुलना में 2.47 अरब डॉलर की गिरावट आई है। भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी 7.1 फीसदी है।

गिरावट की मुद्रा

गिरावट की मुद्रा

सांकेतिक फोटो।

रुपया लगातार नीचे की तरफ रुख किए हुए है, इसलिए इसे लेकर अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं धुंधली होने लगी हैं। जब भी किसी मुद्रा में लगातार गिरावट का रुख बना रहता है, तो वहां मंदी की संभावना प्रबल होने लगती है। एक डालर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में तिरासी रुपए एक पैसा आंकी गई।

हालांकि सरकार को उम्मीद है कि यह दौर जल्दी ही खत्म हो जाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में पहुंच जाएगी। शायद इसी विश्वास के चलते वित्त मंत्री ने भी कह दिया कि रुपए की कीमत नहीं गिर रही, डालर मजबूत हो रहा है। रुपए की कमजोरी की बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय गिरावट की मुद्रा बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को बताया जा रहा है। मगर केवल इन्हीं दो स्थितियों को रुपए के कमजोर होने का कारण नहीं माना जा सकता। किसी भी मुद्रा में गिरावट तब आनी शुरू होती है जब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिकुड़न आने लगती है यानी खरीदारी कम होने लगती है। लोगों की क्रयशक्ति घटने लगती है और लोग निवेश को लेकर हाथ रोक देते हैं।

गिरते रुपए को संभालने के लिए डॉलर रिजर्व का इस्तेमाल

देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार कम हो रही है. दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है. आंकड़ों के अनुसार, 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 2.828 अरब डॉलर घटकर 468.668 अरब डॉलर रह गयीं. एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है.

डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्य वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल होता है. स्वर्ण भंडार के मूल्य में सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 1.गिरावट की मुद्रा 35 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी. जबकि 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 1.502 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 37.453 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने गिरावट की मुद्रा कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 14.9 करोड़ डॉलर घटकर गिरावट की मुद्रा 17.433 अरब डॉलर रह गया है. वहीं, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पास रखी भारत की आरक्षित निधि समीक्षाधीन सप्ताह में 2.3 करोड़ डॉलर घटकर 4.813 अरब अमेरिकी डॉलर पर आ गई.

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