इस बीच, बुधवार को जारी नवीनतम मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के मिनटों के अनुसार, आरबीआई गवर्नर सहित एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने निरंतर उच्च मुद्रास्फीति पर चिंता व्यक्त की और जोर दिया कि केंद्रीय बैंक का प्रयास नीचे लाने का होगा। लक्ष्य सीमा के भीतर मूल्य वृद्धि की दर।
कैसे विदेशी मुद्रा ऑनलाइन बातचीत करने के लिए
विदेशी मुद्रा बाजार में ऑनलाइन ट्रेडिंग मुद्राएं, जिसे विदेशी मुद्रा बाजार भी कहा जाता है, एक विद्युतीकरण शौक और निवेश का एक महान माध्यम हो सकता है। इसे परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, प्रतिभूति बाजार में प्रति दिन 22.4 अरब डॉलर का व्यापार होता है - विदेशी मुद्रा बाजार प्रति दिन लगभग 5 खरब डॉलर का कारोबार करता है। आप बड़े प्रारंभिक निवेश का उपयोग किए बिना बहुत पैसा कमा सकते हैं, और बाजार की दिशा का अनुमान लगाते हुए बड़े व्यवसाय हो सकते हैं।
भाग 1
विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग के बारे में
जिस प्रकार की मुद्रा आप बेच रहे हैं, या दलाल को दे रही है वह है आधार मुद्रा. जो मुद्रा आप खरीद रहे हैं उसे कहा जाता है कोटेशन की मुद्रा. विदेशी मुद्रा बाजार में, आप एक और प्रकार खरीदने के लिए 1 प्रकार की मुद्रा बेचते हैं।
दो सालों के निचले स्तर पर फिसला विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें भंडार, इस साल रुपए में आई 7% की गिरावट, अब आगे क्या?
Zee Business हिंदी 10-09-2022 ज़ीबिज़ वेब टीम
Foreign Exchange Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है. अब तो यह फिसलकर 2 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. 2 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 8 बिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह फिसल कर 553 बिलियन डॉलर के विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें स्तर पर पहुंच गया. रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कहा विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें कि यह 9 अक्टूबर 2020 के बाद सबसे न्यूनतम स्तर है. पिछले पांच सप्ताह से लगातार फॉरेक्स रिजर्व में गिरावट देखी जा रही है.
109 पर डॉलर इंडेक्स बंद
इस साल अब तक रुपए में 7 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. डॉलर के मुकाबले रुपया इस समय 80 के करीब है. डॉलर इंडेक्स इस सप्ताह 109 के स्तर पर बंद हुआ. फेडरल रिजर्व की तरफ से इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी के कारण डॉलर को मजबूती मिल रही है. ऐसे में इमर्जिंग मार्केट्स की करेंसी पर दबाव बहुत ज्यादा है. हालांकि, तुलनात्मक आधार पर रुपए का प्रदर्शन ज्यादा मजबूत है.
जानकारों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले फिसलते रुपए को संभालने के लिए रिजर्व बैंक ने लगातार फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व का इस्तेमाल किया. उसने बड़े पैमाने पर डॉलर रिजर्व बेचे, जिससे रुपए को मजबूती मिली है. पिछले कुछ महीनों में रुपए ने कई बार 80 के स्तर को पार किया है, लेकिन उसमें रिकवरी आई है.
करेंसी असेट्स में सबसे ज्यादा गिरावट
विदेशी मुद्रा भंडार में 8 बिलियन डॉलर की गिरावट में सबसे बड़ा योगदान फॉरन करेंसी असेट्स का रहा. यह 498.65 बिलियन डॉलर से फिसल कर 492.12 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. गोल्ड रिजर्व विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें 39.64 बिलियन डॉलर से फिसलकर 38.30 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.
इधर रुपए के प्रदर्शन को लेकर IIFL सिक्यॉरिटीज के अनुज गुप्ता ने कहा कि आने वाले सप्ताह में रुपए में मजबूती आ सकती है. डॉलर के मुकाबले रुपया 79.20 से 80 के दायरे में ट्रेड कर सकता है. ग्लोबल मार्केट में तेजी और कच्चे तेल के दाम में गिरावट के कारण रुपए को मजबूती मिलेगी. इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड इस सप्ताह 93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर और WTI क्रूड 87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. डॉलर इंडेक्स इस सप्ताह 109 के स्तर पर बंद हुआ जो ओवरबाउट जोन में है. इसमें करेक्शन आएगा, जिससे रुपए को मजबूती मिलेगी.
डॉलर के मुकाबले 82.33 रुपए पर पहुंचा रुपया, जोरदार गिरावट
रुपए में लगातार आ रही यह गिरावट आखिर कैसे थमेगी। वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच इस गिरावट के विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें क्या मायने हैं?
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रुपए में एक बार फिर बड़ी गिरावट आई है और शुक्रवार को यह 16 पैसे गिरते विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें हुए 82.33 रुपए प्रति डॉलर के स्तर तक पहुंच गया। यह रुपए में आई अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। अब सवाल यह है कि क्या इस रिकॉर्ड स्तर तक गिरने के बाद रुपए में गिरावट और तेज हो सकती है। बीते कई महीनों से रुपए के लगातार गिरने को लेकर कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी नेता मोदी सरकार पर हमलावर हैं।
रुपए को लगातार नुकसान हो रहा है। विदेशी निवेशकों ने इस साल भारतीय संपत्ति से रिकॉर्ड 29 बिलियन डॉलर की निकासी की है।
आर्थिक मंदी की आशंका
दूसरी ओर, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ ने वैश्विक मंदी की चेतावनी दी है। आईएमएफ की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने दुनिया भर के नीति निर्माताओं से अपील की है कि वह मंदी को रोकने के लिए कदम उठाएं। यह आशंका बढ़ती जा रही है कि दुनिया एक गंभीर आर्थिक मंदी की चपेट में आ रही है। इस आशंका की सबसे बड़ी वजह कोरोना के बाद दुनिया भर में लगे लॉकडाउन और उसकी वजह से पूरी दुनिया में कारोबार पर असर पड़ना और अब यूक्रेन-रूस का युद्ध भी है। ताज़ा अनुमान है कि इस लड़ाई की कीमत यानी इसकी वजह से होने वाला आर्थिक नुकसान लगभग दो लाख अस्सी हज़ार करोड़ डॉलर होगा।
आज की तारीख में भी सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर अमेरिका, इंग्लैंड, यूरोप और चीन जैसे देश मंदी की चपेट में जाते दिख रहे हैं तो भारत कैसे और कब तक इस ख़तरे से बचा रह सकता है?
रूस 103 साल में पहली बार विदेशी कर्ज चुकाने में नाकाम, यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंधों का असर
यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद रूस से तेल खरीद भी पश्चिमी देशों ने बंद कर दी है.
यूक्रेन के साथ जारी युद्ध की वजह से रूस को चौतरफा नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से रूस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 27, 2022, 08:45 IST
नई दिल्ली. यूक्रेन के साथ करीब चार महीने से जारी युद्ध का रूस की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रूस ने 103 साल के इतिहास में पहली बार विदेशी कर्ज पर डिफॉल्ट किया.
यूक्रेन से जारी युद्ध के बाद अमेरिका सहित तमाम पश्चिमी देशों ने रूस के व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया. ग्लोबल मार्केट में डॉलर से लेनदेन पर रोक लगाए जाने के बाद रूस ने अपनी स्थानीय मुद्रा रूबल में भुगतान की पेशकश की जिसे अमेरिका के प्रभाव में अन्य देशों ने ठुकरा दिया. 27 मई को रूस को विदेशी कर्ज के ब्याज के रूप में 10 करोड़ डॉलर का भुगतान करना था, जिस पर एक महीने का ग्रेस पीरियड मिला था. यह समय भी रविवार 26 जून को समाप्त हो गया और तकनीकी रूप से रूस इस लोन को डिफॉल्ट कर गया जो 1918 के बाद पहली बार हुआ है.
विदेशी मुद्रा बहिर्वाह पर डॉलर के मुकाबले रुपया 78.32 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ
हालांकि, ग्रीनबैक और ब्रेंट क्रूड में एक पलटाव ने बाद में रुपये की धारणा को प्रभावित किया, जिससे स्थानीय मुद्रा दिन के निचले स्तर 78.38 पर पहुंच गई। रुपया अंततः 78.32 पर अपरिवर्तित रहा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसका रिकॉर्ड निचला स्तर।
अमेरिकी विदेशी मुद्रा व्यापार में गलतियों से कैसे बचें फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष ने कहा कि मंदी संभव है क्योंकि अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने बढ़ती मुद्रास्फीति को शांत करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि के बाद एशिया में शुरुआती सत्र में डॉलर कमजोर हो गया था।
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