बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।

Bull: हिंदी अनुवाद, अर्थ, समानार्थक शब्द, विलोम, उच्चारण, उदाहरण वाक्य, प्रतिलेखन, परिभाषा, वाक्यांश

american |bʊl|

british |bʊl|

समानार्थी

शब्द के साथ वाक्य «bull»

वाक्यांश

  • hangul 2-bul - हंगुल 2-बुल
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  • beauty
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Bull बनाम Bear : अगले सप्ताह कौन से फैक्टर्स तय करेंगे शेयर मार्केट की दिशा और दशा ?

अगले सप्ताह बाजार कई कारकों से प्रभावित होंगे.

बढ़ती महंगाई और इसे नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंकों के और कठोर कदम उठाने की संभावना, वैश्विक आर्थिक विकास मंदी के . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 07, 2022, 13:26 IST

नई दिल्ली . अमेरिकी बाजारों में गिरावट के बाद शुक्रवार को भारतीय शेयर मार्केट में भी भारी गिरावट दर्ज की गई. शेयर मार्केट एक्सपर्ट का मानना है कि बढ़ती महंगाई के कारण बदतर स्थिति, इसे नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंकों की ओर से और कठोर कदम उठाने की संभावना, भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मंदी के खतरे जैसे कारकों ने भारतीय निवेशकों को डरा दिया है. इससे सेंसेक्स और निफ्टी में तेज गिरावट आई है.

भारतीय इक्विटी बाजार में गिरावट के कारणों पर स्वस्तिक इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड (Swastika Investmart Ltd) के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील न्याती ने कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से अचानक रेपो रेट और सीआरआर में बढ़ोतरी ने निवेशकों को हैरान कर दिया है. यह महामारी के कारण दिए जा रहे प्रोत्साहन के अंत का प्रतीक है. हम मानते हैं कि निवेशकों को अच्छा रिटर्न हासिल करने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी क्योंकि आसानी से पैसे बनाने के दिन समाप्त हो रहे हैं.”

न्याती ने मिंट को दिए इंटरव्यू में निवेशकों को गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करें, जिनके पास अच्छा विकास विजन है और उचित रूप से बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है मूल्यवान हैं. साथ ही उन्होंने, शेयर में आए करेक्शन का लाभ उठाने की भी राय दी है. ट्रेडर्स और निवेशकों को उन कारकों से सतर्क रहना चाहिए जो दलाल स्ट्रीट के लिए प्रमुख ट्रिगर के रूप में काम कर सकते हैं. यहां उन शीर्ष कारकों की लिस्ट दी जा रही है, जो अगले सप्ताह शेयर बाजार को प्रभावित करेंगे:

चौथी तिमाही के नतीजे

राइट रिसर्च की फाउंडर सोनम श्रीवास्तव का मानना है कि इस समय बाजार कंपनियों के रिजल्ट को देख रहा है. अगले सप्ताह एशियन पेंट, एमआरएफ, पीवीआर सहित कई कंपनियां रिजल्ट पेश करेंगी, जिनकी अर्निंग से कई क्षेत्रों के भाग्य का फैसला होगा. कंपनियों के खराब रिजल्ट का असर निश्चित तौर पर शेयर मार्केट पर दिखेगा.

महंगाई और बॉन्ड यील्ड

आरबीआई ने महंगाई में और बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं. कमोडिटी की कीमतें पहले से ही अत्यधिक अस्थिर हैं और खाद्य कीमतें बढ़ रही हैं. बॉन्ड यील्ड भी बढ़ रही है, जो कम नकदी वाले कारोबार के लिए परेशानी का संकेत है. भारत में महंगाई और कंज्यूमर सेंटिमेंट अगले सप्ताह बाजार के लिए महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं.

वैश्विक कारक

डॉलर इंडेक्ट में 20 साल की रिकॉर्ड वृद्धि और निकट भविष्य में डॉलर की मांग बनी रहने के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों के ‘शुद्ध विक्रेता’ बने रहने की उम्मीद है. ऐसे में डॉलर के उतार-चढ़ाव पर नजर रखना अहम होगा. वैश्विक धारणा, महंगाई दर और बॉन्ड यील्ड आदि अगले सप्ताह बाजार के लिए अहम होंगे. फेड की ओर से ब्याज दर में वृद्धि ने बाजारों को धीमा कर दिया है. अभी यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं और बाजार की प्रतिक्रिया देखनी होगी.

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क्या है 'बुल मार्केट' और 'बियर मार्केट'? जानिए शेयर बाजार से क्या है इसका संबंध

शेयर मार्केट

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।

आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

  • बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।
  • बियर मार्केट: बियर मार्केट, बुल मार्केट के बिल्कुल विपरीत है। इस मामले में वित्तीय बाजार स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ सुधार का अनुभव करता है और निकट अवधि में गिरने की उम्मीद करता है। बहुत कुछ 'बुल' की तरह, बियर मार्केट का 'बियर' भी वास्तविक दुनिया के भालू से लिया गया है, जो आमतौर पर नीचे की दिशा में हिट करता है। जब बाजार में संतृप्ति हो जाती है तो भालू का बाजार बढ़ जाता है क्योंकि बाजार संतृप्त हो जाता है (आपूर्ति मांग से अधिक हो जाती है)। यह आम तौर पर बुल-रन की ऊंचाई पर होता है और गर्त बनने तक जारी रहता है।

इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।

यदि आपने हर्षद मेहता के जीवन पर आधारित लोकप्रिय वेब सीरीज देखी है, तो आपको याद होगा कि उसमें 'मंदोड़िया' (बियर) और 'तेजड़िया' (बुल) के बारे में बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बुल और बियर मार्केट, मार्केट एक्विटी का आधार हैं। ये निवेशकों और व्यापारियों को प्रचलित प्रवृत्ति के अनुसार अपना स्थान लेने में मदद करते हैं।

पर ये क्या हैं? आइए फिनोलॉजी के मुक्य कार्यकारी अधिकारी प्रांजल कामरा द्वारा जानते हैं इसके बारे में।

बिजनेस साइकल (व्यापार चक्र) को समझना
कोई भी बाजार कुछ आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर बढ़ता है। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांतों में से एक 'व्यापार चक्र' है, जिसे इकोनॉमिक साइकल या ट्रेड साइकल के रूप में भी जाना जाता है। ये चक्र लहर की तरह के पैटर्न हैं जो दीर्घकालिक विकास की प्रवृत्ति पर बनते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि बाजार के आगे बढ़ने के साथ-साथ उनमें एक उछाल और गिरावट (मंदी) आती है। संक्षेप में, एक व्यापार चक्र की लंबाई एक उछाल और मंदी से लिया गया समय है।

सच कहा जाए, तो बाजार में इस तरह के उछाल और उतार-चढ़ाव काफी हैं और ये तकनीकी मंदी के बिना भी एक दिन, सप्ताह या महीने में हो सकते हैं। दूसरी ओर मंदी, दीर्घकालिक विकास प्रक्षेपवक्र की उपोत्पाद है, जिसकी अर्थव्यवस्था में आमतौर पर कम से कम दो तिमाहियों (प्रत्येक तीन महीने) के लिए गिरावट आती है।

आइए अब जानते हैं कि एक बुल और बियर मार्केट क्या है

    बुल मार्केट: बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। 'बुल' वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।

इस समय, अधिक लोग खरीदने के बजाय स्टॉक बेचने में रुचि रखते बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है हैं और निवेशकों का विश्वास कमजोर है। एक हालिया उदाहरण पिछले साल की महामारी का हो सकता है, जिसमें अधिकांश निवेशक बाजार से बाहर निकलना चाहते थे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि महामारी कैसे निकलकर सामने आएगी। आपको बुल और बियर मार्केट की एक मजबूत समझ विकसित करनी चाहिए और दिन, सप्ताह, महीने या वक्त वक्त पर इनके बारे में पढ़ना चाहिए। ऐसा करने का एक अच्छा विचार प्रासंगिक पुस्तकों का अध्ययन करना भी है जो इस तरह की अवधारणाओं में तल्लीन हैं। यदि आप ट्रेडिंग की कला सीखते हैं, तो आप बुल-रन के दौरान अपने रिटर्न को अधिकतम करते हुए एक मंदी के बाजार में भी मुनाफा कमा सकते हैं।

रोचक: स्टॉक मार्केट में यूं प्रचलित हुए 'बेअर' और 'बुल'

रोचक: स्टॉक मार्केट में यूं प्रचलित हुए

मुंबई। आज 9 जुलाई को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) 141 साल का हो गया। एशिया के इस सबसे पुराने एक्सचेंज की स्थापना का श्रेय उन चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है, जो 1850 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई (तब बॉम्बे) के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ती गई।

1875 में इन्होंने अपना 'द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन' बना लिया। इसके साथ ही उन्होंने दलाल स्ट्रीट पर बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है एक ऑफिस भी खरीद लिया जिसे आज के समय में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है।

ये तो हुई बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के जन्म की कहानी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मार्केट में 'बेअर' और 'बुल' जैसे शब्द कैसे प्रचलन में आए। तो आइए जानते हैं क्या है स्टॉक मार्केट में प्रचलित शब्द बेअर और बुल कहां से आए। हालांकि इसे लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं।

बुल

बुल शब्द के पीछे धारणा यह है कि बुल यानी सांड हमेशा सींग ऊपर करके हमला करता है, इसलिए इसे उछाल और लाभ वाले बाजार का प्रतीक माना गया होगा। एक अवधारणा यह भी है कि 17वीं शताब्दी में ब्रिटेन के बैल एक बैल बाजार का प्रतीक है लंचिओन क्लब में बुल की प्रतिमा लगी होती थी। ऐसा अंधविश्वास था कि जिस दिन बुल प्रतिमा के सींगों से हाथों को रगड़ा जाता था, उस दिन व्यवसाय में फायदा होता था। शायद इसीलिए बाद में तेजड़ियों के लिए 'बुल' प्रतीक का इस्तेमाल किया गया होगा।

बुल से पहले बेअर शब्द प्रचलन में आया। अमेरिका स्थित फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी मोटली फुल की मानें तो बेअर यानी भालू जब किसी चीज पर झपटता है तो उसके पंजे नीचे की ओर होते हैं, इसीलिए बेअर को गिरावट का प्रतीक मानते हैं। इसके साथ ही एक धारणा यह भी है कि 17वीं शताब्दी में भालू पकड़ने से पहले ही भालू की चमड़ी बेचने वाले सौदा कर लेते थे। ऐसे में यदि बाजार में चमड़ी के दाम कम हो जाते हैं तो भी भालू पकडऩे वाले को पूरा पैसा देना पड़ता था। इसे घाटे का सौदा माना जाता था, इसीलिए बेअर ट्रेडिंग शब्द प्रचलन में आया।

महाराष्ट्र: यहां पशुओं के लिए मनाया जाता है बैल पोला, लेकिन अमरावती में घट रही इनकी संख्या

भले ही कृषि में मशीनीकरण तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन बैलों और गायों का जलवा उनके महत्व की वजह से अब भी कायम है. ऐसे में अमरावती जिले में इनकी संख्या का घटना किसानों के लिए चिंता का विषय बन गया है.

महाराष्ट्र: यहां पशुओं के लिए मनाया जाता है बैल पोला, लेकिन अमरावती में घट रही इनकी संख्या

आज महाराष्ट्र का मशहूर त्यौहार बैल पोला मनाया गया है. जिसमें किसान भाई उनका सत्कार करते हैं. सजाते हैं, दुलारते हैं. लेकिन यहां के कई क्षेत्रों में इनकी संख्या तेजी से घट रही है. महाराष्ट्र के अमरावती में हमेशा से कृषि कार्य में बैलों का प्रयोग होता रहा है. यहां किसानों के पास पशुओं की अच्छी खासी संख्या होती थी. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अब इस जिले में गायों की कमी सामने आने लगी है. विशेषज्ञ इसके पीछे का बड़ा कारण बढ़ता कृषि मशीनीकरण और मजदूरों की अनुपलब्धता बता रहे हैं. पशुगणना की रिपोर्ट देखें तो लगातार जानवरों की कमी आई है. लगातार गायों, बैलों की कमी आने से यहां के चांदुर बाजार तालुका के किसान चिंतित हैं.

राज्य में हर पांच साल में पशुधन की गणना की जाती है. इसमें मवेशी, भैंस, बकरी, भेड़, घोड़े, गधे, सूअर और अन्य जानवर शामिल होते हैं. वर्ष 2012-13 में चांदुर बाजार तालुका में 16 हजार 620 नर गायें थीं. 2018-19 की पशुधन गणना में यह संख्या 9410 हो गई है. पिछले पांच वर्षों में नर सांडों की संख्या में 7210 (42%) की कमी आई है. पशुपालकों का कहना है कि इन्हें पालना कठिन है. रिटर्न उतना अच्छा नहीं आता. आज भी महाराष्ट्र में गाय का दूध बोतलबंद पानी के भाव बिक रहा है. फिर कोई क्यों पशुपालन करेगा.

हर साल कितने बैल कम हुए

चांदुर बाजार तालुका में हर साल 1442 बैलों की कमी आई है. वहां के किसान कहते हैं कि यह बड़ा चिंता का विषय है. क्योंकि गायों से मिलने वाला दूध, गोमूत्र और गोबर का काफी जगह उपयोग होता है. ऐसे में गायों की कमी से कहीं न कहीं किसानों का ही नुकसान है. इनके गोबर की खाद का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. इनके गोबर की खाद से फसल की उत्पादकता भी बनी रहती है और उसकी गुणवत्ता भी.

उत्तम दर्जे के बैलों की कीमत

भले ही बैल अब कम होने लगे हैं लेकिन उनकी कीमत लाखों में है. क्योंकि उनकी कई तरह से प्रासंगिकता अब भी कायम है. महाराष्ट्र में आज भी गाय और बैल को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. किसानों के लिए ये पशु मां लक्ष्मी जैसा स्थान रखते हैं. उनके लिए बैल पोला उत्सव मनाया जाता है. ट्रैक्टर के जमाने में भी काफी किसान खेती के लिए बैलों पर निर्भर हैं. इसलिए किसान अपने गाय और मवेशियों को भगवान मानते हुए साल में एक बार उनकी पूजा करते हैं. ऐसे में उत्तम दर्जे के बैलों की कीमतें एक लाख से अधिक पहुंच गई है. जिसे आम किसानों के लिए खरीद पाना मुश्किल है.

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