नए जमाने की तकनीकों को धीरे-धीरे अपनाने से यूजर्स अनुभव में काफी सुधार हुआ है और शेयर बाजार में खुदरा भागीदारी भी बढ़ी है। एआई से लैस डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म खुदरा निवेशकों एपीआई ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म क्या है को शोध करने, तलाशने, समझने और समझदारी से निवेश निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। अधिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि यूजर्स को इष्टतम मूल्य पर ट्रेड्स को पूरा करने में सहायता मिल सके। तकनीकी प्रगति और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का एपीआई एकीकरण कुछ ऐसे कारक हैं जो नए जमाने के निवेशकों की खुदरा भागीदारी को लगातार प्रभावित करते हैं। वैश्विक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का बाजार आकार 2021 में 8 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया।

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Algo Trading क्या है कैसे करें फायदे व नुकसान पूरी जानकारी | Algo Trading in Hindi

साथियों अगर आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं और आपने एल्गो ट्रेडिंग के बारे में सुना है तो आज के इस लेख में हम आपके लिए बताने वाले हैं कि एल्गो ट्रेडिंग क्या है कैसे करते हैं एवं इसके फायदे वह नुकसान (Algo Trading in hindi) क्या है पूरी जानकारी विस्तार से देने वाले हैं।

साथियों पहले के जमाने में जो ट्रेडिंग होती थी उसके लिए पेपर ट्रेड होती थी यानी कि कागज पर लिखा जाता था ऑनलाइन का कोई जमाना नहीं था लेकिन भारत में सन 2000 में एपीआई ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म क्या है जब शेयर मार्केट ऑनलाइन आया जिससे लोग अपने घर बैठे मोबाइल लैपटॉप कंप्यूटर आदि से ट्रेडिंग कर सकते हैं और अब एक और नया ट्रेडिंग का कंसेप्ट आया है जिसे हम एल्गो ट्रेडिंग कहते हैं तो चलिए जानते हैं की एल्गो ट्रेडिंग क्या होती है एल्गो ट्रेडिंग कैसे की जाती है एवं इसके फायदे नुकसान क्या है पूरी जानकारी विस्तार से-

एल्गो ट्रेडिंग क्या है | What is algo Trading in Hindi

एल्गो ट्रेडिंग का मतलब है कि ऑटोमेटिक ट्रेड होना या फिर कंप्यूटर Bot द्वारा ट्रेड होना जिसे हम एल्गोरिदम भी कहते हैं आसान भाषा में कहें तो की Algo Trading Means Algorithm trading कहते हैं जिसे कंप्यूटर में एक बार algorithm सेट करने पर कंप्यूटर ऑटोमेटिक ट्रेड करेगा और प्रॉफिट होने पर हमारे Trade को काटेगा या फिर स्टॉप लॉस हो जाने पर Trade को काट देगा इसमें व्यक्ति के इमोशन या फिर व्यक्ति का होना जरूरी नहीं होता है। इसे एल्गो ट्रेडिंग कहते हैं।

ये ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो रूल्स बेस पर होता है जिसमे पहले से ही कोडिंग की मदद से सारी चीज़े सेट की जाती है और फिर उसके माध्यम से ही एल्गो ट्रेडिंग काम करता है इसमें हमें पहले से ही हमारे रूल्स, इंस्ट्रक्शन्स या फिर लॉजिक को सेट करना होता है और फिर इसी लॉजिक पर हमारा लैपटॉप एल्गो ट्रेडिंग में काम एपीआई ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म क्या है करता है। ये रूल्स, और इंस्ट्रक्शन्स आप अपने हिसाब से सेट कर सकते है।

Algo Trading कैसे करें-

साथियों एल्गो ट्रेडिंग का इस्तेमाल अभी बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशंस और बड़े-बड़े ट्रेडर करते हैं एवं एल्गो ट्रेडिंग करने के लिए किसी भी कोडिंग लैंग्वेज की जानकारी होना अनिवार्य नहीं है क्योंकि अगर आप एल्गो ट्रेडिंग करना चाहते हैं।

साथियों एल्गो ट्रेडिंग करने के लिए आपको अपने स्टॉक ब्रोकर से API लेनी होगी और उस API को आपको एल्गो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर से लिंक करनी होगी एल्गो ट्रेडिंग के लिए सबसे अच्छा सॉफ्टवेयर Algo Test है जो कि बिल्कुल फ्री है और लिटिल टेलर इसे आसानी से सीख सकते हैं और अपनी स्ट्रेटजी बना सकते हैं और उसे बैक टेस्ट भी कर सकते हैं।

भारत के शेयर बाजार के लीडिंग स्टॉक ब्रोकर जैसे- Zerodha, Angel one, Upstock , Dhan आदि प्लेटफार्म अपने सॉफ्टवेयर बनाकर रिटेल ट्रेडर्स के लिए उपलब्ध कराते हैं आप इनके सॉफ्टवेयर से अपने एल्गो ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बना सकते हैं और ट्रेड कर सकते हैं हां लेकिन आपको थोड़ी बहुत चार्जिस अलग से देने होंगे।

Algo Trading के फायदे

एल्गो ट्रेडिंग के फायदे बहुत हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • Emotionaless Trading – एल्गो ट्रेडिंग का सबसे अच्छा फायदा या है कि इसमें किसी व्यक्ति का इंवॉल्वमेंट नहीं होता है जिससे इमोशनल ट्रेडिंग नहीं होती है क्योंकि इमोशनल ट्रेडिंग से हमें अच्छा खासा लॉस हो सकता है एल्गो ट्रेडिंग में इमोशनलेस ट्रेडिंग होती है अगर आपको फायदा होता है तो तो ठीक है लेकिन आपके स्टॉपलॉस पर यह आपको बाहर कर देगा।
  • Unlimited Backtesting– एल्गो सॉफ्टवेयर के माध्यम से आप जितना चाहे व्यक्ति स्टिंग कर सकते हैं और बहुत ही कम समय में आप कई सालों की बैक टेस्टिंग कर सकते हैं जिससे आपकी ट्रेडिंग में बहुत अच्छा कॉन्फिडेंस बिल्ड होता है।
  • High Speed Trade – किसी इंसान द्वारा कोई भी ट्रेड बहुत जल्दी नहीं लिया जा सकता समय लगता है और जो इंस्टीट्यूशंस और बड़ी ट्रेडर के लिए यह आसान नहीं होता उन्हें बहुत जल्दी ट्रेड लेने होते हैं और बड़ी क्वांटिटी में ट्रेड लेने होते हैं लेकिन मार्केट में ज्यादा कॉन्टिटी के आर्डर एक ही समय में ऑर्डर करना आसान नहीं है लेकिन एल्गो ट्रेडिंग से बहुत आसान बनाती है एल्गो ट्रेडिंग से माध्यम से आप सेकंड में अपने ऑर्डर को एग्जीक्यूट कर सकते हैं।
  • Time Freedom – जब हम ट्रेड लेते हैं तो हमें मार्केट को दिनभर देखना होता है और टारगेट एवं लॉस को देखना होता है लेकिन जब आपने एक बार एल्बो सेट कर दिया है तो आप और भी अपना काम कर सकते हैं एवं ट्रेडिंग का काम मार्केट में आपका एल्गो ट्रेडिंग करेगा इसमें आपकी समय की बचत अच्छी होती है अगर आपके पास समय की कमी है तो एल्गो ट्रेडिंग आपके लिए वरदान है।
  • एल्गो ट्रेडिंग में आप अनलिमिटेड स्टॉक के डाटा को एनालाइज कर सकते हैं एवं उन पर एक ही टाइम पर नजर रख सकते हैं।

अब ‘अल्गो ट्रेडिंग’ को रेगुलेट करने की तैयारी, SEBI लाया नए नियम, जानिए इससे जुड़ी सभी काम की बातें

अब

अल्गो ट्रेडिंग का नाम भले नया हो, लेकिन ट्रेडिंग के कद्रदान इसका फायदा बहुत पहले से उठा रहे हैं. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया या SEBI अब इसे रेगुलेट करने की तैयारी में है. एक आंकड़ा बताता है कि भारत में होने वाली ट्रेडिंग का तकरीबन 50 फीसदी हिस्सा अल्गो ट्रेडिंग से ही संपन्न हो रहा है. ऐसे में सेबी की निगाह पड़ना लाजिमी है. दरअसल, अल्गो ट्रेडिंग का मतलब अल्गोरिदम से जुड़ा है जो पूरी तरह से कंप्यूटर से जरिये पूरा किया जाता है. अल्गो ट्रेडिंग में भी यही काम होता है. इसमें कंप्यूटर के जरिये ही स्टॉक की खरीद-बेच की जाती है. इसका दूसरा नाम ऑटोमेटेड या प्रोग्राम्ड ट्रेडिंग भी है. आइए इस नए प्रकार की ट्रेडिंग के बारे में जानते हैं.

कैसे होती है अल्गो ट्रेडिंग

अल्गो ट्रेडिंग शुरू करने के पीछे मकसद ये था कि ट्रेडिंग में समय बचे और अधिक तेजी से बिजनेस हो. अगर आप खुद किसी स्टॉक को सेलेक्ट करें और खरीदें या बेचें तो उसमें अधिक समय लगेगा जबकि कंप्यूटर यह काम कुछ ही सेकंड में पूरा कर देता है. अल्गो ट्रेडिंग में कोई ब्रोकर कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये शेयर पहले ही सेलेक्ट कर लेता है और बाजार खुलते ही ट्रेडिंग शुरू हो जाती है. अल्गो ट्रेडिंग का लिंक स्टॉक एक्सचेंज के सर्वर से जुड़ा होता है. इसलिए ट्रेडिंग की हर जानकारी स्टॉक एक्सचेंज के साथ अपडेट होती रहती है.

अल्गो से ट्रेडिंग पूरी होने के पहले रिटेल ट्रेडर का या तो अपने ब्रोकर को फोन करना होता है या ब्रोकर के ऑफिस में जाना होता है. अल्गो ट्रेडिंग में ही मोबाइल ट्रेडिंग का प्रोसेस भी आता है जिसमें मोबाइल के जरिये स्टॉक खरीदे या बेचे जाते हैं. इसमें मोबाइल ऐप के द्वारा ऑर्डर दिए जाते हैं. अल्गो ट्रेडिंग का एक एडवांस्ड वर्जन भी है जिसमें बिना किसी इंसानी दखलंदाजी के काम होता है.

सेबी की क्यों लगी निगाह

सेबी ही स्टॉक एक्सचेंज का रेगुलेटर है और यही सभी ब्रोकर टर्मिनल को मॉनिटर करता है. लेकिन ट्रेडर्स के अल्गो प्रोग्राम के लिए एक्सचेंज की कोई मंजूरी नहीं चाहिए होती है. अल्गो की मॉनिटरिंग के लिए कोई रूल भी नहीं है. लेकिन सेबी को अब यह लगता है कि बिना रेगुलेशन वाले अल्गो से मार्केट या स्टॉक एक्सचेंज को खतरा हो सकता है.

बिना रेगुलेशन वाले अल्गो से मार्केट में छेड़छाड़ की भी आशंका है. यह भी हो सकता है कि जिन अल्गो की मॉनिटरिंग नहीं होती, वे ग्राहकों को भारी मुनाफा या रिटर्न का झांसा देकर फंसा दें. ट्रेडिंग फेल होने पर ग्राहकों का भारी नुकसान हो सकता है. 2015 में ऐसा एक विवाद हो चुका है जिसमें पता चला कि एनएसई ने कुछ चुनिंदा अल्गो ट्रेडर्स को बिजनेस में तरजीह दी थी. इन वजहों को देखते हुए सेबी अल्गो ट्रेडिंग को रेगुलेट करने की तैयारी में है.

ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का विकास और आगे का भविष्य

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Today Express News / Ajay verma / इंटरनेट और प्रौद्योगिकी-सक्षम समाधानों के उद्भव के साथ पूंजी बाजार में एक आदर्श बदलाव आया है। पिछले कुछ वर्षों में, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने वित्तीय बाजारों तक पहुंच में सुधार किया है और वित्त वर्ष 22 में हर महीने औसतन करीब 29 लाख नए डीमैट खाते खोले गए हैं। शेयर बाजारों एपीआई ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म क्या है का डिजिटलीकरण एक दशक से भी अधिक समय पहले स्क्रीन-आधारित ट्रेडिंग सिस्टम (एसबीटीएस) की शुरुआत के साथ शुरू हुआ था। तब से यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसी नए जमाने की तकनीकों के साथ विकसित हुआ है।

ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से पहले, शेयर बाजार कुछ ही लोगों के लिए सुलभ थे। हालांकि डिजिटलीकरण में आई तेजी और स्मार्टफोन की पहुंच में हुई वृद्धि धीरे-धीरे टियर 2, टियर 3 और अन्य शहरों में भी ट्रेडिंग और निवेश को सुलभ बना रही है। श्री प्रभाकर तिवारी, मुख्य विकास अधिकारी, एंजेल वन लिमिटेड

ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का विकास और आगे का भविष्य

नई दिल्ली। इंटरनेट और प्रौद्योगिकी-सक्षम समाधानों के उद्भव के साथ पूंजी बाजार में एक आदर्श बदलाव आया है। पिछले कुछ वर्षों में, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने वित्तीय बाजारों तक पहुंच में सुधार किया है और वित्त वर्ष 22 में हर महीने औसतन करीब 29 लाख नए डीमैट खाते खोले गए हैं। शेयर बाजारों का डिजिटलीकरण एक दशक से भी अधिक समय पहले स्क्रीन-आधारित ट्रेडिंग सिस्टम (एसबीटीएस) की शुरुआत के साथ शुरू हुआ था। तब से यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) जैसी नए जमाने की तकनीकों के साथ विकसित हुआ है। ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से पहले, शेयर बाजार कुछ ही लोगों के लिए सुलभ थे। हालांकि डिजिटलीकरण में आई तेजी और स्मार्टफोन की पहुंच में हुई वृद्धि धीरे-धीरे टियर 2, टियर 3 और अन्य शहरों में भी ट्रेडिंग और निवेश को सुलभ बना रही है।

ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का डिजिटलीकरण

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