बीएसई के 17 समूह गिर गए। कमोडिटीज 1.91, सीडी 1.61, ऊर्जा दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार 1.75, एफएमसीजी 1.10, वित्तीय सेवाएं 1.75, इंडस्ट्रियल्स 2.13, दूरसंचार 2.32, यूटिलिटीज 2.50, ऑटो 1.30, बैंकिंग 1.67, कैपिटल गुड्स 1.64, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 1.31, तेल एवं गैस 1.85, पावर 2.40 और रियल्टी समूह के शेयर 1.68 प्रतिशत लुढ़क गए।अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मिलाजुला रुख रहा। इस दौरान ब्रिटेन का एफटीएसई 0.50, जर्मनी का डैक्स 0.76 और हांगकांग का हैंगसेंग 0.34 प्रतिशत चढ़ गया जबकि जापान के निक्केई में 0.68 और चीन के शंघाई कंपोजिट में 0.17 प्रतिशत की गिरावट रही।

 इस साल शेयर बाजार तो जैसे रोलर कोस्‍टर पर सवार होकर आया था. साल की पहली छमाही में रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से जहां दुनियाभर के बाजार धराशाई हो गए. सेंसेक्‍स तो 13 जून को गिरकर साल के निचले स्‍तर 52,847 तक पहुंच गया था. लेकिन, दूसरी छमाही में जबरदस्‍त कमबैक किया और सेंसेक्‍स 10 हजार अंकों से ज्‍यादा के उछाल के साथ 63 हजार के ऐतिहासिक आंकड़े को भी पार कर दिया. इससे हमें बाजार में किसी भी परिस्थिति में धैर्य बनाए रखने का सबक मिलता है. गिरावट में जो निवेशक बने रहे, उन्‍हें बाद में तगड़ा रिटर्न मिला है.

कोरोना से डरा शेयर बाजार, 635 अंक दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार लुढ़का

मुंबई। दुनिया में एक बार फिर कोरोनो का साया मंडराने से बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में भय का माहौल रहा। चीन में कोरोना संक्रमण बढ़ने और दुनिया पर मंदी के खतरे की आशंका से निवेशक हतोत्साहित हुए। स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली के दबाव में बुधवार को शेयर बाजार में एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट रही। बीएसई का सेंसेक्स 635.05 अंक अर्थात 1.03 प्रतिशत का गोता लगाकर 61067.24 अंक और एनएसई का निफ्टी 186.20 अंक यानी 1.01 प्रतिशत की गिरावट लेकर 18199.10 अंक पर आ गया।

बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तुलना में मझौली और छोटी कंपनियों में बिकवाली का दबाव अधिक रहा। इससे मिडकैप 1.40 प्रतिशत गिरकर 25,480.94 अंक और स्मॉलकैप 2.18 प्रतिशत लुढ़ककर 28,949.96 अंक पर रहा। इस दौरान बीएसई में कुल 3665 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2765 में बिकवाली जबकि 786 में लिवाली हुई वहीं 114 में कोई बदलाव दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई में 38 कंपनियां गिरावट पर जबकि 12 तेजी पर रही। विश्लेषकों के अनुसार, चीन में कोविड के एक बार फिर से पांव पसारने से दुनिया पर आर्थिक मंदी का खतरा मंडराने को लेकर निवेशक खासे हताश हैं, जिसका असर दुनिया के सभी बाजारों पर देखा जा रहा है।

आर्थिक विकास से सोने की मांग बढ़ेगी

आने वाले वर्षों में दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता के दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार साथ, भारत अपनी आर्थिक शक्ति में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है। भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज़ी से आर्थिक वृद्धि सोने के बाजार के लिए एक वरदान साबित होगी।

चूंकि मध्यम वर्गीय परिवारों का विस्तार होगा, कामकाजी उम्र वालों की आबादी बढ़ेगी और आय में वृद्धि लगातार जारी रहेगी, इससे आने वाले कुछ वर्षों में सोने की मांग भी बढ़ने की उम्मीद है।

भारत दुनिया में सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बना हुआ है, जिसकी वजह, सदियों से यहां के लोगों का इस कीमती धातु के प्रति सांस्कृतिक आकर्षण है। भारतीय मध्यवर्ग वह ताकत है, जिसके साथ तालमेल बैठाने की ज़रूरत होगी, क्योंकि यह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास का सबसे बड़ा वाहक होगा।

सोने के खनन और उत्पादन में परिवर्तन होगा

पिछले 30 वर्षों में, सोने का उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है। हालांकि, जिस दर से सोने की खोज हुई है, वह 2000 के दशक के बाद से खोज बजट में लगातार वृद्धि के बावजूद घट रही है।

मुख्य रूप से मशीन ऑटोमेशन तैसी तकनीकी उन्‍नति से, सोने के खनन में निकट भविष्य में बदलाव आएगा। कंप्यूटिंग शक्ति और कनेक्टिविटी में वृद्धि से अगले 30 वर्षों में खनन के तरीकों में बदलाव आएगा।

भूमिगत खनन खुले गड्ढे वाले खनन का स्थान ले लेगा। स्वचालन और सौर ऊर्जा, सुरक्षित एवं स्थायी खनन और उत्पादन तकनीकों में योगदान देंगे।

सोने का निवेश तकनीक से तय होगा

तकनीकी उन्‍नति हर क्षेत्र में काम करने के तरीके को बदल रही है, कहने की जरूरत नहीं है कि सोने का बाज़ार भी कोई अपवाद नहीं है। अब डिजिटल सोना और गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स) में निवेश और व्यापार करना संभव है, और ऐसे मोबाइल ऐप हैं, जो निवेशकों को भारत में सोना खरीदने, बेचने, निवेश करने और उपहार में देने की सुविधा प्रदान करते हैं।

ओवर-द-काउंटर बाजारों से एक्सचेंजों जैसे अधिक पारदर्शी व्यापारिक स्थानों की ओर विनियामक परिवर्तन किए जा रहे हैं। युवा पीढ़ी को दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार मोबाइल ऐप के जरिए सोने का आसानी से व्यापार और निवेश पसंद आएगा, जिससे सोने के निवेशकों और उपयोगकर्ताओं का ग्राहक आधार बढ़ेगा।

चूंकि आर्थिक मंदी और वित्तीय संकटों के समय में सोना सुरक्षित विकल्पों में से एक है, इसलिए स्थिरता और आर्थिक विकास की दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार संभावनाओं को बढ़ाने के लिए सोने में निवेश जारी रहेगा।

भारतीय आभूषण हमेशा चमकते रहेंगे

सोने के आभूषणों के प्रति भारतीयों की लालसा को किसी परिचय की ज़रूरत नहीं है। सदियों से आभूषण भारतीय परिवारों के लिए बहुत बेशकीमती रहे हैं। हालांकि आज के समय में युवा परिवार पुरानी पीढ़ियों के उलट अपनी खरीदारी के लिए अधिक प्रामाणिक और विश्वसनीय स्रोत ढ़ूंढ़ते हैं। इसलिए ज्‍यादा-से-ज्‍यादा जौहरी इन उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए सिर्फ हॉलमार्क वाले सोने के आभूषण बेचने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह रुझान और भी बढ़ने वाला है।

जैसे-जैसे गावों में रहने वाले भारतीओं की आय और खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, भारतीय सोने के आभूषणों की मांग में उछाल की संभावना भी बढ़ेगी। कहा जा सकता है कि भारतीय सोने के आभूषणों का बाज़ार अधिक एकीकृत और व्यवस्थित हो जाएगा। सोने की रीसाइक्लिंग में भी जबरदस्त क्षमता है — मौजूदा सोने का लगभग 25,000 टन।

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साल 2022 में ग्लोबल मार्केट को हुआ 1.4 ट्रिलियन डॉलर का भारी नुकसान, जानें क्या है कारण

Mind-boggling one point four trillion dollars wiped off global markets in 2022 | साल 2022 में ग्लोबल मार्केट को हुआ 1.4 ट्रिलियन डॉलर का भारी नुकसान, जानें क्या है कारण

नई दिल्ली: 2022 के वैश्विक वित्तीय बाजार में अशांत वर्षों में से एक बनने की संभावना है। वैश्विक इक्विटी 1.4 ट्रिलियन डॉलर की भारी गिरावट के साथ अपने दूसरे सबसे खराब वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं। भारतीय रुपये में परिवर्तित ये आंकड़ा 1,15,79,47,00,00,00,000 रुपये है। ये मुख्य रूप से वैश्विक उथल-पुथल से प्रेरित है जो कोविड के बाद के झटकों के साथ शुरू हुई थी और फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध से बढ़ गई थी।

Money lessons from 2022 : बीते साल ने सिखाए 6 वित्‍तीय सबक, सीख लेकर शुरू करें नया साल तो नहीं होगा नुकसान

  • News18 हिंदी Last Updated : December 23, 2022, 15:46 IST

 बीत रहे साल का सबसे पहला और बड़ा सबक है महंगाई की मार से खुद को कैसे बचाया जाए. इस साल भारत सहित दुनियाभर में महंगाई ने अपना विकराल रूप दिखाया. अमेरिका में तो 40 साल के शीर्ष पर पहुंच गई. लेकिन, महंगाई हमें बड़ा अवसर भी दे रही. इस दौरान कर्ज महंगा हुआ तो जमाओं पर भी ब्‍याज बढ़ा. सीधा मतलब है कि जब हमारा सामना महंगाई से हो तो निवेश सबसे अच्‍छी रणनीति होती है, यह दांव आपकी पर्चेजिंग पॉवर को बढ़ाता है.

बीत रहे साल का सबसे पहला और बड़ा सबक है महंगाई की दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार मार से खुद को कैसे बचाया जाए. इस साल भारत सहित दुनियाभर में महंगाई ने अपना विकराल रूप दिखाया. अमेरिका में तो 40 साल के शीर्ष पर पहुंच गई. लेकिन, महंगाई हमें बड़ा अवसर भी दे रही. इस दौरान कर्ज महंगा हुआ तो जमाओं पर भी ब्‍याज बढ़ा. सीधा मतलब है कि जब हमारा सामना महंगाई से हो तो निवेश सबसे अच्‍छी रणनीति होती है, यह दांव आपकी पर्चेजिंग पॉवर को बढ़ाता है.

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