उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?

Axis Securities ने कहा- 'दिसंबर तक 20,200 के स्तर को छू सकता है निफ्टी'; इन शेयरों पर लगाएं दांव

भारतीय शेयर बाजारों में अभी भारी अस्थिरता देखी जा रही है। निवेशक रूस-यूक्रेन संकट और ग्लोबल अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले इसके नकारात्मक प्रभावों का आकलन करने में जुटे हैं। इस बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने इक्विटी बाजार विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता को लाल रंग में धकेल दिया है। बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 में इस साल अब तक 4.72 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।

मीडियम टर्म में, भू-राजनीतिक घटनाएं और महंगाई जैसे आर्थिक कारक, ब्याज दरों पर यूएस फेड का फैसला और यूपी जैसे बड़े राज्य के विभानसभा चुनाव विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता के नतीजे अस्थिरता का कारण बन सकते हैं और बाजार के प्रदर्शन पर असर डाल सकते हैं। हालांकि ब्रोकरेज फर्म एक्सिस सिक्योरिटीज (Axis Securities) के एनालिस्टों का मानना ​​​​है कि लंबी अवधि के लिए इक्विटी मार्केट का आउटलुक पॉजिटिव है। ब्रोकरेज ने इस साल के अंत तक निफ्टी- 50 के 20,200 अंत तक पहुंचने के टारगेट को बरकरार रखा है।

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 01 July, 2022 UPSC CNA in Hindi

 Image Source: BBC

1. संशोधित PSLV ने तीन विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया:

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पीएसएलवी-सी53 ने इसरो, न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने दूसरे समर्पित मिशन में सिंगापुर के तीन उपग्रहों को उनकी इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया।
  • इस मिशन ने वैज्ञानिक प्रयोगों के संचालन के लिए कक्षा में एक स्थिर मंच के विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता रूप में अपने पीएसएलवी-चौथे चरण “पीएसएलवी कक्षीय प्रायोगिक मॉड्यूल (पीओईएम)” का उपयोग करके इसरो के लिए एक अतिरिक्त उद्देश्य भी पूरा किया।
  • इसरो द्वारा ps 4 stage ko विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता सबसे बड़ी चिंता हासिल करने तथा आकाशीय कक्षाओं में लागत प्रभावी प्रयोग , स्टार्टअप, स्टूडनेट्स और वैज्ञानिक समुदाय की बढ़ती मांगो को पूरा कर सकता है।

लुढक़ते रुपए को बचाने की चुनौती

इस समय डॉलर के खर्च में कमी और डॉलर की आवक बढ़ाने के रणनीतिक उपाय जरूरी हैं। अब रुपए में वैश्विक कारोबार बढ़ाने के मौके को मुठ्ठियों में लेना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा भारत और अन्य देशों के बीच व्यापारिक सौदों का निपटान रुपए में किए जाने संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया है…

हाल ही में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में इजाफा किए जाने और मौद्रिक नीति को आगे और भी सख्त बनाए जाने के संकेत के साथ-साथ 5 अक्टूबर को तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के द्वारा तेल उत्पादन में भारी कटौती पर जिस तरह सहमति व्यक्त की गई है, उससे 7 अक्टूबर को डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर लुढक़कर 82.33 पर पहुंच गया। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रुपए में यह सबसे बड़ी गिरावट है। स्थिति यह है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की ऐतिहासिक गिरावट के बाद कई भारतीय कंपनियां इससे बचने के लिए फॉरवर्ड कवर की कवायद में हैं, क्योंकि उन्हें चिंता है कि फेडरल रिजर्व के ताजा संकेत से इसी वर्ष 2022 में ब्याज दर में और इजाफा हो सकता है, जिससे डॉलर और मजबूत होगा। निश्चित रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब चीन-ताइवान के बीच तनाव और वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाओं के बीच जिस तरह उससे डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में बड़ी फिसलन से जहां इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बढ़ रही हैं, वहीं आर्थिक विकास योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। विदेशी मुद्रा भंडार 30 सितंबर को दो साल के निचले स्तर पर घटकर 533 अरब डॉलर रह गया है। इतना ही नहीं महंगाई से जूझ रहे आम आदमी की चिंताएं और बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। उर्वरक एवं कच्चे तेल के आयात बिल में बढ़ोतरी होगी। अधिकांश आयातित सामान महंगे हो जाएंगे। यद्यपि रुपए की कमजोरी से आईटी, फार्मा, टेक्सटाइल जैसे विभिन्न उत्पादों के निर्यात की संभावनाएं बढ़ी हैं, लेकिन अधिकांश देशों में मंदी की लहर के कारण निर्यात की चुनौती दिखाई दे रही है।

जानिए क्यों है ये चिंता का कारण? भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा

भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।

बीते हफ्ते में एफसीए 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.09 अरब डॉलर रह गया है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है। वहीं इस दौरान सोने का भंडार 1.236 अरब डॉलर गिरकर 39.186 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं बीते हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 122 मिलियन डॉलर घटकर 18.012 बिलियन डॉलर रह गया है।

ब्लॉग: डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया पर दूसरी विदेशी मुद्राओं की तुलना में स्थिति अभी भी बेहतर

Rupee weakens against dollar, but the situation is still better than other foreign currencies | ब्लॉग: डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया पर दूसरी विदेशी मुद्राओं की तुलना में स्थिति अभी भी बेहतर

इस समय डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत निम्नतम स्तर पर पहुंचकर 80 रुपए के आसपास केंद्रित होने से मुश्किलों का सामना कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था और असहनीय महंगाई से जूझ रहे आम आदमी के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गई है. हाल ही में प्रकाशित कंटार के ग्लोबल इश्यू बैरोमीटर के अनुसार, रुपए की कीमत में गिरावट और तेज महंगाई के कारण कोई 76 फीसदी शहरी उपभोक्ता अपने जीवन की बड़ी योजनाओं को टालने या छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. ईंधन, खाने-पीने के सामान की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ बढ़ते पारिवारिक खर्चों के चलते, शहरी भारतीय उपभोक्ता अपने बचत खातों में कम पैसा बचा पा रहे हैं.

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