गोल्ड प्लेटफॉर्म Safe Gold ने लांच किया गेन सेवा, डिजिटल सोना लीज पर दे कर पाएं हाई रिटर्न
सेफ गोल्ड की गेन सेवा एक पीयर टू पीयर लेंडिंग की तरह काम करेगा जहां पर कस्टमर खुद ही अपने डिजिटल गोल्ड के बदले रिटर्न कमाने के लिए ज्वैलर और लीज की अवधि को चुन सकता है.
नई दिल्ली: ऑनलाइन डिजिटल गोल्ड प्लेटफॉर्म सेफगोल्ड ने अपने ग्राहकों के लिए गेन्स नाम की सेवा शुरू की है. जिसके तहत से सेफगोल्ड के ग्राहक अपना डिजिटल गोल्ड लीज (lease) या पट्टे पर रखकर लाभ के रूप में रिटर्न पा सकते हैं. ग्राहक अपना डिजिटल सोना जहां जमा करता है वहां के तिजोरी से गोल्ड को लेकर जौहरियों को पट्टे पर दिया जाएगा.
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डिजिटल गोल्ड की लीज कैसे काम करती है.
सेफ गोल्ड की गेन सेवा एक पीयर टू पीयर लेंडिंग की तरह काम करेगा जहां पर कस्टमर खुद ही अपने डिजिटल गोल्ड के बदले रिटर्न कमाने के लिए ज्वैलर और लीज की अवधि को चुन सकता है. सेफगोल्ड के वेबसाइट के अनुसार क्रेडिट योग्यता और केवाईसी-अनुपालन को वेरीफाइड किया जाएगा. आगे बढ़ने से पहले हम जान लेते हैं कि पीयर टू पीयर लेंडिंग क्या होती है. दरअसल यह लेंडिंग का वह तरीका होता है जिसमें कर्ज देने और कर्ज लेने वाला एक ही प्लेटफार्म पर मौजूद होते हैं और अपनी जरूरतों के हिसाब से ट्रांजैक्शन कर लेते हैं.
कितना सोना रख सकते हैं?
ऑनलाइन डिजिटल गोल्ड प्लेटफॉर्म के अनुसार गेन की सेवा के तहत कोई इंडिविजुअल कम से कम 0.5 ग्राम से अधिकतम 20 ग्राम तक डिजिटल गोल्ड लीज पर ले सकता है. डिजिटल गोल्ड को पट्टे पर 30 दिन से लेकर 364 दिन तक रखा जा सकता है. उपभोक्ता के रिटर्न की बात करें तो 3 से 6% यील्ड प्रति वर्ष उम्मीद जताई जा रही है. सेफ गोल्ड के फाउंडर और एमडी के अनुसार फिलहाल लीज 90 से 180 दिन के लिए मौजूद है. साथ ही डिजिटल गोल्ड पर मिलने वाला यील्ड मंथली बेसिस पर कैलकुलेट होगा और कस्टमर के डिजिटल गोल्ड अकाउंट में जुड़ जाएगा. ध्यान रहे यील्ड पर मिलने वाला रिटर्न सोने के रूप में होगा. एक बार लीज खत्म होने पर लीज पर दिया गया सोना और रिटर्न दोनों ही कस्टमर के खाते में जुड़ जाएगा.
डिजिटल गोल्ड को पट्टे पर रखने से संबंधित जोखिम
सेफगोल्ड की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार पट्टे पर डिजिटल गोल्ड रखने से संबंधित पांच जोखिम के बारे में भी बताया है. आइए जानते हैं वह पांच जोखिम कौन-कौन से हैं.
1. पहला जोखिम अन रेगुलेटेड (अनियमित) उत्पाद का है. अर्थात इसका मतलब यह है कि किसी भी नुकसान या फ्रॉड होने के केस में उपभोक्ता किसी भारतीय रेगुलेटर जैसे सेबी और आरबीआई के पास निवारण के लिए नहीं जा सकता है.
2. दूसरा जोखिम तरलता का है. उपभोक्ता अगर एक बार अपने सोने को पट्टे पर रख देने के बाद वह पट्टे की अवधि खत्म होने से पहले उसको बेच नहीं सकता. अर्थात लीज की अवधि तक गोल्ड लॉक हो चुका है. जौहरी चाहे तो लीज की अवधि से पहले कैंसिल कर सकता है. लेकिन इसकी भरपाई के लिए उसे लीज बंद होने तक का रिटर्न सोने के रूप में ग्राहक के डिटेल अकाउंट में देना पड़ेगा.
3. दूसरा जोखिम पूंजी के नुकसान होने का है. पट्टे की अवधि के अंत के बाद जौहरी डिजिटल सोना कस्टमर को वापस नहीं करता तो ग्राहक अपना डिजिटल गोल्ड खो सकता है. हालाकी सेट गोल्ड यह दावा करता है कि वह अपने ग्राहकों के सुरक्षा के लिए अपने प्लेटफार्म पर केवल लिस्टेड ज्वेलर्स को रखा है. साथ ही उन लिस्टेड ज्वेलर्स से बैंक की गारंटी ली गई है. और बैंक पर ली गई गारंटी वैल्यू लीज पर लिए गए गोल्ड की वैल्यू से ज्यादा है. पट्टे पर लिए गए गोल्ड की बैंक गारंटी 105 से 110% है.
4. चौथा जोखिम है मूल्य का. पट्टे पर मिलने वाला यील्ड सोने के ग्राम के रूप में मिलता है जिस वजह से अगर मार्केट में सोने की कीमत गिरती है. तो इसका प्रभाव सोने का रुपया मूल्य पर भी पड़ेगा. साथ ही उपभोक्ता पट्टी की अवधि खत्म होने से पहले अपना सोना भी नहीं बेच सकता है.
5. अंतिम जोखिम किसी तरह की गारंटी नहीं. अर्थात सेफगोल्ड प्लेटफार्म रिटर्न की सुरक्षा पर कोई गारंटी नहीं देता है.
क्या डिजिटल गोल्ड को पट्टे पर रखना चाहिए.
भारत सरकार ने साल 2015 में सेफगोल्ड की इस योजना से मिलती-जुलती स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS) शुरू की थी. इस योजना में घर संस्थान में रखे हुए सोने और संस्थान में पड़े सोने को निकालकर उसको प्रोडक्टिव उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना था. लेकिन इस योजना के प्रति जनता का रूप कमजोर था. आरबीआई की ऑफिशल वेबसाइट के अनुसार वर्तमान समय में जीएमएस योजना के तहत 5-7 साल की मध्यम जमा राशि पर 2.25% प्रति वर्ष और 12-15 साल की लंबी अवधि की जमा पर 2.50% की ऑफर कर रही है. अब सेफ गोल्ड प्लेटफार्म की गेन योजना आई है. अगर कोई व्यक्ति जोखिम उठाने की क्षमता रखता है तो अपना डिजिटल ना पट्टे पर देना चाहिए. आपको रिटर्न के तौर पर डिजिटल गोल्ड ही मिलेगा. इस योजना के प्रति लोगों की क्या प्रतिक्रिया आने वाला समय ही बताएगा.
Investment in Gold: गहनों में नहीं बल्कि इस तरह करें सोने में निवेश, मिलेगा बेहतर रिटर्न
Investment in Gold: आजकल मार्केट में ऐसे कई विकल्प मौजूद है, जिनमें केवल एक क्लिक के जरिये निवेश हो सकता है. जिसे कभी भी गोल्ड कॉइन या बार में बदला जा सकता है. फिजिकल गोल्ड में मौजूद रिस्क की अपेक्षा इसमें सोने की प्रमाणिकता की भी गारंटी रहती है.
आजकल मार्केट में ऐसे कई विकल्प मौजूद है, जिनमें केवल एक क्लिक के जरिये निवेश हो सकता है. जिसे कभी भी गोल्ड कॉइन या बार में बदला जा सकता है. फिजिकल गोल्ड में मौजूद रिस्क की अपेक्षा इसमें सोने की प्रमाणिकता की भी गारंटी रहती है.
गोल्ड ईटीएफ
आप गोल्ड ईटीएफ में निवेश करके बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. इसमें कभी भी निवेश कर सकते हैं जब भी स्टॉक एक्सचेंज के कारोबारी दिन हो. इसमें सोने की कीमतें लगभग देश में सोने के दाम के बराबर ही रहती है. भारत के कुछ प्रमुख गोल्ड ईटीएफ में युटीआई गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और आईसीआईसआई प्रुडेंशियल गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शामिल है.
सरकारी गोल्ड बांड
इसे सोने में निवेश करने का सबसे सरल तरीका माना जाता है. इसे खरीदने के लिए निवेशकों के पास अपना डीमैट अकाउंट होना चाहिए. आठ साल के लिए इस प्लान में निवेश किया जाता है. केवल पांच साल पूरा होने के बाद रिडंप्शन हो सकता है. इसमें निवेश करने का लाभ यह है कि इसमें 2.5 प्रतिशत का ब्याज मिलेगा और इसमें मिलने वाला पैसा भी कर मुक्त होता है.
गोल्ड में निवेश की प्लानिंग? जानिए डिजिटल और फिजिकल सोना खरीदने के लिए क्या है आयकर नियम
डिजिटल गोल्ड या फिजिकल गोल्ड में निवेश करने या खरीदने पर टैक्स लगाया जाता है। अगर आप निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको टैक्स नियम के बारे में जरूर जानना चाहिए।
डिजिटल गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं, जानिए कितना लगेगा टैक्स (फोटो-Freepik)
बहुत से लोग गोल्ड में निवेश करते हैं, क्योंकि यह एक सुरक्षित निवेश के रूप में माना जाता है। फिजिकल गोल्ड के अलावा डिजिटल गोल्ड और पेपर गोल्ड की भी आजकल डिमांड है। ऐसे में अगर आप इसमें से किसी भी गोल्ड में निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको आयकर विभाग के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
फिजिकल गोल्ड पर टैक्स
ज्वैलरी के रूप में फिजिकल गोल्ड को खरीदा जाता है। इसके अलावा कुछ लोग सोने के सिक्के भी खरीदे जाते हैं। सोने के सिक्के आमतौर पर 5 या 10 ग्राम के मूल्यवर्ग में खरीदे जाते हैं। सभी तरह के फिजिकल गोल्ड हॉलमार्क वाले होते हैं। ऐसे में सोना खरीदने पर आयकर नियम के अनुसार, फिजिकल सोना पर कैपिटल लाभ टैक्स लगता है।
क्लियर के फाउंडर एंड सीईओ अर्चित ने कहा कि पूंजीगत लाभ पर टैक्स बेनेफिट के आधार पर लगाया जाता है, चाहे लांग टाइम कैपिटल गेन हो या अल्पकालिक पूंजीगत लाभ हो। अगर आप बिक्री की तारीख से पहले 36 महीने से अधिक समय तक सोना रखते हैं, तो यह एक लॉन्ग टाइम लाभ के तहत आतना है। हालांकि इससे कम पर यह अल्पकालीन टैक्स बेनेफिट्स है। इस तरह के लाभ पर 20 फीसदी और 4 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है।
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डिजिटल गोल्ड पर टैक्स
डिजिटल गोल्ड फिजिकल गोल्ड में निवेश का एक माध्यम है। इसमें निवेश के बाद सोना बेचने पर टैक्स लगाया जाता है। यह सेबी या आरबीआई किसी के द्वारा संचालित नहीं किया जाता है। इसमें आप सीधे निवेश कर सकते हैं। इसपर टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह ही लगाया जाता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स
भारत सरकार की ओर से जारी किया जाने वाला यह एक डिजिटल गोल्ड है, जिसे समय-समय पर सरकार की ओर से जारी किया जाता है। आरबीआई सरकार की ओर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। SGB को नवंबर 2015 में पेश डिजिटल गोल्ड क्या है? किया गया था। इसे सोना में निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता है। निवेशक को छमाही आधार पर 2.5 फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलता है।
मैच्योरिटी पर या आठ साल के बाद किसी भी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर लाभ पर टैक्स मुक्त रखा गया है। वहीं पांच साल के बाद एसजीबी की बिक्री पर कोई भी लाभ दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ होगा और इंडेक्सेशन के बाद ऐसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 फीसदी टैक्स लगता है।
पेपर गोल्ड पर टैक्स
अर्चित गुप्ता के अनुसार, अन्य पेपर गोल्ड निवेश जैसे म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की बिक्री पर फिजिकल गोल्ड के समान ही टैक्स लगाया जाता है।
क्या आप भी खरीदना चाहते हैं Digital Gold? जानिये इसके बेनिफिट, कैसे खरीद सकते हैं?
डीएनए हिंदी: नवरात्रि और दशहरा मनाने के बाद, दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहारों के साथ, भारतीय साल के उस दौर में एंटर करने को तैयार है जब सोना खरीदना काफी शुभ माना जाता है. चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है. वास्तव में, हम में से अधिकांश के लिए, कोई भी विशेष अवसर - जैसे कि शादी, बच्चे का जन्म, या शायद कोई त्योहार भी - पीली धातु के बिना अधूरा होगा.
हालांकि, फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) खरीदने में कई महत्वपूर्ण खामियां हैं, जैसे कि इसकी शुद्धता का निर्धारण करने में कठिनाई और भंडारण के लिए बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. सभी अनिश्चितताओं के बीच, अच्छी खबर यह है कि सोना खरीदने का पारंपरिक तरीका खत्म हो गया है और सोने में निवेश करने के नए डिजिटल गोल्ड क्या है? साधन हैं. लगातार विकसित हो रही डिजिटल दुनिया में, ध्यान डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) पर ट्रांसफर हो गया है. यह हाल ही में निवेशकों के बीच पसंदीदा बन गया है क्योंकि इसे आसानी से खरीदा जा सकता है और इसे स्टोर करना आसान है.
डिजिटल गोल्ड क्या है?
डिजिटल गोल्ड, जैसा कि नाम से पता चलता है, असली सोना है जिसे ऑनलाइन खरीदा जा सकता है. यह वास्तव में आपके पास किसी भी कीमती धातु के बिना पीली धातु को खरीदने और निवेश करने का एक आभासी तरीका है. इसलिए मूल रूप से, जब भी आप डिजिटल गोल्ड खरीदते हैं, तो आपको रसीद या बिल के रूप में आपकी खरीदारी का प्रमाण मिलता है और विक्रेता आपकी ओर से सुरक्षित तिजोरी में उतना ही फिजिकल गोल्ड डिपोजिट करता है.
डिजिटल गोल्ड के फायदे
- ग्राहक फोनपे, पेटीएम, एचडीएफसी सिक्योरिटीज, मोतीलाल ओसवाल और अन्य सहित विभिन्न प्रकार के मोबाइल वॉलेट, यूपीआई ऐप और बैंकों का उपयोग करके अपनी सुविधानुसार डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं.
- आप डिजिटल गोल्ड के साथ अपने निवेश के बारे में पूरी तरह से मन की शांति प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि यह शुद्धता का आश्वासन देता है और धोखाधड़ी की किसी भी संभावना को समाप्त करता है. ये हमेशा 24-कैरेट गोल्ड होता है और इसलिए 99 प्रतिशत से अधिक शुद्ध होने की गारंटी है.
- सुरक्षित भंडारण डिजिटल गोल्ड खरीदने के मुख्य लाभों में से एक है. चूंकि आपको गोल्ड फिजिकल रूप से प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है, इसलिए आपको इसके सुरक्षित स्टोरेज के लिए कोई भौतिक व्यवस्था करने की आवश्यकता नहीं है.
- फिजिकल गोल्ड की बिक्री के विपरीत, जिसके लिए एक जौहरी की यात्रा की आवश्यकता होती है, उपभोक्ता अपने बैंक खाते के माध्यम से एक लाइव, चौबीसों घंटे बाजार से जुड़ी दर का उपयोग करके अपना डिजिटल सोना बेच सकते हैं और सीधे अपने खाते में राशि प्राप्त कर सकते हैं.
- डिजिटल गोल्ड से निपटने में शामिल ज्वैलर्स के साथ इसे भौतिक सोने के लिए आसानी से बदला जा सकता है. आप इसे असली सोने के लिए बेच सकते हैं, जिसमें आभूषण, सिक्के और बुलियन शामिल हैं.
- डिजिटल गोल्ड खरीदने के लिए बड़ी रकम निवेश करने की जरूरत नहीं है. कई कंपनियां आपको कम से कम 1 रुपये में सोने में निवेश करने की अनुमति देती हैं.
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Digital Gold Investment: सिर्फ 1 रुपये में खरीदें 24K गोल्ड, जानिए सभी डिटेल
Digital Gold Investment: गोल्ड ईटीएफ, बॉन्ड और गोल्ड फंड डिजिटल सोने में निवेश करने के तीन मुख्य तरीके हैं। सरकार समर्थित प्रतिभूतियों को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के रूप में जाना जाता है। जिसे ग्राम में मापा जाता है।
Digital Gold Investment: सोने को एक सुरक्षित निवेश के रूप में माना जाता है। खासकर वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव के समय। इस तथ्य के कारण कि गोल्ड का स्टॉक और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के साथ विपरीत संबंध है। जब धातु की कीमत बढ़ती है, तो अन्य प्रतिभूतियों के मूल्य में गिरावट आती है। निवेशक अपना पैसा गोल्ड में जमा करना शुरू कर रहे हैं, क्योंकि शेयर मार्केट व घरेलू मुद्रा मजबूत डॉलर और बढ़ती मुद्रास्फीति के दबाव में हैं। डिजिटल युग में सोने में निवेश करने के कई तरीके हैं। फिजिकल सोने के अलावा डिजिटल गोल्ड में पैसा जमा करना एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है
डिजिटल गोल्ड में निवेश के तरीके
वहीं गोल्ड ईटीएफ, बॉन्ड और गोल्ड फंड डिजिटल सोने में निवेश करने के तीन मुख्य तरीके हैं। सरकार समर्थित प्रतिभूतियों को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के रूप में जाना जाता है। जिसे ग्राम में मापा जाता है। कस्टोडियन संस्थानों की तिजोरियों में रखे गए सोने का उपयोग गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड को वापस करने के लिए किया जाता है। 1 ग्राम सोने के मूल्य का आवंटन हर इकाई का मूल्य निर्धारित करता है।
ऑनलाइन खरीद सकते हैं गोल्ड
24 कैरेट सोना डिजिटल भी खरीदा जा सकता है। जिसके लिए भौतिक कब्जे की आवश्यकता नहीं होती है। लेन-देन के लिए एक डिजिटल चालान विक्रेता द्वारा प्रदान किया जाएगा। जब आप ऑनलाइन भुगतान का उपयोग करते डिजिटल सोना खरीदते हैं।
एक रुपये से निवेश कर सकते हैं
डिजिटल गोल्ड का निवेश 1 रुपये से शुरू किया जा सकता है। घर बैठे डिजिटल सोना खरीद या बेच सकते हैं। हालांकि अधिकांश प्लेटफॉर्म डिजिटल गोल्ड में निवेश के लिए दो लाख रुपये की सीमा है। आप डिजिटल आइटम कुछ ही क्लिक में आसानी से खरीद सकते हैं। इसके अतिरिक्त, इसे ब्रोकर या डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के बिना भी कर सकते हैं।
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