मुझे आश्चर्य है कि कंपनियां अब इस तरह से क्यों करती हैं। काम करने के अधिक सक्रिय तरीके के बजाय ऐसी प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई क्यों? कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कंपनियों की आंतरिक प्रक्रियाओं, राजनीति समेत, एक कंपनी के वास्तविक उद्देश्य के लिए एक तरह का विकल्प। देर से के अनुसार पीटर ड्रूक्कर is ग्राहकों को बनाने के लिए एक कंपनी का लक्ष्य !
Uchchatar Arthik Siddhanta
भारतीय विश्वविद्यालयों के एम.बाजार विश्लेषण और प्रतियोगिता ए. (अर्थशास्त्र) तथा एम.कॉम. के विद्यार्थियों लिए अत्यंत सरल एवं सुबोध भाषा में लिखी गयी इस पुस्तक में आर्थिक सिद्धान्तों की नवीनतम तथा आधुनिक प्रवृत्तियों एवं दृष्टिकोणों की व्यष्टिपरक विश्लेषणात्मक व्याख्या की गयी है। इसमें न केवल माँग, उत्पादन, लागत तथा वितरण के सिद्धान्तों की बल्कि विभिन्न मार्केट ढाँचों में कीमत-निर्धारण एवं सामान्य संतुलन विश्लेषण तथा कल्याणकारी अर्थशास्त्र की आलोचनात्मक समीक्षा की गयी है। यह पुस्तक आई.ए.एस. एवं पी.सी.एस. के अभ्यर्थियों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी।
• अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं तथा उत्पादन संभावना वक्र के उपयोग की विस्तार से व्याख्या।
• मुक्त मार्केट अर्थव्यस्था तथा उसके संचालन में कीमत प्रणाली की भूमिका का स्पष्टीकरण।
• माँग के सिद्धान्त में मार्शल के गणनावाचक तुष्टिगुण और अनधिमान वक्रों के क्रमवाचक तुष्टिगुण के सिद्धान्तों की विस्तृत व्याख्या एवं उनकी तुलना।
• माँग के नवीन सिद्धान्त एवं उद्घाटित अधिमान सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना।
• रेखीय प्रायोजन के अन्तर्गत द्वैत समस्या तथा आहार समस्या का संशोधित विवरण।
• पूर्ण प्रतियोगिता के मॉडल की कैल्डर तथा ड्डाफा द्वारा आलोचना की सरल ढंग से व्याख्या।
• कीमत-निर्धारण के एकाधिकार, एकाधिकारिक प्रतियोगिता तथा अल्पाधिकार के अनेक मॉडलों की विस्तार से विवेचना।
• कूर्नो मॉडल, कीमत नेता, कपट-सन्धि, विकुंचित माँग वक्र, अल्पाधिकार सम्बन्धी खेल के सिद्धान्त एवं बॉमोल का विक्रय-अधिकतम तथा कुल-लागत अथवा मार्क-अप सिद्धान्तों की आलोचनात्मक समीक्षा।
• श्रमिकों के मजदूरी-निर्धारण के सिद्धान्तों की व्याख्या तथा मजदूरी बढ़ाने में श्रमिक संघों की भूमिका।
• सामान्य संतुलन विश्लेषण एवं कल्याण अर्थशास्त्र में परेटो मानदण्ड तथा पेरेटो अनुकूलतम का विस्तृत अध्ययन।
• सामाजिक कल्याण फलन का आलोचनात्मक विश्लेषण।
इंटरनेशनल मार्केट में निवेश से पहले क्यों जरूरी है इंडस्ट्री एनालिसिस, इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगा नुकसान
सभी इंडस्ट्री की एक बिजनस साइकिल होती है और इसके बेसिक्स को समझकर स्मार्ट मूव उठाया जा सकता है.
Industry Analysis: शेयर बाजार में निवेश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ घरेलू स्टॉक मार्केट में ही भारतीय निवेश कर रहे हैं बल्कि अब देश के बहुत से निवेशक वैश्विक मार्केट्स से भी स्टॉक को चुनकर उसमें अपनी पूंजी लगा रहे हैं. हालांकि भारतीय निवेशकों के बीच सबसे अधिक क्रेज अमेरिकी स्टॉक को लेकर है. ऐसे में सिर्फ फंड मैनेजर ही नहीं बल्कि इंडिविजुअल्स को भी इंडस्ट्री एनालिसिस करना जरूरी हो गया है ताकि अपनी पूंजी को न सिर्फ डूबने से बचाया जा सके बल्कि उस पर बेहतर मुनाफा भी कमाया जा सके. एनालिसिस के जरिए इसे लेकर बेहतर फैसला लिया जा सकता है कि निवेश का अच्छा समय कब है.
दो तरीकों से कर सकते हैं इंडस्ट्री एनालिसिस
इंडस्ट्रियल एनालिसिस करने से पहले यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि उस इंडस्ट्री की मैक्रो-इकोनॉमिक रियल्टी क्या है. सभी इंडस्ट्री की एक बिजनस साइकिल होती है और इसके बेसिक्स को समझकर स्मार्ट मूव उठाया जा सकता है. मोनार्क ग्लोबल की सीओओ आशमा जावेरी के मुताबिक आमतौर पर इंडस्ट्री एनालिसिस के दो आम तरीके हैं जिसमें डिमांड-सप्लाई डायनेमिक्स, प्रतियोगिता, भविष्य के प्रॉस्पेक्टस और तकनीकी बदलाव को भी शामिल करते हैं.
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अंडरवैल्यू वाली कंपनियों की भी मिलेगी जानकारी
इन दोनों मॉडल्स के जरिए निवेशक अर्थव्यवस्था में शामिल किसी भी इंडस्ट्री की एनालिसिस कर सकते हैं, चाहे वह भारतीय इंडस्ट्री हो या वैश्विक. इन मॉडल्स के जरिए किसी इंडस्ट्रियल सेक्टर में ऐसी कंपनियों की भी जानकारी हासिल की जा सकती है, जो अंडरवैल्यूड हैं यानी कि उनकी वर्तमान बाजार कीमत उससे कम है, जितनी होनी चाहिए. ऐसी कंपनियों बाजार विश्लेषण और प्रतियोगिता की जानकारी होने पर उसमें लंबे समय के लिए निवेश कर बेहतर निवेश कमाया जा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन कंपनियों में आगे बढ़ने की संभावना बहुत अधिक होती है और निवेश की गई पूंजी पर रिटर्न उसी हिसाब से अधिक बढ़ने की संभावना रहती है.
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बाजार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं या आवश्यक तत्व
Bazar ka arth paribhasha visheshtaye;सामान्य अर्थ मे "बाजार" शब्द से तात्पर्य एक ऐसे स्थान या केन्द्र से होता है, जहां पर वस्तु के क्रेता और विक्रेता भौतिक रूप से उपस्थित होकर क्रय-विक्रय का कार्य करते है।
उदाहरण के लिए शहरों मे स्थापित व्यापारिक केन्द्र जैसे कपड़ा बाजार या गाँव मे लगने वाले हाट।
अर्थशास्त्र मे बाजार शब्द का अर्थ सामान्य अर्थ से भिन्न होता है। अर्थशास्त्र मे बाजार शब्द का तात्पर्य उस संपूर्ण क्षेत्र से होता है, जहां कि वस्तु के क्रेता एवं विक्रिता आपस मे और परस्पर प्रतिस्पर्धा के द्वारा उस वस्तु का एक ही मूल्य बने रहने मे योग देते बाजार विश्लेषण और प्रतियोगिता है।
बाजार की परिभाषा (bazar ki paribhasha)
प्रो. जेवन्स के अनुसार," मूल रूप से बाजार किसी बाजार विश्लेषण और प्रतियोगिता ऐसे सार्वजनिक स्थान को कहते थे जहाँ पर आवश्यक व अन्य प्रकार की वस्तुएं विक्रय हेतु रखी जाती थी परन्तु अब इसका तात्पर्य व्यक्तियों के किसी ऐसे समुदाय से है जिसमे घनिष्ठ व्यापारिक संबंध हो और जो किसी वस्तु मे विस्तृत सौदे करते हो।"
प्रो. ऐली के अनुसार," बाज़ार से तात्पर्य उस सामान्य क्षेत्र से होता है, जहां पर किसी वस्तु विशेष के मूल्य को निर्धारित करने वाली शक्तियाँ क्रियाशील होती है।"
स्टोनियर के अनुसार," बाजार शब्द का आशय ऐसे संगठन से माना जाता है जिसमे किसी वस्तु के क्रेता और विक्रेता परस्पर संपर्क मे रहते है।"
कूर्नों के अनुसार," अर्थशास्त्र मे बाजार का आशय किसी ऐसे स्थान से नही लगाता जहाँ वस्तुओं का क्रय विक्रय किया जाता है बल्कि उस समस्त क्षेत्र से होता है जिसमे वस्तु के समस्त क्रेताओं और विक्रेताओं के मध्य इस प्रकार स्वतन्त्र संपर्क होता है कि वह वस्तु की मूल्य प्रवृत्ति शीघ्रता व सुगमता से समान होने की पाई जाती है।
बाजार की विशेषताएं या आवश्यक तत्व (bazar ki visheshta)
बाजार की विशेषताएं इस प्रकार से है--
1. एक स्थान या क्षेत्र
बाजार के लिये वस्तु का एक स्थान पर खरीदा या बेचा जाना आवश्यक नही है। यदि कोई वस्तु भारत से इंग्लैंड तक बेची जा रही है तो बाजार का यह समस्त क्षेत्र बाज़ार की परिधि मे होगा। इस प्रकार इसका क्षेत्र स्थान विशेष तक सीमित न होकर विस्तृत होता है। इसका क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय भी हो सकता है।
2. क्रेता तथा विक्रेता
मांग और पूर्ति के बिना किसी वस्तु के बाजार की कल्पना ही नही जा सकती है। वस्तु के क्रेता तथा विक्रेता दोनों की उपस्थिति ही बाजार बनाती है।
3. पूर्ण स्पर्धा
बाजार की पूर्णता के लिए क्रेता तथा विक्रेताओं के बीच आपस मे संपर्क तथा घनिष्ठ संबंध व सौदे होने आवश्यक है, तभी वस्तु के मूल्य निर्धारण मे सहायता मिलती है।
प्रतिस्पर्धा से अवगत होने के नाते: क्या आपने हाल ही में अपनी प्रतियोगिता के बारे में कुछ सुना है?
मैकिन्से दुनिया भर की कंपनियों और उद्योगों से तब पूछा है जब उन्होंने आखिरी बार अपने लीग की हालिया रणनीतिक गतिविधि के बारे में सुना है। नई पहल के बाद लगभग आधे ही बदलाव बाजार में आए थे!
सर्वेक्षण ने एक नए अभिनव उत्पाद या महत्वपूर्ण मूल्य में कमी के रूप में महत्वपूर्ण परिवर्तनों की जांच की। उत्तरदाताओं को कीमत में कटौती की तुलना में अक्सर नए उत्पादों के बारे में पता था। हालांकि, नए उत्पादों के आगमन के सबसे अच्छे मामले में, 50% के बारे में पहले से ही पता था। लगभग किसी को बाजार विश्लेषण और प्रतियोगिता भी किसी भी महत्वपूर्ण मूल्य परिवर्तन के बारे में पता नहीं था जब तक कि बहुत देर हो चुकी थी।
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The paper will be multiple choice question and will contains 200 Questions.
Physics (40 Questions), Chemistry (40 Questions), Biology (40 Questions), Maths (40 Questions), Mental Ability (40 Questions)
Important:
For Engineering Stream attempt only Physics, Chemistry, Maths and Mental Ability.
For Medical Stream attempt only Physics, Chemistry, Biology and Mental Ability.
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