Published - Wednesday, 21 December, 2022
वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक-2021 में 113 देशों के बीच भारत 71वें स्थान पर
नई दिल्ली: भारत ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा (जीएफएस) सूचकांक-2021 में 113 देशों के बीच 71वां स्थान हासिल किया है. भारत कुल अंकों के लिहाज से दक्षिण एशिया में सबसे अच्छे स्थान पर रहा, लेकिन खाद्य पदार्थों की वहनीयता यानी (Affordbility) के मामले में अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका से पीछे है.
खाद्य पदार्थ वहनीयता श्रेणी में पाकिस्तान (52.6 अंक के साथ) ने भारत (50.2 अंक) से बेहतर अंक हासिल किया है.
इकोनॉमिस्ट इम्पैक्ट और कोर्टेवा एग्रीसाइंस द्वारा मंगलवार को जारी एक वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया कि जीएफएस इंडेक्स-2021 की इस श्रेणी में श्रीलंका 62.9 अंकों के साथ और भी बेहतर पायदान पर है.
आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फिनलैंड, स्विटजरलैंड, नीदरलैंड, कनाडा, जापान, फ्रांस और अमेरिका ने सूचकांक पर 77.8 और 80 अंक के बीच समग्र जीएफएस अंक हासिल कर शीर्ष स्थान साझा किया.
जीएफएस सूचकांक 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के शून्य भूखमरी के सतत विकास लक्ष्य की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए प्रणालीगत खामियों और जरूरी कामों पर ध्यान दिलाता है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 113 देशों के जीएफएस सूचकांक-2021 में कुल 57.2 अंकों के साथ 71वां स्थान हासिल किया. वहीं उसके बाद पाकिस्तान (75वें स्थान), श्रीलंका (77वें स्थान), नेपाल (79वें स्थान) और बांग्लादेश (84वें स्थान) का स्थान रहा. लेकिन भारत, चीन (34वें स्थान) से काफी पीछे है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जीएफएस सूचकांक 113 देशों में खाद्य सुरक्षा के अंतर्निहित कारकों को मापता है, जो कि सामर्थ्य, उपलब्धता, गुणवत्ता, सुरक्षा, प्राकृतिक संसाधनों और लचीलेपन के कारकों पर आधारित है.
यह आय और आर्थिक असमानता सहित 58 खाद्य सुरक्षा संकेतकों पर विचार करता है. इसका उद्देश्य 2030 तक संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य जीरो हंगर की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए प्रणालीगत अंतराल और कार्यों पर ध्यान आकर्षित औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार करना है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भोजन की उपलब्धता, गुणवत्ता और सुरक्षा के साथ-साथ खाद्य उत्पादन के लिए प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के मामले में भारत ने जीएफएस इंडेक्स 2021 पर पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका से बेहतर स्कोर किया.
हालांकि, पिछले 10 वर्षों में समग्र खाद्य सुरक्षा स्कोर में भारत का वृद्धि लाभ पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से पीछे था.
भारत का स्कोर 2021 में केवल 2.7 अंक बढ़कर 57.2 हो गया, जो 2012 में 54.5 था. जबकि पाकिस्तान का 9 अंक बढ़ा, पाकिस्तान 2012 में 45.7 था, जो बढ़कर 2021 में 54.7 हो गया. वहीं, नेपाल के 7 अंक बढ़ा, 2012 में 46.7 अंक से 2021 में 53.7 अंक हो गया. और बांग्लादेश का 4.औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार 7 अंक बढ़ा, 2012 में 44.4 अंक से 2021 में 49.1 अंक हो गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का स्कोर 9.6 अंक बढ़कर 2021 में 71.3 हो गया, जो 2012 में 61.7 था.
इकोनॉमिस्ट इम्पैक्ट में ग्लोबल फूड सिक्योरिटी इंडेक्स की प्रमुख प्रतिमा सिंह के अनुसार, ‘इंडेक्स से पता चलता है कि पिछले दस वर्षों में देशों ने खाद्य असुरक्षा को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, खाद्य प्रणाली आर्थिक, जलवायु और भू-राजनीतिक झटकों के प्रति संवेदनशील बनी हुई है. भूख और कुपोषण को समाप्त करने और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कार्रवाई अनिवार्य है.’
अपनी वैश्विक रिपोर्ट में इकोनॉमिस्ट इम्पैक्ट ने कहा कि सूचकांक से पता चलता है कि इन वर्तमान और उभरती भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए खाद्य सुरक्षा में निवेश की आवश्यकता है – जलवायु के हिसाब से फसल पैदावार में नवाचार से लेकर सबसे कमजोर लोगों की सहायता के लिए कार्यक्रमों में निवेश करना चाहिए.
मालूम हो कि बीते 14 अक्टूबर को जारी साल 2021 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत पिछले साल के 94वें स्थान से फिसलकर 101वें पायदान पर पहुंच गया है. इस मामले में वह अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे है.
हालांकि, भारत सरकार ने वैश्विक भूख सूचकांक रैंकिंग के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति को ‘अवैज्ञानिक’ बताया है. सरकार ने कहा कि इस रिपोर्ट की प्रकाशन एजेंसियों, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगरहिल्फ ने रिपोर्ट जारी करने से पहले औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार उचित मेहनत नहीं की है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
क्या आपको ये रिपोर्ट पसंद आई? हम एक गैर-लाभकारी संगठन हैं. हमारी पत्रकारिता को सरकार और कॉरपोरेट दबाव से मुक्त रखने के लिए आर्थिक मदद करें.
BWRetailLeadership: कोरोना से कितना बदल गया रिटेल वर्ल्ड, यहां मिला जवाब
by बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो ।।
Published - Wednesday, 21 December, 2022
'रिटेल लीडरशिप समिट' दिल्ली में शुरू हो चुकी है. BW Businessworld द्वारा आयोजित इस समिट में रिटेल सेक्टर से जुड़े दिग्गज शिरकत कर रहे हैं. समिट की शुरुआत BW Business World के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ डॉक्टर अनुराग बत्रा के Welcome Address के साथ हुई. इस दौरान, हुए एक पैनल डिस्कशन में कोरोना के बाद रिटेल सेक्टर में आए बदलावों पर चर्चा की गई.
इन्होंने की शिरकत
समिट में 'Shifts towards Physical retailing following the pandemic and core areas of focus for omnichannel retail' विषय पर पैनल डिस्कशन हुआ, जिसमें SignatureGlobal India के MD रवि अग्रवाल, Meena Bazar के मालिक समीर मंगलानी, Libas के फाउंडर सिद्धांत केसवानी, Hindware Home Innovation के CEO राकेश कौल शामिल हुए. इस डिस्कशन की अध्यक्षता BW Businessworld के सीनियर एडिटर रूहेल अमीन औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार ने की. रूहेल ने सबसे पहले पैनलिस्ट से पूछा कि कोरोना से पहले और बाद में रिटेल सेक्टर में किस तरह का बदलाव आया है?
बदल गई है कंज्यूमर की सोच
इस सवाल के जवाब में SignatureGlobal India के MD रवि अग्रवाल ने कहा कि कोरोना से पहले और बाद में जो सबसे बड़ा बदलाव आया है, वो कंज्यूमर की सोच है. पहले लोग सेविंग पर जोर देते थे, लेकिन अब वह अपनी लाइफ को पूरी तरह एन्जॉय करना चाहते हैं. जहां तक बात बिजनेस की है, तो उसके लिए भी काफी कुछ बदला है. सिग्नेचर ग्लोबल अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए फेमस है. हम रिटेल शॉप जैसे कमर्शियल प्रोजेक्ट पर भी काम करते हैं. अब बाजार कोरोना के प्रभाव से निकल रहा है.
फन, फूड और फैशन
उन्होंने आगे कहा, 'फन, फूड और फैशन के बिना लाइफ पूरी नहीं हो सकती. और इसके बाद आती है नीड यानी जरूरत. एक रिटेलर के पास समाधान होना चाहिए. कई रिटेलर दिवालिया हो रहे हैं, इसकी वजह है अधिग्रहण की उच्च लागत और बढ़ता रेंट. लेकिन हमारे पास इस समस्या का समाधान भी है. हम सभी सेंगमेंट में काम कर रहे हैं. कंज्यूमर हमेशा हमारे लिए पहली प्राथमिकता है'.
रिटेल डिक्शनरी में जुड़े नए शब्द
Libas के फाउंडर सिद्धांत केसवानी ने कहा कि बीते कुछ सालों में रिटेल डिक्शनरी में कई नए शब्द शामिल हुए हैं, जैसे फिजीटल, ओमनी चैनल आदि. यदि हम कोरोना काल के बाद की बात करें, तो रिटेल सेक्टर में बहुत कुछ बदल गया है. खासकर, लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है. कुछ साल पहले तक हम कह सकते थे कि ऑनलाइन कस्टमर, ऑफलाइन कस्टमर की तरह नहीं हैं, लेकिन अब सब बदल गया है. इसी वजह से रिलायंस और टाटा जैसी कंपनियां अब ईको सिस्टम बनाने पर जोर दे रही हैं. अब ग्राहकों को ऑनलाइन और ऑफलाइन के आधार पर अलग नहीं किया जाता. ब्रैंड्स भविष्य में भी ईको-सिस्टम बनाने पर जोर देंगे.
उदाहरण देकर समझाई बात
सिद्धांत केसवानी ने एक उदाहरण के जरिए अपनी बात समझाते हुए कहा, 'मान लीजिए मैं किसी ग्रोसरी स्टोर जाता हूं और कोई नया ब्रैंड खरीदता हूं. अगले कुछ दिनों औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार में जब मुझे फिर उसकी जरूरत पड़ती है, तो मैं किसी कारणवश स्टोर नहीं जा पाता. ऐसे में यदि ब्रैंड अलग-अलग ईको सिस्टम जैसे कि ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म, बिग बास्केट आदि पर उपलब्ध नहीं है, तो शायद मैं ब्रैंड बदल लूं. इस तरह, जिस नए ब्रैंड को मैंने चुना था, उसका एक कस्टमर कम हो जाएगा. कोरोना के दौर में ग्राहकों को घर बैठे-बैठे समय पर सामान की डिलीवरी की आदत हो गई थी, जो अभी भी जारी है. लिहाजा, कंपनियों को इसके अनुसार काम करना होगा. उन्हें एक ईको-सिस्टम विकसित करना होगा'.
डिजिटल की भूमिका महत्वपूर्ण
Hindware Home Innovation के सीईओ राकेश कौल ने कहा कि कोरोना की वजह से काफी कुछ बदला है. कोरोना ने कंपनियों को डिजिटल होने पर मजबूर किया है, लेकिन हमारे लिए यह कोई नई बात नहीं थी. हमने भविष्य को ध्यान में रखते हुए 2016 से ही इस दिशा में काम शुरू कर दिया था. Hindware Home Innovation एक ट्रेडिशनल बाथरूम कंपनी है, जिसने डिजिटल फर्स्ट पर जोर दिया है. 'डिजिटल फर्स्ट' को जल्दी अपनाने का फायदा हमें कोरोना काल में भी मिला. दूसरे शब्दों में कहूं तो कोरोना में हम एडवांटेज में थे, क्योंकि हमने ऑनलाइन या डिजिटल मोड को पहले अपना लिया था. डिजिटल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यही टेकओवर करेगा.
टेक्नोलॉजी को इग्नोर नहीं कर सकते
उन्होंने आगे कहा कि फिजिकल में स्पेस आदि की समस्या होती है, जबकि डिजिटल में ऐसा कुछ नहीं है. हम अपने उत्पादों के बारे में छोटी से छोटी जानकारी डिजिटल मोड पर डाल सकते हैं, ताकि ग्राहक को अपना पसंदीदा उत्पाद चुनने में आसानी हो. आजकल फिजीटल स्पेस और ओमनी चैनल महत्वपूर्ण हैं. टेक्नोलॉजी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कंपनियों को फुटप्रिंट को मापना होगा और उसी अनुसार अपनी रणनीति तैयार करनी होगी. कोरोना के बाद मिली अच्छी ग्रोथ
समीर मंगलानी ने बताया कि कोरोना के बाद उनकी कंपनी Meena Bazar ने काफी अच्छी ग्रोथ हासिल की है. उन्होंने कहा, 'कोरोना महामारी के बाद हम विस्तार कर रहे हैं, हम हर महीने 3 स्टोर खोलने के लिए प्रतिबद्ध हैं. छोटे शहरों पर भी हम फोकस कर रहे हैं. स्थिति सामान्य होने के बाद अब लोग अपने स्थानीय बाजार और दुकानों पर जाकर खरीदारी करना चाहते हैं. कोरोना ने काफी कुछ बदला है, लेकिन हमारे लिए स्थिति पहले जैसी होती नजर आ रही है. बाजार औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार में भीड़ बढ़ने का मतलब है दुकानदारों को फायदा मिलना.
अगले साल क्या हो रणनीति?
अगले साल यानी 2023 में कंपनियों और ब्रैंड को किस रणनीति पर काम करना चाहिए? इस पर SignatureGlobal India के MD रवि अग्रवाल ने कहा, 'पोस्ट पेंडमिक में नया ट्रेंड डेवलप हुआ है. ग्राहकों के सपने पूरे हैं. आने वाले साल में जो उनके लिए समाधान लेकर आएगा, वही विनर होगा, क्योंकि उनके पास फंड सीमित है'. Meena Bazar के मालिक समीर मंगलानी के मुताबिक, कंपनियों को पर्सनलाइजेशन पर जोर देना होगा. सिद्धांत केसवानी का मानना है कि कंपनियों को सुविधाजनक ईको सिस्टम विकसित करना चाहिए.
2022 मूल्य स्तर के महत्वपूर्ण अंत पर बिटकॉइन बैल और भालू संघर्ष करते हैं
बिटकॉइन (BTC) किसी भी दिशा में कोई महत्वपूर्ण कदम उठाने में विफल रहा है, प्रमुख क्रिप्टोक्यूरेंसी एक तंग सीमा में समेकित हो रही है। जैसे ही चीजें खड़ी होती हैं, बिटकॉइन भालू और बैल दोनों में समान शक्ति दिखाई देती है, जिसमें संपत्ति में रैली के लिए महत्वपूर्ण मौलिक बाहरी ट्रिगर्स की कमी होती है।
इस पंक्ति में, किटको न्यूज 21 दिसंबर को विश्लेषक जिम वायकॉफ़ ने सुझाव दिया कि बिटकॉइन को वर्ष के अंत तक साइडवे ट्रेडिंग का अनुभव होने की संभावना है।
“व्यापार इस सप्ताह बग़ल में और तड़का हुआ रहा है। न तो बैलों और न ही मंदड़ियों के पास कोई निकट-अवधि का तकनीकी लाभ है, जो उसी का अधिक सुझाव देता है, वर्ष के अंत में बग़ल में व्यापारिक कार्रवाई – बाज़ार में किसी भी बड़े मौलिक झटके को छोड़कर, ”वायकॉफ़ ने कहा।
कुल मिलाकर, सामान्य औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार बाजार सुधार से बिटकॉइन का वजन कम होता है। विशेष रूप से, बिटकॉइन के $18,000 के महत्वपूर्ण स्तर को पार करने के बाद बैलों ने नियंत्रण हासिल कर लिया, जो पिछले हफ्तों में प्रमुख समर्थन स्थिति के रूप में काम करता था। रैली सकारात्मक व्यापक आर्थिक विकास की प्रतिक्रिया थी।
बिटकॉइन मूल्य विश्लेषण
प्रेस समय के अनुसार, बिटकॉइन $323.77 बिलियन के बाजार पूंजीकरण को नियंत्रित करते हुए लगभग 1% के दैनिक सुधार के साथ $16,855 पर कारोबार कर रहा था।
बिटकॉइन का एक दिवसीय मूल्य चार्ट। स्रोत: फिनबोल्ड।
21 दिसंबर के शुरुआती कारोबारी घंटों के दौरान, बिटकॉइन संक्षेप में $17,000 के निशान को छू गया क्योंकि बाजार संयुक्त राज्य उपभोक्ता विश्वास रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहा था। विश्लेषक का अनुमान है कि सूचकांक दिसंबर के लिए 101.00 पर आएगा, जो पिछले नवंबर के 100.2 के मूल्य से अधिक है।
मौजूदा कीमत पर, बिटकॉइन को समेकित करने और संभावित रैली में मदद करने के लिए बैल पर ध्यान केंद्रित किया गया है। दूसरी तरफ, समेकित करने में विफलता बिटकॉइन बैलों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है क्योंकि संपत्ति संभावित विस्तारित सुधार के अनुरूप होगी।
कहीं और बिटकॉइन तकनीकी विश्लेषण (टीए) संकेतक मंदी के हैं, एक दिवसीय गेज का सारांश 15 पर ‘बिक्री’ भावना के लिए जा रहा है, चलने वाले औसत (एमए) के आसपास घूमने वाले ऑसिलेटर्स का परिणाम 2 पर ‘बिक्री’ का संकेत दे रहा है। 13 पर ‘मजबूत बिक्री’ क्षेत्र।
बिटकॉइन तकनीकी विश्लेषण। स्रोत: ट्रेडिंग व्यू
बिटकॉइन के लिए आगे क्या?
बिटकॉइन और सामान्य क्रिप्टोक्यूरेंसी बाजार में कोई संभावित तेजी ट्रिगर नहीं है, हालांकि एफटीएक्स एक्सचेंज के पतन के प्रभाव को महसूस किया जाना जारी है। यह उल्लेखनीय है कि बिनेंस क्रिप्टो एक्सचेंज के भंडार के बारे में चिंताओं के उभरने के बाद बिटकॉइन और बाजार को भी अनिश्चितता का सामना करना पड़ा।
जैसा कि बिटकॉइन बग़ल में व्यापार करता है, भविष्यवाणियां बताती हैं कि संपत्ति 2022 के अंत तक एक अल्पकालिक रैली का अनुभव करेगी। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के आधार पर फिनबोल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, बिटकॉइन के 31 दिसंबर को $ 18,796.94 पर व्यापार करने की संभावना है।
अस्वीकरण: इस साइट की सामग्री को निवेश सलाह नहीं माना जाना चाहिए। निवेश सट्टा है। निवेश करते समय, आपकी पूंजी जोखिम में होती है.
बिटकॉइन के बाद 2022 के मूल्य स्तर के महत्वपूर्ण अंत पर बिटकॉइन बैल और भालू का टकराव सबसे पहले फिनबोल्ड पर दिखाई दिया।
Covid 19: जमीन पर वेंटिलेटर, सीपीआर ट्रीटमेंट, मरीजों की जांच करते करते बेहोश हुए डॉक्टर; चीन में कोरोना का तांडव दिखाते वीडियो
चीन में अपर्याप्त जानकारी और आँकड़ों के कारण कोरोना के प्रकोप की दिशा को समझना अधिक कठिन है
Covid 19: जमीन पर वेंटिलेटर, सीपीआर ट्रीटमेंट, मरीजों की जांच करते करते बेहोश हुए डॉक्टर; चीन में कोरोना का तांडव दिखाते वीडियो
चीन में कोरोना संकट ने एक बार फिर सिर उठा लिया है। वैसे तो चीन में सरकारी तंत्र बहुत सी बातों को छुपाने की कोशिश कर रहा है, सोशल मीडिया पर कई वीडियो और तस्वीरें वायरल हो चुकी हैं और इन वायरल सामग्री से चीन की सटीक स्थिति की सूजन देखी जा सकती है।
कई जगहों पर मरीजों को जमीन पर ही सीपीआर दिया जा रहा है। काम की अधिकता से डॉक्टरों के गिरने के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन रहे हैं.
एक क्लिप एक आपातकालीन नियंत्रण कक्ष के रूप में अस्पताल के आरक्षित कक्ष की स्थिति को दिखाती है। ये चोंगकिंग शहर के एक अस्पताल का वीडियो है और कई मरीजों का इलाज सीधे जमीन पर लेट कर किया जा रहा है.
Table of Contents
जमीन पर लेटकर चल रहा इलाज
बेड की कमी के चलते मरीजों के लिए सीधे जमीन पर ही चेस्ट कंप्रेशन मशीन लगाई जाती है। ‘द टेलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मरीजों की संख्या डॉक्टरों और बेड की संख्या से कई गुना ज्यादा है.
…और डॉक्टर खुद गिर गए
कई अस्पतालों के सारे बेड फुल हो चुके हैं और कई जगहों पर वीडियो वायरल हो चुके हैं कि अस्पतालों में उपलब्ध जगह पर मरीजों को सुलाया जा रहा है और सेलाइन से लेकर वेंटीलेटर तक लगाए जा रहे हैं. एक अन्य वायरल वीडियो में बिना सोए काम करने वाला डॉक्टर मरीजों की जांच करते हुए सोता नजर आ रहा है। कुछ जगहों पर यह भी दावा किया जा रहा है औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार कि चक्कर आने से डॉक्टरों के गिरने के भी मामले सामने आए हैं.
Covid 19: Ventilators on the ground, CPR treatment, doctors sleeping while examining patients; Video showing the orgy of Corona in China
कोरोना के मामलों में वृद्धि की उम्मीद है
यहां के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि चीन में सोमवार को दो कोरोना मरीजों की मौत हो गई। हालाँकि, अनौपचारिक रिपोर्टों के अनुसार, चीन में कोरोना महामारी के फैलने के संकेत हैं। अनाधिकारिक तौर पर कहा जा रहा है कि कोरोना के मरीजों में भारी इजाफा हुआ है. दोनों मौतें सोमवार को बीजिंग में हुईं। औसत दिशात्मक सूचकांक संकेतक के साथ व्यापार चीन द्वारा अपनी ‘जीरो कोविड’ नीति में ढील देने के बाद पहले सप्ताह में इन दोनों मौतों की सूचना मिली थी। इस नीति में ढील दिए जाने के बाद कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी। हालांकि, मृतक मरीजों के परिजनों और अंतिम संस्कार के कर्मचारियों ने पुष्टि की कि कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है. कई ने सरकार द्वारा कार्रवाई के डर से नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी।
विवाद में मृत्यु दर्ज करने का तरीका
चीन में 4 दिसंबर के बाद से कोरोना वायरस से किसी की मौत नहीं हुई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, इन मौतों के साथ, पिछले तीन वर्षों में चीन में कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों की कुल संख्या बढ़कर 5,237 हो गई है। चीन में अब तक कुल 380 हजार 453 कोरोना मरीज सामने आ चुके हैं। यह संख्या अन्य प्रमुख कोरोना प्रभावित देशों की तुलना में बहुत कम है। हालाँकि, इस जानकारी को दर्ज करने की विधि और डेटा की विश्वसनीयता के बारे में विश्व स्तर पर संदेह जताया जा रहा है। चीनी स्वास्थ्य अधिकारी केवल उन लोगों की गिनती करते हैं जो सीधे वायरस से मरते हैं, उन्हें कोरोनोवायरस मौतों के रूप में गिना जाता है। मधुमेह और हृदय रोग के मरीजों को कोरोना वायरस से मौत का खतरा बढ़ गया है। ज्यादातर देशों में कोरोना गाइडलाइंस के मुताबिक कोरोना से होने वाली मौतों में ये मरीज भी शामिल हैं।
एक बड़ी कोरोना लहर की संभावना
चीन में अपर्याप्त जानकारी और आंकड़ों के कारण कोरोना के प्रकोप की दिशा को समझना और भी मुश्किल हो गया है। हालांकि, आर्थिक लेन-देन में तेज गिरावट और वायरस के प्रकोप के अनौपचारिक साक्ष्य एक बड़ी लहर के संकेत दे रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अगले एक-दो महीने में इस महामारी की बड़ी लहर की आशंका जताई है. इसलिए, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों की मृत्यु दर बढ़ने का अनुमान है।
कोरोना वायरस के खौफ के चलते…
चंद्र नव वर्ष की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए जनवरी में चीन जाने वाले यात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी। इस दौरान प्रवासी श्रमिक अपने गृहनगर लौटेंगे। इस दौरान भीड़ में कोरोना वायरस के फैलने का खतरा रहता है। साथ ही छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी दबाव रहेगा। इन सुविधाओं की कमी से प्रशासन चिंतित है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अस्पतालों की संख्या में वृद्धि हुई है। लेकिन चिकित्साकर्मियों की संख्या पर्याप्त नहीं है। सभी स्वास्थ्य कर्मियों को सेवा में शामिल होने का आदेश दिया गया है। केवल बीमार कर्मचारियों को छूट दी गई है। स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव कम करने के लिए नागरिकों से आग्रह किया जा रहा है कि जब तक वे गंभीर रूप से बीमार न हों, अस्पताल न जाएं।
Web Title: Covid 19: Ventilators on the ground, CPR treatment, doctors sleeping while examining patients; Video showing the orgy of Corona in China
Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 79