वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम
A. विद्यमान इकाइयों से निम्नलिखित दस्तावेज़ों के साथ बैंक में संपर्क करने की अपेक्षा की जाती है.
ए.1. डबल्यूसी सुविधा की मांग करने वाली विद्यमान इकाइयों के लिए :
- खातों एवं परिशिष्ट पर नोट सहित गत 3 वर्षों का लेखापरीक्षित तुलन-पत्र
- खातों एवं परिशिष्ट पर नोट सहित गत 3 वर्षों का हानि एवं लाभ का विवरण
- गत तीन वर्षों का आईटी रिटर्न
- सहयोगी संस्था के गत 3 वर्षों का तुलन पत्र एवं लाभ-हानि का विवरण
- सीएमए डाटा
- क्रयादेश स्थिति/ संविदा/मांग का प्रमाणपत्र
- पिछला बिक्री कर निर्धारण ऑर्डर
- सांविधिक निकासी प्रमाणपत्र
- सहायतासंघ वित्त के मामले में अग्रणी बैंक का निर्धारण नोट
- नाम सहित सहयोगी संस्था का ब्यौरा, बैंकर, ली गयी ऋण सुविधा, वर्तमान स्थिति इत्यादि
- संपाशर्विक का ब्यौरा जहां लागू हो
A.2 खातों के अधिग्रहण के मामले में आवश्यक अतिरिक्त दस्तावेज़ :
- एनओसी/खाते की स्थिति
- विद्यमान बैंकर से जमा रिपोर्ट
- पिछले 1 वर्ष से खाते का विवरण
A.3. सावधि ऋण/पूंजीगत वस्तु के आवेदन हेतु एलसी के लिए आवश्यक अतिरिक्त दस्तावेज़, यदि उन्हें परियोजना रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है:
- सम्पूर्ण चुकौती कार्यक्रम के लिए नकदी प्रवाह विवरण
- सम्पूर्ण चुकौती कार्यक्रम के लिए निधि प्रवाह विवरण
- सम्पूर्ण चुकौती अवधि के लिए लाभप्रदता पूर्वानुमान एवं अवधारणाएँ
- लाभ-अलाभ विश्लेषण
- आईआरआर विवरण
- डीएससीआर विवरण
- प्रोमोटर के योगदान के लिए सीए प्रमाणपत्र
- परियोजना: शामिल रिपोर्ट
ए ) मशीनरी, मशीनरी की आपूर्ति के लागत का विवरण
बी) आपूर्तिकर्ता से निवेदित भाव/प्रोफॉर्मा बीजक
सी) इंस्टाल की गयी क्षमता की गणना
डी) कच्चे माल का विवरण एवं उनकी उपलब्धता
ई) बाज़ार सर्वेक्षण: बाज़ार की व्यवहारिक रिपोर्ट, संस्था की रिपोर्ट
एफ़) परियोजना कार्यान्वयन कार्यक्रम
जी) अपेक्षित विभिन्न निकासी की स्थिति
A.4 फैक्टरी बिल्डिंग के मामले में आवश्यक अतिरिक्त दस्तावेज़ :
- बिल्डिंग अनुमोदन योजना
- वास्तुकार का आकलन
- सांविधिक निकासी : वातावरण, प्रदूषण निकासी एवं अन्य लागू निकासी
- ऊर्जा एवं जल स्वीकृति का सबूत
- किसी प्रकार की अन्य निकासी जैसे एक्सप्लोसिव लाइसेन्स जो विभिन्न परियोजनाओं पर लागू हो
A. 5. एलसी कच्चे माल के लिए आवश्यक अतिरिक्त दस्तावेज़ :
- क्रय का स्वरूप
- आयात एवं घरेलू क्रय की मात्रा एवं मूल्य
- आयात लाइसेन्स
- एलसी के अंतर्गत कुल क्रय का प्रतिशत
- समय सीमा आवश्यक
- डीए एलसी के मामले में डीए की अवधि
A.6 बैंक गारंटी के मामले में आवश्यक अतिरिक्त विवरण :
- विद्यमान गारंटी एवं सुविधाओं का विवरण
- बिड़-बॉन्ड / प्रतिभूति जमा ब्यौरा
B. नयी परियोजनाओं द्वारा टीएल एवं डबल्यूसी सुविधाओं की मांग के मामले में परियोजना की सम्पूर्ण रिपोर्ट निम्नलिखित के साथ उद्यमियों के द्वारा प्रस्तुत की जानी चाहिए:
फीस/वित्तीय सहायता/छात्रवृत्ति
शैक्षिक ऋण बैंकों से उपलब्ध हैं। छात्र कार्यक्रम शुल्क और अन्य खर्चों को कवर करने के लिए शिक्षा ऋण के लिए विभिन्न प्रमुख बैंकों में आवेदन कर सकते हैं। पात्रता, ब्याज दरों और अन्य लागू शर्तों के लिए छात्र सीधे विभिन्न बैंकों से संपर्क कर सकते हैं।
छात्रवृत्ति
भारतीय प्रबंधन संस्थान अमृतसर अपने योग्य एमबीए छात्रों को उनकी शैक्षिक उपलब्धि और विविधता के आधार पर सीमित संख्या में छात्रवृत्ति प्रदान करता है। दो साल के एमबीए प्रोग्राम के दौरान सम्मानित छात्रवृत्ति राशि दो समान अनुपात में वितरित की जाएगी।
एमबीए प्रोग्राम के पहले वर्ष में, संस्थान छात्रों पर विचार करके छात्रवृत्ति प्रदान करता है पूर्व शैक्षणिक रिकॉर्ड, संस्थान की एमबीए प्रवेश प्रक्रिया में प्रदर्शन, और विविधता (लिंग, आर्थिक और अन्य विचारों सहित)। संस्थान को उम्मीद है कि छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले संस्थान में एमबीए कार्यक्रम के दौरान अपने अकादमिक और समग्र प्रदर्शन में उत्कृष्टता जारी रखेंगे। इसलिए, दूसरे वर्ष में छात्रवृत्ति की निरंतरता प्राप्तकर्ताओं पर निर्भर करती है एमबीए प्रोग्राम के पहले वर्ष के दौरान अकादमिक प्रदर्शन और आचरण। छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाला व्यक्ति एमबीए कार्यक्रम के दूसरे वर्ष में छात्रवृत्ति प्राप्त करना जारी रखेगा यदि वह प्रथम वर्ष का संचयी ग्रेड प्वाइंट औसत (सीजीपीए) 2.96 से कम नहीं प्राप्त करता है (यह पिछले दो बैचों पर विचार करके निकाला जाता है) प्रथम वर्ष में पूरे वर्ग का औसत सीजीपीए)। इसके अलावा, प्राप्तकर्ता को कार्यक्रम के दिशानिर्देशों का पालन करना जारी रखना चाहिए और समग्र सकारात्मक आचरण प्रदर्शित करना चाहिए।
संस्थान प्रवेश प्रक्रिया के तुरंत बाद छात्रवृत्ति के लिए चयनित छात्रों की सूची को अंतिम वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम रूप देगा। चयनित छात्रों को उनके प्रवेश प्रस्ताव पत्र के साथ छात्रवृत्ति पुरस्कार पत्र प्राप्त होगा।
नोट: संस्थान अपने विवेक के आधार पर किसी भी समय छात्रवृत्ति कार्यक्रम को समाप्त करने या वापस लेने का अधिकार सुरक्षित रखता है। यदि कोई छात्र बीच में ही कार्यक्रम छोड़ देता है, तो उसे प्राप्त कुल छात्रवृत्ति राशि वापस करनी होगी। इसके अलावा, यदि छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले को किसी एजेंसी (सरकार या अन्य) से कोई अन्य छात्रवृत्ति/वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, तो संस्थान अपनी छात्रवृत्ति वापस ले लेता है। हालांकि, संस्थान यह सुनिश्चित करता है कि छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले को प्राप्त छात्रवृत्ति से अधिकतम लाभ मिले।
भारतीय प्रबंधन संस्थान, अमृतसर
पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बिल्डिंग
गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कैंपस के अंदर
पॉलिटेक्निक रोड
पीओ: छेहरता
जी.टी. रोड अमृतसर- 143105
फ़ोन: 0183-2820040
कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी
CSR अब व्यवसाय का संचालन करने का एक तरीका है जिसके द्वारा कॉर्पोरेट संस्थाएँ सामाजिक रूप से अच्छे में योगदान करती हैं। सामाजिक रूप से जिम्मेदार कंपनियां केवल अपने लाभ को बढ़ाने वाली गतिविधियों में वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम संलग्न होने के लिए संसाधनों का उपयोग करने के लिए खुद को सीमित नहीं करती हैं। वे कंपनी के संचालन और विकास के साथ आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक उद्देश्यों को एकीकृत करने के लिए सीएसआर का उपयोग करते हैं। CSR को अपने ग्राहकों और समाज के बीच कंपनी के ब्रांड की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए कहा जाता है।
सीएसआर को कार्यबल और उनके परिवारों और समुदाय और समाज में बड़े पैमाने पर जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हुए आर्थिक विकास में योगदान करने के लिए व्यापार द्वारा निरंतरता प्रतिबद्धता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।.
एक मजबूत और संपन्न विकास क्षेत्र समान, समावेशी और सतत विकास के लिए भारत की खोज का केंद्र है।
ट्राइफेड की विकास पहल लगभग 1.4 लाख आदिवासी कारीगरों और 3.6 वन उपज इकट्ठा करने वालों के बीच पिछले कुछ वर्षों में काफी तेजी से विकसित हुई है और अब देश भर में स्थायी मूल्य श्रृंखला के निर्माण में अभूतपूर्व रुचि और निवेश देख रही है।
TRIFED ने सिद्ध और अच्छी तरह से कैलिब्रेटेड विकास पहलों के साथ जमीनी स्तर पर सीएसआर अवधारणा को कार्रवाई में अनुवाद करने के कई तरीके प्रस्तावित किए हैं। इसके अलावा ट्राइफेड ने एक पारदर्शी तंत्र को सुव्यवस्थित किया है जो कॉर्पोरेट्स को जनजातीय विकास में वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम उनके सीएसआर निवेशों पर व्यापक रूप से विचार करने में मदद करेगा।
एक आनंद में प्रशिक्षित
केंद्र सरकार अधिनियम
बहु-राज्य सहकारी समितियों अधिनियम, 2002 में धारा 11
Regn नंबर: बहु-राज्य सहकारी सहकारी अधिनियम, 1984 / CR-2/87
फ़ाइल संख्या: L.11015 / 10/87-L & M सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार का कार्यालय
ट्राईफेड भारत सरकार के नियमों और आदेशों का पालन करता है, जबकि सार्वजनिक वित्त से जुड़े मामलों से निपटने के लिए सरकार और निर्दिष्ट निकायों के तहत सभी विभागों और संगठनों द्वारा देखे जाने वाले कार्यकारी निर्देशों के रूप में व्यवहार किया जाता है।
TRIFED सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत है जिसका उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना है, सरकार के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है, जिसमें भ्रष्टाचार है।
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 10 (26B) और 10 (27) के तहत आयकर छूट प्रमाण पत्र
व्यवसाय की भाषा है लेखांकन
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वद्यालय के वित्तीय अध्ययन विभाग द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रबंध अध्ययन संकाय के अध्यक्ष एवं अर्थशास्त्री डा. एचसी पुरोहित ने कहा कि लेखांकन एवं वित्तीय विश्लेषण आज के व्यावसायिक युग में हर प्रतिष्ठानों के लिय आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि लेखांकन व्यवसाय की भाषा है और वित्त व्यवसाय की रक्त धमनियां है। दोनों के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है। लेखांकन एवं वित्त विशेषज्ञों के समक्ष चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है।
दैनिक व्यवसायिक गतिविधियों का सही रिकार्डिंग करें और आवश्यकतानुसार साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम अर्धवार्षिक, वार्षिक विश्लेषण करना जरूरी है।
व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को परखें जिससे समय रहते उचित कदम उठाए जा सके। व्यवसाय प्रतिस्पर्धा में चुनौती का सामना करने में आसानी होगी।
विशिष्ट अतिथि एचआरडी विभाग के सहयुक्त आचार्य डा. अविनाश पथार्डिरकर ने कहा कि इस तरह के आयोजन कारपोरेट जगत में अच्छे अवसर दिलाने में सहायक होते है।
इस बात पर बल दिया कि किसी कार्यशाला वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम की मुख्य प्रकृति छात्रों एवं शिक्षकों के बीच प्रभावी सम्प्रेषण होती है और छात्रों का फायदा सबसे अधिक प्रश्न करने से ही हो सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वित्तीय अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डा. अजय द्विवेदी ने कहा कि बिना वित्तीय ज्ञान के प्रबंधकीय ज्ञान का परिमार्जन नहीं किया जा सकता है।
वित्तीय शिक्षा वर्तमान दौर की प्रमुख आव्यशाकताओं में एक है। इससे पहले कार्यक्रम में उपस्थित समस्त अतिथियों का स्वागत कार्यशाला के कार्यक्त्रस्म समन्वयक व सहायक आचार्य आलोक गुप्ता ने किया।
धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला के संयोजक सचिव व सहायक आचार्य सुशील कुमार ने किया। इस मौके पर रोहित पाण्डेय, सैय्यद अली, मेहदी अब्दी, मो. साकिब, दिलीप कुमार यादव,
राहुल सोनी, श्रुति श्रीवास्तव, शिखा दुबे, यशस्वी कपूर आदि उपस्थित रहे। संचालन विभाग के सहायक आचार्य मंजीत वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम कुमार वर्मा ने किया।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वद्यालय के वित्तीय अध्ययन विभाग द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रबंध अध्ययन संकाय के अध्यक्ष एवं अर्थशास्त्री डा. एचसी पुरोहित ने कहा कि लेखांकन एवं वित्तीय विश्लेषण आज के व्यावसायिक युग में हर प्रतिष्ठानों के लिय आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि लेखांकन व्यवसाय की भाषा है और वित्त व्यवसाय की रक्त धमनियां है। दोनों के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है। लेखांकन एवं वित्त विशेषज्ञों के समक्ष चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है।
दैनिक व्यवसायिक वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम गतिविधियों का सही रिकार्डिंग करें और आवश्यकतानुसार साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक विश्लेषण करना जरूरी है।
व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को परखें जिससे समय रहते उचित कदम उठाए जा सके। व्यवसाय प्रतिस्पर्धा में चुनौती का सामना करने में आसानी होगी।
विशिष्ट अतिथि एचआरडी विभाग के सहयुक्त आचार्य डा. अविनाश पथार्डिरकर ने कहा कि इस तरह के आयोजन कारपोरेट जगत में अच्छे अवसर दिलाने में वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम सहायक होते है।
इस बात पर बल दिया कि किसी कार्यशाला की मुख्य प्रकृति छात्रों एवं शिक्षकों के बीच प्रभावी सम्प्रेषण होती है और छात्रों का फायदा सबसे अधिक प्रश्न करने से ही हो सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वित्तीय अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डा. अजय द्विवेदी ने कहा कि बिना वित्तीय ज्ञान के प्रबंधकीय ज्ञान का परिमार्जन नहीं किया जा सकता है।
वित्तीय शिक्षा वर्तमान दौर की प्रमुख आव्यशाकताओं में एक है। इससे पहले कार्यक्रम में उपस्थित समस्त अतिथियों का स्वागत कार्यशाला के कार्यक्त्रस्म समन्वयक व सहायक आचार्य आलोक गुप्ता ने किया।
धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला के संयोजक सचिव व सहायक आचार्य सुशील कुमार ने किया। इस मौके पर रोहित पाण्डेय, सैय्यद अली, मेहदी अब्दी, मो. साकिब, दिलीप कुमार यादव,
राहुल सोनी, श्रुति श्रीवास्तव, शिखा दुबे, यशस्वी कपूर आदि उपस्थित रहे। संचालन विभाग के सहायक आचार्य मंजीत कुमार वर्मा ने किया।
वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम
Filter Scheme category वित्तीय विश्लेषण कार्यक्रम wise
कार्यालय, वन प्रमण्डल पदाधिकारी, सामाजिक वानिकी प्रमण्डल, सिमडेगा
कार्यालय, वन प्रमण्डल पदाधिकारी, सामाजिक वानिकी प्रमण्डल, सिमडेगा वित्तीय वर्ष 2020-2021 में योजना मद अन्तर्गत उप आवंटन एवं व्यय की गयी राशि की विवरणी
सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत संचालित योजनाओं का विवरण, जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग, सिमडेगा
सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत संचालित योजनाओं का विवरण, जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग, सिमडेगा
कार्यालय, वन प्रमंडल पदाधिकारी, सिमडेगा वन प्रमंडल, सिमडेगा।
कार्यालय, वन प्रमंडल पदाधिकारी, सिमडेगा वन प्रमंडल, सिमडेगा। वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से संबंधित सूची तथा अग्रिम कार्य का लक्ष्य से संबंधित प्रतिवेदन
मत्स्य विभाग की कल्याणकारी योजनाएँ
मत्स्य विभाग की कल्याणकारी योजनाएँ, सिमडेगा योजनाओं के विवरण के लिए यहां क्लिक करें।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (या, एनआरईजीए 42, बाद में इसे “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ‘, एमजीएनआरईजीए के नाम से बदल दिया गया), एक भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है जिसका उद्देश्य’ कार्य करने का अधिकार ‘है। इसका लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की रोज़गार प्रदान करने के लिए…
प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमजीएवाई)
प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना (पीएमजीएवाई), पहले इंदिरा आवास योजना (आईएईवाई), भारत में ग्रामीण गरीबों के लिए आवास उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई गई एक प्रमुख सामाजिक कल्याण कार्यक्रम है। 2015 में शहरी गरीबों के लिए इसी तरह की योजना शुरू की गई थी, जो कि सभी के लिए 2022 तक आवास के रूप में शुरू किया गया था। इंदिरा आवास योजना को 1985 में राजीव गांधी…
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) भारत सरकार की एक केन्द्रीय प्रायोजित योजना है जो सामाजिक पेंशन के रूप में वृद्ध, विधवा और विकलांग व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। एनएसएपी को लक्ष्य के तौर पर “किसी भी ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, जो किसी भी व्यक्ति की आय के अपने स्रोत से या पारिवारिक सदस्यों या अन्य स्रोतों से वित्तीय सहायता के माध्यम से निर्वाह…
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